हैपेटाइटिस C, क्रोनिक

इनके द्वाराSonal Kumar, MD, MPH, Weill Cornell Medical College
द्वारा समीक्षा की गईMinhhuyen Nguyen, MD, Fox Chase Cancer Center, Temple University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जुल॰ २०२४ | संशोधित अक्टू॰ २०२४
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क्रोनिक हैपेटाइटिस C लिवर की सूजन है, जो हैपेटाइटिस C वायरस के कारण होती है, यह 6 महीने से अधिक समय तक रहती है।

  • हैपेटाइटिस C होने पर अक्सर तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते जब तक कि लिवर बहुत ज़्यादा खराब नहीं हो जाता।

  • डॉक्टरों को क्रोनिक हैपेटाइटिस C होने का पता रक्त परीक्षण से चलता है।

  • यदि क्रोनिक हैपेटाइटिस C के कारण सिरोसिस हो जाता है, तो हर 6 महीने में लिवर के कैंसर की जांच करवाई जाती है।

  • क्रोनिक हैपेटाइटिस C का इलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है।

(हैपेटाइटिस का विवरण, क्रोनिक हैपेटाइटिस का विवरण और एक्यूट हैपेटाइटिस C भी देखें।)

एक्यूट हैपेटाइटिस C से संक्रमित लगभग 75% मरीज़ों में यह क्रोनिक हैपेटाइटिस में बदल जाता है।

एक अनुमान के मुताबिक, 2013 से 2016 तक, संयुक्त राज्य में 24 लाख लोगों को क्रोनिक हैपेटाइटिस C था। दुनिया भर में, 71 लाख लोगों को क्रोनिक हैपेटाइटिस C होने का अनुमान है।

यदि क्रोनिक हैपेटाइटिस C, का इलाज नहीं किया जाता है, तो लगभग 20 से 30% मरीज़ों को सिरोसिस हो जाता है। हालांकि, सिरोसिस बढ़ने में कई दशक लग सकते हैं। आमतौर पर लिवर का कैंसर होने का खतरा, सिरोसिस होने पर ही बढ़ता है।

हैपेटाइटिस C वायरस कई प्रकार (जीनोटाइप 1 से 6) के होते हैं, जिनका कभी-कभी अलग-अलग दवाओं से इलाज किया जाता है।

क्रोनिक हैपेटाइटिस C के लक्षण

क्रोनिक हैपेटाइटिस C से संक्रमित कई लोगों में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। कुछ लोगों को बीमार होने (मेलेइस) का एहसास, भूख न लगना, थकान होना और पेट खराब होने जैसी परेशानियां होती हैं।

ज़्यादातर इसके शुरुआती लक्षणों में सिरोसिस या सिरोसिस से होने वाली समस्याएँ शामिल होती हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं

मस्तिष्क के काम करने की क्षमता बिगड़ने लगती है क्योंकि खराब लिवर, सामान्य तरीके से काम नहीं करता और खून से जहरीले पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाता। शरीर में इन पदार्थों की मात्रा बढ़ती जाती है और यह मस्तिष्क में पहुँच जाते हैं। सामान्यतः, लिवर इन जहरीले पदार्थों को रक्त से अलग करके बाहर निकालता है, उन्हें तोड़ता है, फिर उन्हें हानिरहित सह-उत्पादों के रूप में पित्त (हरे-पीले रंग का तरल पदार्थ, जो पाचन में सहायता करता है) या रक्त (लिवर के कार्य देखें) में छोड़ देता है। हैपेटिक एन्सेफैलोपैथी के इलाज से मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को स्थायी रूप से बिगड़ने से रोक सकता है।

क्रोनिक हैपेटाइटिस C के लिए जांच

कुछ लोगों को हैपेटाइटिस C की जांच करवाने के लिए अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए, भले ही उनमें हैपेटाइटिस के लक्षण हों या न हों। जोखिम कारकों के न होने पर भी, 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को एक नियमित जांच करवाने की सलाह दी जाती है।

18 वर्ष से कम उम्र के लोग जिनमें निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं, उन्हें भी एक जांच करवाने की सलाह दी जाती है:

  • वे लोग जो किसी तरह की अवैध दवाओं को इंजेक्ट करते हैं या जिन्होंने पहले कभी ऐसा किया हो, भले ही उन्होंने ऐसा सिर्फ़ एक ही बार किया हो

  • अवैध दवाओं को सूंघा हो

  • कोई पुरुष जिसके पुरुष के साथ यौन संबंध हों

  • जिनका वर्तमान में या लंबे समय से हीमोडाइलिसिस किया जा रहा हो

  • जिनके लिवर की जांच के परिणाम असामान्य आए हों या जिन्हें कोई क्रोनिक लिवर विकार हो जिसके कारण का पता न हो

  • ऐसे लोग जो हेल्थ केयर या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए काम करते हों और सुई चुभने से या किसी नुकीली चीज़ से चोट लगने की वजह से हैपेटाइटिस C से पीड़ित किसी व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आए हों

  • HIV संक्रमण हो या जो HIV के संपर्क में आने से पहले एंटीरेट्रोवायरल दवाई लेना शुरू कर रहे हों

  • जो जेल में रहे हों

  • हैपेटाइटिस C से संक्रमित महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चे

इस तरह की जांच महत्वपूर्ण है क्योंकि हैपेटाइटिस के लक्षण तब तक नहीं बढ़ते जब तक कि संक्रमण की वजह से लिवर बहुत ज़्यादा खराब न हो गया हो, ऐसा होने में कई साल लगते हैं।

क्रोनिक हैपेटाइटिस C का निदान

  • रक्त की जाँच

डॉक्टर क्रोनिक हैपेटाइटिस C होने की संभावना जताते हैं, अगर

  • मरीज़ में इसके कुछ खास लक्षण दिखाई दें।

  • रक्त परीक्षण (जो किसी दूसरे कारण से किए गए) में लिवर एंज़ाइम के स्तर में बढ़ोतरी का पता चलता है।

  • वे लोग जिन्हें पहले कभी एक्यूट हैपेटाइटिस C हुआ हो।

क्रोनिक हैपेटाइटिस की जांच के लिए, आमतौर पर सबसे पहले रक्त परीक्षण करवाए जाते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं और कहीं इसमें कोई खराबी तो नहीं है (लिवर परीक्षण)। लिवर के परीक्षणों में लिवर एंज़ाइम और लिवर द्वारा बनाए जाने वाले अन्य पदार्थों के स्तर को मापना भी शामिल है। इन परीक्षणों से हैपेटाइटिस C होना या न होना तय हो जाता है और यह भी पता चल जाता है कि लिवर में कितनी खराबी हुई है।

यदि टेस्ट के नतीजों में हैपेटाइटिस की संभावना दिखती है, तो डॉक्टर हैपेटाइटिस B और C वायरस की जांच के लिए अन्य रक्त परीक्षण कर सकते हैं। ये दोनों वायरस क्रोनिक हैपेटाइटिस का कारण बन सकते हैं। ये रक्त परीक्षण विशिष्ट वायरस (एंटीजन) के भागों, वायरस से लड़ने के लिए शरीर द्वारा निर्मित विशिष्ट एंटीबॉडीज, और कभी-कभी वायरस के आनुवंशिक सामग्री (RNA या DNA) की पहचान कर सकते हैं। अगर डॉक्टरों को सिर्फ़ क्रोनिक हैपेटाइटिस C होने का संदेह होता है, तो वे सिर्फ़ इसी वायरस की जांच के लिए रक्त परीक्षण करवाते हैं।

यदि क्रोनिक हैपेटाइटिस C होने की पुष्टि हो जाती है, तो डॉक्टर HIV संक्रमण और हैपेटाइटिस C की होने की भी जांच करते हैं क्योंकि ये संक्रमण अक्सर एक ही तरह से फैलते हैं—रक्त या वीर्य जैसे शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से।

हैपेटाइटिस C होने का पता चलने के बाद, लिवर में हुई खराबी का पता लगाने के लिए जांच करवाई जा सकती है, इससे लिवर खराब होने के अन्य कारणों का भी पता चल जाता है। परीक्षण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं

अल्ट्रासाउंड, इलास्टोग्राफ़ी, और मैग्नेटिक रेजोनेंस इलास्टोग्राफ़ी में लिवर के ऊतकों की असामान्यता का पता लगाने के लिए, ध्वनि तरंगों की मदद से पेट की जांच की जाती है।

लिवर कैंसर का पता लगाने के लिए जांच

अगर लोगों को क्रोनिक हैपेटाइटिस C है और लिवर में बड़ी मात्रा में घाव (फ़ाइब्रोसिस) या सिरोसिस है, तो लिवर कैंसर की स्क्रीनिंग निम्नलिखित तरीकों से की जाती है:

  • हर 6 महीने में अल्ट्रासाउंड

  • कभी-कभी अल्फ़ा-फ़ीटोप्रोटीन के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण किए जाते हैं

लिवर कैंसर हो, तो अल्फ़ा-फ़ीटोप्रोटीन का स्तर - आम तौर पर भ्रूण में लिवर की अपरिपक्व कोशिकाओं द्वारा बनाया जाने वाला प्रोटीन - बढ़ सकता है।

क्रोनिक हैपेटाइटिस C का उपचार

  • एंटीवायरल दवाइयाँ

क्रोनिक हैपेटाइटिस C का इलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है जिन्हें डायरेक्ट-एक्टिंग एंटीवायरल दवाइयाँ कहा जाता है। आमतौर पर, कई दवाओं का उपयोग एक साथ किया जाता है।

क्रोनिक हैपेटाइटिस C का इलाज तब ही दिया जाना चाहिए जब व्यक्ति को ऐसा कोई अन्य विकार न हो जिसपर इलाज का असर न हो रहा हो और जिससे जान का खतरा हो।

संक्रमण फैलाने वाले हैपेटाइटिस C वायरस के विशिष्ट प्रकार (जीनोटाइप), लिवर को हुए नुकसान की गंभीरता और हैपेटाइटिस C के लिए पूर्व उपचार के आधार पर उपचार अलग-अलग होता है।

हैपेटाइटिस C के इलाज के लिए कई डायरेक्ट-एक्टिंग एंटीवायरल दवाइयाँ उपलब्ध हैं। ये दवाएँ बहुत असरदार होती हैं और इनके बहुत कम दुष्प्रभाव हैं क्योंकि ये सीधे वायरस को निशाना बनाती हैं। इनमें सोफोसबुविर, एल्बसवीर, ग्राज़ोप्रेविर, वेलपैटसविर, ग्लेकाप्रेविर, लेडिपासविर, वोक्साइलप्रविर, और पिब्रेंटसविर (सभी मुंह से ली जाती हैं) शामिल हैं।

इसका इलाज 8 से 24 सप्ताह तक चल सकता है। हैपेटाइटिस C का इलाज शरीर से इसके वायरस को खत्म कर सकता है जिससे सूजन को खत्म हो जाती है परिणामस्वरूप, स्कार नहीं होते और सिरोसिस होने का जोखिम कम हो जाता है।

रिबैविरिन एक एंटीवायरल दवा है, जिसे एंटीवायरल दवाओं के असर को बढ़ाने के लिए कभी-कभी उपचार में जोड़ा जाता है।

अगर क्रोनिक हैपेटाइटिस C के संक्रमण की वजह से लिवर बहुत ज़्यादा खराब हो गया है, तो लिवर ट्रांसप्लांटेशन किया जा सकता है। लिवर ट्रांसप्लांटेशन के बाद, हैपेटाइटिस C से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए अक्सर एंटीवायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उनके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

इलाज पूरा हो जाने के बाद, डॉक्टर यह देखने के लिए रक्त परीक्षण करवाते हैं कि वायरस का कितना आनुवंशिक हिस्सा बचा है। यदि इलाज पूरा होने के 12 सप्ताह बाद तक किसी प्रकार की आनुवंशिक सामग्री का पता नहीं चलता है, तो मरीज़ को ठीक माना जाता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Centers for Disease Control and Prevention: Hepatitis C: यह वेबसाइट हैपेटाइटिस C (परिभाषाओं और आंकड़ों सहित) का विवरण और संचरण, लक्षण, जांच, उपचार और हैपेटाइटिस C और रोजगार के बारे में जानकारी प्रदान करती है। 10 मई 2024 को ऐक्सेस किया गया।

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