बच्चों में खांसी के कुछ कारण और विशेषताएं

कारण

सामान्य विशेषताएं*

जांच

एक्यूट खांसी (4 सप्ताह से कम बनी रहने वाली)

ब्रोन्कियोलाइटिस

सबसे पहले, सर्दी के लक्षण

घरघराहट और, यदि ब्रोन्कियोलाइटिस गंभीर है, तीव्र गति से सांस ली जा रही है, जिसके साथ फ्लेयर नोस्ट्रिल और सांस लेने में कठिनाई भी देखी जाती है

खांसी के बाद संभावित रूप से उल्टी करना

खास तौर पर 24 महीनों की आयु तक के शिशुओं में, अधिकांश ऐसे शिशु में जो 3-6 महीने की आयु के होते हैं

डॉक्टर की जांच

वायरस की पहचान करने के लिए कभी-कभी सीने का एक्स-रे तथा नाक से लिए गए म्युकस की जाँच (स्वैब के साथ लिया जाता है) की जाती है

कोविड-19

बुखार, खांसी, बहती नाक, तेज-तेज सांस लेना, गले में दर्द, सर्दी के कारण कंपन, सिरदर्द, स्वाद या गंध की हानि, उलटी करना, अतिसार, पेट में दर्द, चकत्ते, लाल आँखे

खास तौर पर जब समुदाय में ज्ञात मामले हों

कभी कभी नेज़ल स्वैब के साथ जांच करना

कभी-कभी सीने का एक्स-रे

क्रुप

सबसे पहले, सर्दी के लक्षण

फिर बार-बार होने वाली भौंकने जैसे आवाज वाली खांसी (रात में बदतर), और जब खांसी (क्रुप) गंभीर होती है, तो बच्चे द्वारा सांस लेते समय जोरदार आवाज़ होती है (स्ट्रिडोर) तथा तीव्र गति से सांस ली जाती है, जिसमें फ्लेयर नोस्ट्रिल भी देखे जाते हैं

खास तौर पर 6 महीने की आयु से 3 वर्ष तक की आयु के बच्चे

डॉक्टर की जांच

कभी-कभी गर्दन और सीने का एक्स-रे

विंडपाइप (श्वासनली) या फेफड़ों के बड़े वायुमार्ग (ब्रोंकाई) में कोई बाह्य तत्व

खांसी और गले की अवरूद्धता जो अचानक शुरू होती है

प्रारम्भ में कोई बुखार नहीं होता

सर्दी के कोई लक्षण नहीं

खास तौर पर, 6 महीने की आयु से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चे

सीने का एक्स-रे

कभी-कभी ब्रॉंकोस्कोपी

पर्टुसिस (काली खांसी)

1-2 सप्ताहों के लिए हल्के लक्षण, जिसके बाद खांसी के दौरे पड़ते हैं

शिशु: खांसी के दौरे जिनके साथ संभावित रूप से होठों या त्वचा पर नीले रंग के निशान (सायनोसिस), खांसी के बाद उल्टी करना या रूक-रूक कर सांस लेना (ऐप्निया)

बड़े बच्चे: खांसी के दौरे जिनके बाद दीर्घ, ऊंची आवाज आ सकती है (हू-हू की आवाज होती है)

खांसी जो अनेक हफ्तों तक बनी रहती है

नाक से लिए गए म्युकस के नमूने का परीक्षण

निमोनिया

खास तौर पर बुखार

कभी-कभी घरघराहट, सांस फूलना और सीने में दर्द

खांसी, जो कभी-कभी प्रोडक्टिव होती है

डॉक्टर की जांच

अक्सर सीने का एक्स-रे

साइनुसाइटिस

नींद की शुरूआत में खांसी या फिर जागने पर सुबह खांसी

कभी कभी नाक से क्रोनिक डिस्चार्ज

डॉक्टर की जांच

कभी-कभी साइनस का CT

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण (सर्वाधिक आम)

बहती नाक और नाक बंद होना

संभावित रूप से बुखार और गले में दर्द

संभावित रूप से गर्दन में छोटी, कठोर (गैर-कोमल), सूजन लसीका ग्रंथि

डॉक्टर की जांच

क्रोनिक खांसी† (4 या अधिक सप्ताह तक बनी रहने वाली)

अस्थमा

ट्रिगर (जैसे पराग या अन्य एलर्जी कारक), सर्दी लगना, या एक्सरसाइज़ के कारण खांसी के दौरे

रात के समय खांसना

कभी-कभी परिवार के सदस्य जिनको दमा है

डॉक्टर की जांच

दमा की दवाओं के साथ उपचार, ताकि यह देखा जा सके कि क्या लक्षणों में राहत मिलती है

फेफड़े के कार्य की परीक्षण करने के लिए सांस लेने की जांच (पल्मोनरी फंक्शन परीक्षण)

फेफड़ों को प्रभावित करने वाले जन्मजात दोष

फेफड़े के एक ही हिस्से में न्यूमोनिया की अनेक घटनाएँ

छाती का एक्स-रे

कभी-कभी CT या MRI

विंडपाइप (श्वासनली) या इसोफ़ेगस को प्रभावित करने वाले जन्मजात दोष

दोष के कारण भिन्नता

खास तौर पर नवजात शिशुओं या शिशुओं में

यदि श्वासनली सामान्य रूप से विकसित नहीं हुई है, संभावित रूप से जोर की आवाज आना जब बच्चा सांस लेता है (स्ट्रिडोर) या बार्की खांसी तथा सांस लेने में कठिनाई

