लिवर का साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम

(वेनो-ओक्लूसिव रोग)

इनके द्वाराWhitney Jackson, MD, University of Colorado School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२४

लिवर का साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम (पहले वेनो-ऑक्लूसिव रोग कहा जाता था) लिवर में बहुत ही छोटी (माइक्रोस्कोपिक) शिराओं का अवरोध होना होता है।

  • पेट में तरल संचय की संभावना होती है, स्प्लीन संवर्धित हो जाती है, तथा इसोफ़ेगस में गंभीर रक्तस्राव हो सकता है।

  • त्वचा तथा आंख के सफेद हिस्से पीले हो सकते हैं, तथा पेट बड़ा हो सकता है।

  • डॉक्टर निदान को लक्षणों तथा डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफ़ी पर आधारित रखते हैं।

  • यदि संभव हो, तो कारण को सही किया जाता है अथवा उसे हटा दिया जाता है, तथा लक्षणों का उपचार किया जाता है।

(लिवर में रक्त वाहिका विकार का विवरण भी देखें।)

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम बड्ड-शियारी सिंड्रोम की तरह ही होता है, सिवाए कि लिवर की बड़ी रक्त वाहिकाओं में या लिवर के बाहर रक्त वाहिकाओं की बजाए रक्त का प्रवाह केवल बहुत ही छोटी रक्त वाहिकाओं में होता है। यानि, अवरोध बड़ी हैपेटिक शिराओं और इनफेरियर वेना कावा (बड़ी शिरा जो शरीर के निचले हिस्सों से, जिसमें लिवर शामिल है, रक्त को हृदय में ले जाती है) को प्रभावित नहीं करती है।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम किसी भी आयु में हो सकता है।

क्योंकि लिवर के बाहर जाने का प्रवाह अवरोधित हो जाता है, रक्त लिवर में ही एकत्रित हो जाता है। यह बैकअप (कंजेस्शन) लिवर में प्रवेश करने वाले रक्त की मात्रा को कम कर देता है। लिवर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं क्योंकि उनको पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है (इस्केमिया)। कंजेस्शन के कारण लिवर बड़ा और संवर्धित हो जाता है। कंजेस्शन के कारण पोर्टल शिरा में प्रेशर बढ़ जाता है (पोर्टल हाइपरटेंशन)। पोर्टल हाइपरटेंशन के परिणामस्वरूप इसोफ़ेगस में विस्फारित, ट्विस्टेड (वेरिकोज़) शिराएं विकसित हो जाती हैं (इसोफ़ेजियल वेरिसेस)। पोर्टल शिरा में बढ़े हुए प्रेशर तथा लिवर कंजेक्शन के कारण पेट में तरल संचय हो जाता है—जिसे एसाइटिस कहा जाता है। स्प्लीन के भी संवर्धित होने की संभावना होती है।

इस प्रकार के कंजेस्शन के कारण लिवर में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। परिणामस्वरूप होने वाली लिवर की क्षति अंतत: गंभीर स्कारिंग में परिवर्तित हो जाती है (सिरोसिस)।

क्या आप जानते हैं...

  • कुछ हर्बल चाय के कारण लिवर का साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम हो सकता है।

लिवर में रक्त की आपूर्ति

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम के कारण

आम कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पायरोलिज़िडाइन अल्कलॉइड्स का सेवन, जो क्रोटेलारिया और सेनेसियो पौधों (कुछ हर्बल चाय बनाने के लिए उपयोग किया जाता है) और अन्य जड़ी-बूटियों में पाए जाते हैं, जैसे कि कॉम्फ्रे औषधीय जड़ी-बूटियां और लिवर देखें)

  • खास दवाओं का इस्तेमाल जिनका लिवर पर कभी-कभी विषाक्त प्रभाव होता है, जिनमें साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड तथा एज़ेथिओप्रीन (प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए प्रयोग किया जाता है) शामिल हैं

  • विकिरण थेरेपी (बोन मैरो या स्टेम सेल प्रत्यारोपण से पहले प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए प्रयुक्त)

  • बोन मैरो तथा स्टेम सेल प्रत्यारोपण (ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट रोक) के बाद की प्रतिक्रिया

ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट-रोग में प्रत्यारोपित ऊतक में सफेद रक्त कोशिकाएं प्राप्तकर्ता के ऊतक पर हमला करती हैं। यह प्रतिक्रिया प्रत्यारोपण के लगभग 3 सप्ताह के बाद होने की संभावना रखती है।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम के लक्षण

लक्षणों की शुरुआत अचानक हो सकती है। लिवर बड़ा हो जाता है और वह कोमल हो जाता है। पेट में तरल के संचय के कारण पेट फूल सकता है। त्वचा तथा आंख के सफेद हिस्से पीले हो सकते हैं—एक दशा जिसे पीलिया कहा जाता है।

इसोफ़ेगस में वेरिकोज़ वेन फट सकती हैं और उनमें से रक्तस्राव हो सकता है, कभी-कभी ऐसा बहुत अधिक होता है, जिसके कारण लोग खून की उलटी करते हैं तथा अक्सर शॉक में चले जाते हैं। रक्त पाचन तंत्र में जा सकता है, जिसके कारण मल का रंग काला, टारयुक्त, तथा बदबूदार हो सकता है (जिसे मेलेना कहा जाता है)। जब रक्तस्राव गंभीर होता है, तो शॉक की अवस्था विकसित होती है। मस्तिष्क कार्य के खराब होने के साथ (हैपेटिक एन्सेफैलोपैथी) के साथ कुछ लोगों में लिवर की विफलता हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भ्रम और कोमा पैदा हो जाता है।

अन्य लोगों में समय के साथ सिरोसिस विकसित हो जाता है, आमतौर पर महीनों के गुजरने के बाद, जो कारण पर निर्भर करता है तथा विषाक्त तत्वों के बार-बार संपर्क में आने के कारण होता है।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • लिवर रक्त परीक्षण और रक्त-क्लॉटिंग परीक्षण

  • अल्ट्रासोनोग्राफ़ी या इनवेसिव परीक्षण

डॉक्टर साइनोसाइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम लक्षणों या रक्त परीक्षण परिणाम, जिनसे लिवर दुष्क्रिया का अंदेशा होता है, खासतौर पर यदि लोगों द्वारा नशीले तत्वों का सेवन किया गया है या उनको ऐसी दशा है जिसके कारण यह रोग हो सकता है (खासतौर पर ऐसे लोग जिन्होने बोन मैरो या स्टेम सेल प्रत्यारोपण करवाया है), के आधार पर करते हैं। रक्त परीक्षण, यदि उनको पहले से ही नहीं किया गया है, उनको यह तय करने के लिए किया जाता है कि लिवर कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा है और क्या यह क्षतिग्रस्त हो गया है (लिवर परीक्षण) तथा रक्त क्लॉटिंग का मूल्यांकन करने के लिए किए जाते हैं।

अक्सर, डॉप्लर अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से निदान की पुष्टि होती है। कभी-कभी, इनवेसिव परीक्षण आवश्यक हो जाते हैं। इन परीक्षणों में लिवर बायोप्सी या हैपेटिक शिराओं और पोर्टल शिरा में ब्लड प्रेशर की माप शामिल होती है। इन शिराओं में ब्लड प्रेशर की माप करने के लिए, डॉक्टर गर्दन की शिरा (जुगुलर शिरा) में एक कैथेटर डालते हैं और इसे हैपेटिक शिरा के साथ बांध दिया जाता है। इसी के साथ लिवर बायोप्सी की जा सकती है।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम का उपचार

  • कारण का इलाज

  • अवरूद्ध वाहिकाओं के परिणामस्वरूप होने वाली समस्याओं का उपचार

इस अवरोध का खास तौर पर कोई इलाज नहीं है। यदि संभव हो, तो कारण को दूर किया जाता है या उसका उपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि लोग किसी पदार्थ का सेवन कर रहे हैं (जैसे हर्बल चाय) या ऐसी दवा ले रहे हैं जिससे लिवर को क्षति हो सकती है, तो इसे रोका जाना चाहिए।

बोन मैरो तथा स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद विकसित होने वाले साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम की रोकथाम में उर्सोडीऑक्सीकोलिक एसिड से सहायता मिलती है। ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट-रोग के कारण होने वाले साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम का उपचार उन दवाओं की खुराक को बढ़ा कर किया जा सकता है जिनका इस्तेमाल प्रतिरक्षा प्रणाली या डिफिब्रोटाइड सोडियम का दमन करने के लिए किया जाता है।

अवरूद्ध शिराओं के कारण होने वाली समस्याओं का उपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए, निम्न-साल्ट (लो-सोडियम) आहार तथा डायूरेटिक्स से पेट में तरल के संचयन को रोकने में मदद मिलती है।

यदि पोर्टल हाइपरटेंशन विकसित होती है, तो डॉक्टर कभी-कभी रक्त के प्रवाह के लिए वैकल्पिक मार्ग को तैयार करने की कोशिश करते हैं जिसमें ट्रांसजुगुलर इंट्राहैपेटिक पोर्टल-सिस्टेमिक शंटिंग (TIPS) कहा जाता है, का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह अस्पष्ट है कि क्या प्रक्रिया प्रभावी है।

बहुत ही कम मामलों में लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम का पूर्वानुमान

पूर्वानुमान इस बात पर निर्भर करता है कि क्षति कितनी अधिक है तथा क्या दशा के कारण इसके फिर से होने की संभावना है या यह बीमारी जारी रह सकती है—उदाहरण के लिए, जब लोग सिनिसियो चाय को पीना जारी रखते हैं।

कुल मिलाकर साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम से पीड़ित लगभग एक चौथाई लोग लिवर की विफलता के कारण मर जाते हैं।

जब कारण बोन मैरो या स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद कारण ग्राफ्ट-बनाम-होस्ट रोग होता है, तो कुछ ही सप्ताह में साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम अपने आप ही ठीक हो जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली को सप्रेस करने के लिए प्रयुक्त दवाओं की खुराक को बढ़ाने से भी ग्राफ़्ट-वर्सेस-होस्ट रोग ठीक हो जाता है। लेकिन, इनमें से कुछ लोग गंभीर लिवर विफलता के कारण मर जाते हैं।

यदि कारण सेवन किया गया तत्व है, तो इसके इस्तेमाल को रोकने से लिवर को और अधिक होने वाली क्षति को रोकने में मदद मिलती है।

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