यदि श्वासनली और इसोफ़ेगस के बीच में असामान्य कनेक्शन है (ट्रेकियोइसोफ़ेजियल फ़िस्टुला), खांसी या सांस लेने में कठिनाई जब बच्चे को फीड कराया जाता है तथा बार-बार न्यूमोनिया होना

छाती का एक्स-रे

कभी-कभी ब्रोंकोस्कोपी या एंडोस्कोपी

कभी-कभी CT या MRI

सिस्टिक फाइब्रोसिस

पेट में थिक स्राव के कारण अवरोध (मेकोनियम इलियस) का जन्म के तत्काल बाद पता लग जाता है

बार-बार न्यूमोनिया, साइनुसाइटिस, या दोनो का होना

उम्मीद के अनुसार विकास न करना (विकास करने में विफलता)

उंगलियों का बड़ा हो जाना या नेल बेड (क्लबिंग) के कोण में बदलाव और नेल बेड जो कि नीले रंग का होता है

पसीने का परीक्षण

निदान की पुष्टि करने के लिए संभावित रूप से आनुवंशिक परीक्षण

फेफड़े या वायुमार्ग में बाह्य तत्व

खांसी और गले की अवरूद्धता जो अचानक शुरू हुई थी

अवरूद्धता का समाधान के बाद भी खांसी बनी रहती है या अनेक हफ्तों में बढ़कर और बदतर हो जाती है

संभावित रूप से बुखार

सर्दी के कोई लक्षण नहीं

खास तौर पर, 6 महीने की आयु से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चे

सांस बाहर निकालते हुए और सांस अंदर लेते हुए सीने का एक्स-रे

ब्रोंकोस्कोपी

गैस्ट्रोइसोफ़ेजियल रिफ्लक्स

शिशु: उत्पात मचाना, फीडिंग के बाद थूकना, पीठ का मुड़ना या फीडिंग के बाद रोना और लेटने पर खांसी करना

वजन में कम बढ़ोतरी होना

बड़े बच्चे और किशोर: भोजन करने के बाद सीने में दर्द या जब लेटते हैं तथा संभावित रूप से घरघराहट, कर्कशता, मतली, तथा रिगर्जिटेशन

खांसी जो अक्सर रात को बदतर होती है

डॉक्टर की जांच

शिशु: मौखिक रूप से बेरियम दिए जाने के बाद कभी-कभी ऊपरी पाचन तंत्र का एक्स-रे ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि शरीर रचना सामान्य है

हिस्टामाइन-2 (H2) ब्लॉकर्स से उपचार (यदि लक्षणों में राहत मिलती है, तो संभवतः कारण गैस्ट्रोएसोफ़ेगल रिफ़लक्स रोग होता है)

कभी-कभी इसोफ़ेगस (जिसे pH प्रोब या इम्पीडेंस प्रोब कहा जाता है) में अम्लता या रीफ्लक्स की घटनाओं की माप करने के लिए एक परीक्षण या मुंह से फार्मूला देने के बाद एक्स-रे किया जाता है (गैस्ट्रिक एम्प्टिंग स्कैन) ताकि रीफ्लक्स घटनाओं की पुनरावृत्ति और गंभीरता को तय किया जा सके

बड़े बच्चे: H2 ब्लॉकर्स या प्रोटोन पम्प इन्हिबिटर के साथ उपचार ताकि यह देखा जा सके क्या लक्षणों में राहत मिलती है

संभावित रूप से एंडोस्कोपी

पोस्टनेसल ड्रिप

सिरदर्द, आँखों में खुजली, खास तौर पर सुबह गले में हल्का दर्द और रात में खांसी तथा जब जागते हैं, तब खांसना

एलर्जी का इतिहास

एंटीहिस्टामाइन या कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साथ उपचार (यदि लक्षणों में राहत मिलती है, तो कारण एलर्जी होता है)

संभावित रूप से साइनस का एक्स-रे या CT

साइकोजेनिक या खांसी की आदत

बच्चों में सर्दी या अन्य वायुमार्ग खराश के बाद पैदा हो सकती है

बार-बार (संभवतः हर 2-3 सेकण्ड तक), जागने पर हार्श या हांकिंग खांसी संभावित रूप से कई सप्ताह से महीनों तक बनी रहती है

बच्चे के सोने पर ऐसी खांसी पूरी तरह से बंद हो जाती है

बुखार या अन्य लक्षणों का न होना

डॉक्टर की जांच

अन्य कारणों का पता लगाने के लिए कभी-कभी सीने का एक्स-रे

ट्यूबरक्लोसिस

संक्रमित व्यक्ति के साथ हाल ही में संपर्क में आना

आमतौर पर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनोकम्प्रोमाइज़)

कभी-कभी बुखार, रात को पसीना आना, ठंड लगना, तथा वजन कम होना

सीने का एक्स-रे

ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण या रक्त परीक्षण

* विशेषताओं में लक्षण और डॉक्टर की परीक्षा के परिणाम शामिल हैं। उल्लिखित विशेषताएं सामान्य हैं लेकिन हमेशा मौजूद नहीं होती हैं।

† ऐसे विकारों से पीड़ित बच्चे, जिनके कारण क्रोनिक खांसी होती है, उनको भी 4 सप्ताह से पहले ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। जब क्रोनिक खांसी से पीड़ित बच्चों की पहली बार मूल्यांकन किया जाता है, तो सीने का एक्स-रे जरूर किया जाता है।

CT = कंप्यूटेड टोमोग्राफी; MRI = चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग।