ग्लूकोमा

इनके द्वाराDouglas J. Rhee, MD, University Hospitals/Case Western Reserve University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अप्रै. २०२३

ग्लूकोमा आँख के विकारों का एक समूह है जिसमें ऑप्टिक नाड़ी की लगातार क्षति (अक्सर, लेकिन हमेशा नहीं, आँख में दबाव की वृद्धि के साथ) होती है जिसके कारण दृष्टि की स्थायी हानि हो सकती है।

  • जब आँख के भीतर दबाव बढ़ता है तो ऑप्टिक नाड़ी क्षतिग्रस्त हो सकती है।

  • आम तौर से, दृष्टि की हानि इतनी धीरे-धीरे होती है कि उसका लंबे समय तक पता नहीं चलता है।

  • जोखिम वाले लोगों को आँख की पूरी जाँच करवानी चाहिए, जिसमें आँख का दबाव मापना और बगल की (परिधीय) दृष्टि का परीक्षण शामिल है।

  • आँख के दबाव को जिंदगी भर नियंत्रित करना पड़ता है, आम तौर से आई ड्रॉप्स से पर कभी-कभी आँख की सर्जरी से।

अमेरिका में लगभग 3 मिलियन लोगों को और दुनिया भर में 64 मिलियन लोगों को ग्लूकोमा है। ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधेपन का दूसरा सबसे आम कारण है और अमेरिका में जहाँ अश्वेत और हिस्पैनिक लोगों में अंधेपन का यह एक अग्रणी कारण है, वहां अंधेपन का दूसरा सबसे आम कारण है। ग्लूकोमा से ग्रस्त केवल आधे लोगों को पता होता है कि उन्हें ग्लूकोमा है। ग्लूकोमा किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 60 से अधिक उम्र के लोगों में 6 गुना अधिक आम है।

निम्नलिखित में से किसी भी चीज वाले लोगों को सबसे अधिक जोखिम होता है:

  • 40 से अधिक की उम्र

  • अश्वेत जाति

  • परिवार में ऐसे सदस्य जिन्हें यह रोग है (या हुआ था)

  • निकटदृष्टि दोष (ओपन-एंगल ग्लूकोमा में) या दूरदृष्टि दोष (क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा में)

  • मधुमेह

  • उच्च रक्तचाप

  • कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स का लंबे समय तक उपयोग

  • आँख की पुरानी चोट या सर्जरी

ग्लूकोमा तब होता है जब आँख में तरल (एक्वियस ह्यूमर) के उत्पादन और निकास में असंतुलन के कारण आँख का दबाव अस्वस्थ स्तरों तक बढ़ जाता है। आमतौर पर जलीय द्रव, जो आँख को पोषण देता है, आइरिस (पोस्टीरियर चैंबर में) के पीछे सिलियरी बॉडी द्वारा निर्मित होता है और पुतली के माध्यम से आँख के सामने (एंटीरियर चैंबर) तक बहता है, जहां यह परितारिका और कॉर्निया के बीच (“कोण”) निकास नलिकाओं में से बाहर की ओर निकलता है। सही कार्यकलाप के दौरान, यह प्रणाली एक सिंक में लगे नल (सिलियरी बॉडी) और उसकी नाली (निकास नलियाँ) की तरह काम करती है। तरल के उत्पादन और ड्रेनेज के बीच––खुले नल और सही तरह से खाली होने वाले सिंक के बीच–-संतुलन तरल के स्वतंत्र रूप से बहने में मदद करता है और आँख में दबाव को बढ़ने से रोकता है।

सामान्य द्रव जल निकासी

परितारिका (पीछे के कक्ष में) के पीछे सिलियरी बॉडी में द्रव उत्पन्न होता है, आँख के सामने (एंटीरियर कक्ष) में जाता है, और फिर जल निकासी नलिकाओं या ऊवियोस्क्लेरल पाथवे (काले तीर) से बाहर निकलता है।

ग्लूकोमा में, निकास नालियाँ अवरुद्ध हो जाती है, या ढक जाती हैं। तरल आँख से बाहर नहीं निकल पाता है हालांकि पोस्टीरियर चैंबर में नया तरल बनना जारी रहता है। दूसरे शब्दों में, नल के चालू रहने के दौरान सिंक “खाली नहीें होता है”। क्योंकि आँख में से तरल के निकलने का कोई और रास्ता नहीं होता है, आँख में दबाव बढ़ जाता है। जब दबाव ऑप्टिक नाड़ी की सहनशीलता से अधिक हो जाता है, तो ऑप्टिक नाड़ी को क्षति पहुँचती है। इस क्षति से ग्लूकोमा होता है।

कभी-कभी आँख का दबाव सामान्य रेंज के अंदर बढ़ता है लेकिन फिर भी वह ऑप्टिक नाड़ी की सहनशक्ति के लिए बहुत अधिक होता है (जिसे लो-टेंशन ग्लूकोमा या नॉर्मल-टेंशन ग्लूकोमा कहते हैं)। अमेरिका में, ग्लूकोमा वाले लगभग एक तिहाई लोगों को लो-टेंशन ग्लूकोमा होता है। लो-टेंशन ग्लूकोमा एशियाई लोगों में अधिक आम है।

अधिकांश लोगों में, ग्लूकोमा का कारण ज्ञात नहीं होता है। जब ग्लूकोमा के कारण का पता नहीं होता है, तो उसे प्राथमिक ग्लूकोमा कहते हैं। जब ग्लूकोमा का कारण ज्ञात होता है, तो उसे द्वितीयक ग्लूकोमा कहते हैं। द्वितीयक ग्लूकोमा के कारणों में शामिल है, कुछ दवाएँ, संक्रमण, सूजन, ट्यूमर, बड़े मोतियाबिंद या अन्य स्थितियां और मोतियाबिंद के लिए सर्जरी। ये कारण तरल का निकास मुक्त रूप से होने से रोकते हैं, जिससे आँख में दबाव बढ़ जाता है और ऑप्टिक नाड़ी क्षतिग्रस्त हो जाती है।

ग्लूकोमा के प्रकार

वयस्क और बाल्यकाल के ग्लूकोमा के कई प्रकार हैं। अधिकांश ग्लूकोमा दो श्रेणियों में आते हैं:

  • ओपन-एंगल ग्लूकोमा

  • क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा (एंगल-क्लोजर ग्लूकोमा)

ओपन-एंगल ग्लूकोमा क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा से अधिक आम है। ओपन-एंगल ग्लूकोमा में, आँखों की निकास नलियाँ कई महीनों या वर्षों की अवधि में महीन, सूक्ष्मदर्शी से दिखने वाले जमावों से अवरुद्ध हो जाती हैं। इस प्रकार का ग्लूकोमा "ओपन" होता है क्योंकि (स्लिट लैंप जैसे आवर्धन के साथ देखने पर) नलियां अवरुद्ध नहीं दिखती हैं, लेकिन फिर भी उनमें से अपर्याप्त निकास होता है। आँख में दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है क्योंकि तरल सामान्य दर से उत्पन्न होता है लेकिन मंद गति से खाली होता है।

क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा ओपन-एंगल ग्लूकोमा से कम आम है। क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा में, आँखों की निकास नलियाँ परितारिका और कोर्निया के बीच के कोण के बहुत संकरा होने के कारण अवरुद्ध हो जाती हैं या ढक जाती हैं। इस प्रकार का ग्लूकोमा “क्लोज्ड” होता है क्योंकि नलियाँ स्पष्ट रूप से अवरुद्ध होती हैं। यह अवरोध अचानक (जिसे अक्यूट क्लेज्ड-एंगल ग्लूकोमा कहते हैं) या धीरे-धीरे (जिसे क्रॉनिक क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा कहते हैं) हो सकता है। यदि अवरोध अचानक होता है, तो आँख में दबाव तेजी से बढ़ता है। यदि अवरोध धीरे-धीरे होता है, तो आँख में दबाव ओपन-एंगल ग्लूकोमा की तरह धीरे-धीरे बढ़ता है।

ग्लूकोमा के लक्षण

ओपन-एंगल ग्लूकोमा

ओपन-एंगल ग्लूकोमा दर्दरहित होता है और आरंभ में कोई लक्षण पैदा नहीं करता है। आम तौर से दोनों आँखें प्रभावित होती हैं लेकिन अक्सर समान रूप से नहीं। ओपन-एंगल ग्लूकोमा का मुख्य लक्षण है, कई महीनों से वर्षों की अवधि में अंध बिंदु, या दृष्टि की हानि के क्षेत्र विकसित होना। अंध बिंदु धीरे-धीरे बड़े होते हैं और आपस में मिल जाते हैं। सबसे पहले परिधीय दृष्टि की हानि होती है। लोगों को सीढ़ियाँ नहीं दिख सकती हैं, पढ़ते समय शब्दों के अंश दिखाई नहीं देते हैं, या गाड़ी चलाने में कठिनाई होती है। दृष्टि की हानि इतनी धीरे-धीरे होती है कि बहुत ज्यादा हानि न होने तक उस पर ध्यान नहीं जाता है। क्योंकि केंद्रीय दृष्टि की हानि आम तौर से सबसे आखिर में होती है, कई लोगों में संकरी दृष्टि विकसित होती है: वे सामने की चीजें ठीक से देख सकते हैं लेकिन सभी अन्य दिशाओं में अंधे हो जाते हैं। यदि ग्लूकोमा का उपचार नहीं किया जाता है, तो अंत में टनल विज़न भी चला जाता है, और व्यक्ति पूरा अंधा हो जाता है।

क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा

अक्यूट क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा में, आँख का दबाव तेजी से बढ़ता है, और लोगों को आम तौर से आँख में तीव्र दर्द और सिरदर्द लालिमा, धुंधला दिखना, रोशनी के चारों ओर इंद्रधनुषी प्रभामंडल, और दृष्टि की अचानक हानि के लक्षण होते हैं। उन्हें आँख के दबाव के परिणामस्वरूप मतली और उल्टी भी हो सकती है। अक्यूट क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा को मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है क्योंकि यदि इस अवस्था का उपचार नहीं किया जाता है तो लक्षणों के प्रकट होने के केवल 2 से 3 घंटों जितने समय में ही लोगों की नज़र जा सकती है।

क्रॉनिक क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा में, आँख का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है, और लक्षण आम तौर से ओपन-एंगल ग्लूकोमा की तरह शुरू होते हैं। कुछ लोगों को आँख में लालिमा, तकलीफ, धुंधली दृष्टि, या सिरदर्द हो सकता है जो सोने से कम होता है। आँख का दबाव सामान्य हो सकता है लेकिन आम तौर पर प्रभावित आँख में अधिक होता है।

जिन लोगों को एक आँख में ओपन-एंगल ग्लूकोमा या क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा होता है उनकी दूसरी आँख में भी उसके विकसित होने की संभावना होती है।

ग्लूकोमा का निदान

  • डॉक्टर द्वारा आँखों की जाँच

यदि डॉक्टरों को ग्लूकोमा का संदेह होता है (जैसे, आँखों की नियमित जाँच पर मिले निष्कर्ष के आधार पर), तो वे ग्लूकोमा के लिए विस्तृत नेत्र जाँच करते हैं। ग्लूकोमा के लिए आँख की विस्तृत जाँच के पाँच हिस्से होते हैं:

  • आँख के दबाव का मापन

  • ऑप्टिक नाड़ी का मूल्यांकन

  • दृष्टि के क्षेत्र का परीक्षण

  • गोनियोस्कोपी

  • कोर्निया का मापन

डॉक्टर आँख में दबाव को मापते हैं। यह मापन बिना दर्द के, टोनोमीटर कहे जाने वाले एक यंत्र के साथ किया जाता है। आँख के अंदर सामान्य दबाव रीडिंग 11 से 21 मिलीमीटर ऑफ मर्क्यूरी के बीच होती हैं। आम तौर पर, आँख के दबाव की 21 मिमी मर्क्यूरी से अधिक की रीडिंग को सामान्य से ऊपर माना जाता है।

लेकिन आँख के दबाव को मापना ही काफी नहीं है क्योंकि ग्लूकोमा वाले एक तिहाई या उससे अधिक लोगों में आँख का दबाव औसत सीमा में रहता है, और कुछ लोगों की आँख के दबाव की ऊंची रीडिंग ग्लूकोमा के कारण नहीं होती है। इसलिए, डॉक्टर ऑप्टिक नाड़ी में ग्लूकोमा के कारण होने वाली क्षति का संकेत देने वाले परिवर्तनों की तलाश करने के लिए ऑफ्थैल्मोस्कोप और कभी-कभी अन्य उपकरणों (जैसे कि ऑप्टिकल कोहेंरेंस टोमोग्राफी) का उपयोग भी करते हैं।

इसके अलावा, दृष्टि के क्षेत्र का परीक्षण (परिधीय दृष्टि का परीक्षण) डॉक्टर को अंध बिंदुओं का पता लगाने का अवसर देता है। कई बार, दृष्टि के क्षेत्र का परीक्षण एक मशीन से किया जाता है जो दृष्टि के क्षेत्र के सभी इलाकों में व्यक्ति की प्रकाश के छोटे-छोटे बिंदुओं को देखने की क्षमता का निर्धारण करती है।

डॉक्टर आँख में निकास नलिकाओं की जाँच करने के लिए एक विशेष लेंस का उपयोग भी करते हैं, जिसे गोनियोस्कोपी प्रक्रिया कहते हैं। गोनियोस्कोप डॉक्टरों को यह निर्धारित करने का अवसर देता है कि ग्लूकोमा ओपन-एंगल प्रकार का है या क्लोज्ड-एंगल प्रकार का।

डॉक्टर कोर्निया की मोटाई भी मापते हैं। यदि कोर्निया पतली है, तो ग्लूकोमा के विकसित होने की अधिक संभावना होती है। हालांकि, पतली कोर्निया के होने का मतलब यह नहीं है कि ग्लूकोमा मौजूद है।

क्या आप जानते हैं...

  • एंटीकॉलिनर्जिक प्रभाव उत्पन्न करने वाली दवाइयाँ (जैसे, एलर्जी, सर्दी, या नींद की दवाइयाँ जिनमें एंटीहिस्टामाइन होता है) पुतलियों को चौड़ा कर सकती हैं, इसलिए वृद्ध लोगों के द्वारा ये दवाइयाँ लेने से पहले, उनकी आँखों की जाँच करके देखना चाहिए कि क्या उन्हें क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा विकसित होने की संभावना है।

स्क्रीनिंग (जांच)

क्योंकि ग्लूकोमा के सबसे आम प्रकार कई वर्षों की अवधि में दृष्टि की धीमी और चुपचाप हानि पैदा कर सकते हैं, रोग की जल्दी पहचान करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ग्लूकोमा के उच्च जोखिम (जोखिम कारकों की सूची देखें) वाले सभी लोगों को हर 1 से 2 वर्ष में आँख की नियमित विस्तृत जाँच करवानी चाहिए।

ग्लूकोमा का उपचार

  • दवाएँ

  • कभी-कभी सर्जरी

जब किसी व्यक्ति की नज़र ग्लूकोमा के कारण जाती है, तो यह हानि स्थायी होती है। लेकिन यदि ग्लूकोमा का पता चल जाता है, तो उचित उपचार दृष्टि को और हानि पहुँचने से रोक सकता है। इसलिए ग्लूकोमा के उपचार का लक्ष्य आँख में दबाव को कम करके ऑप्टिक नाड़ी को अधिक नुकसान और दृष्टि की अधिक हानि होने से रोकना है।

ग्लूकोमा का उपचार जीवन भर चलता है। इसमें नेत्र गोलक के बाहर तरल के निकास को बढ़ाकर या नेत्र गोलक के अंदर पैदा होने वाले तरल की मात्रा को कम करके आँख के दबाव को कम करना शामिल होता है। आँख में उच्च दबाव वाले कुछ लोगों की, जिन्हें ऑप्टिक नाड़ी की क्षति को संकेत नहीं होते हैं (जिन्हें ग्लूकोमा के “संदिग्ध” कहते हैं), उपचार के बिना बारीकी से निगरानी की जा सकती है।

मुख्य रूप से आई ड्रॉप्स के रूप में दवाइयाँ और सर्जरी ग्लूकोमा के मुख्य उपचार हैं। ग्लूकोमा का प्रकार और गंभीरता उपयुक्त उपचार निर्धारण करते हैं।

  • ओपन-एंगल ग्लूकोमा वाले अधिकांश लोगों को उपचार के लिए प्रयुक्त दवाइयों से अच्छा फायदा होता है।

  • इन दवाइयों का उपयोग क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा वाले लोगों के लिए भी किया जा सकता है, लेकिन इसका मुख्य उपचार सर्जरी है, आई ड्रॉप्स नहीं।

दवाएँ

ग्लूकोमा का उपचार करने के लिए आम तौर से बीटा-ब्लॉकर्स (जैसे कि टिमोलॉल), प्रॉस्टाग्लैंडिन जैसे यौगिकों, अल्फा-एड्रीनर्जिक एगोनिस्ट्स, या कार्बोनिक एनहाइड्रेज़ इन्हिबिटर्स से युक्त आई ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है। कोलिनर्जिक दवाइयों (जैसे कि पाइलोकार्पीन) का उपयोग पहले किया जाता था लेकिन अब अधिक आम रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

ग्लूकोमा आई ड्रॉप्स आम तौर से सुरक्षित होती हैं लेकिन वे विविध प्रकार के दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। लोगों को अपने शेष जीवन भर उनका उपयोग करना पड़ता है, और आँख के दबाव, ऑप्टिक तंत्रिका और दृष्टि के क्षेत्रों की नियमित जाँच कराने की जरूरत होती है। आम तौर से, शुरू में केवल एक आँख में (जिसे एक आँख की आजमाइश कहते हैं) या दोनों आँखों में दवाइयों का उपयोग किया जाता है। यदि 1 से 4 सप्ताह के बाद उपचार की गई आँख में सुधार होता है, तो दोनों आँखों का उपचार किया जाता है।

एक्यूट क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा एक मेडिकल इमरजेंसी है, इसलिए डॉक्टर आँख के दबाव को तेजी से कम करने के लिए बहुत शक्तिशाली और तेजी से काम करने वाली दवाइयों के संयोजन का उपयोग कर सकते हैं। लोगों को एक साथ कई दवाइयाँ दी जाती हैं, जिसकी शुरुआत आई ड्रॉप्स (जैसे कि, टिमोलोल, ब्रिमोनिडीन और पाइलोकार्पीन) से की जाती है। फिर डॉक्टर एसीटाज़ोलेमाइड गोलियां और डाइयूरेटिक दवाइयाँ जैसे कि ग्लिसरीन या आइसोसॉर्बाइड (मुंह से) या मैनिटॉल (शिरा द्वारा) देते हैं, यदि उन्हें आँख उच्च दबाव के प्रति संवेदनशील लगती है। यथा संभव शीघ्रता से दोनों आँखों की इमरजेंसी लेज़र सर्जरी की जाती है। दोनों आँखों का उपचार किया जाता है क्योंकि उपचार न करने पर अप्रभावित आँख के भी प्रभावित होने की संभावना होती है।

टेबल

सर्जरी

सर्जरी की जरूरत उन लोगों को पड़ सकती है जिनकी आँख में दबाव अत्यधिक है, जिनकी आँख में दबाव आई ड्रॉप्स से प्रभावी ढंग से नियंत्रित नहीं होता है, जो आई ड्रॉप्स नहीं ले सकते हैं, जिन्हें आई ड्रॉप्स से असहनीय दुष्प्रभाव होते हैं, या जिन्हें डॉक्टर को दिखाने से पहले ही दृष्टि के क्षेत्र में गंभीर क्षति हो चुकी होती है।

लेज़र सर्जरी का उपयोग ओपन-एंगल ग्लूकोमा वाले लोगों में निकास बढ़ाने (लेज़र ट्रैबेकुलोप्लास्टी) या अक्यूट या क्रॉनिक क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा वाले लोगों में परितारिका में छिद्र बनाने (लेज़र पेरिफेरल आइरिडोटमी) के लिए किया जा सकता है। लेज़़र सर्जरी डॉक्टर के क्लिनिक या अस्पताल में की जा सकती है। दर्द की रोकथाम के लिए एनेस्थेटिक आई ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है। आम तौर से लोग प्रक्रिया के दिन ही घर जा सकते हैं। प्रमाण संकेत देते हैं कि ओपन-एंगल ग्लूकोमा में लेजर सर्जरी से उपचार कम से कम मेडिकल थेरेपी के जितना प्रभावी होता है। नया निदान वाले नए लोगों के लिए लेजर ट्रैबेक्युलेक्यूलोप्लास्टी के साथ उपचार शुरू करना स्वीकार्य है और अक्सर इसकी सलाह दी जाती है।

ग्लूकोमा लेज़र सर्जरी की सबसे आम जटिलता है आँख के दबाव में अस्थायी वृद्धि, जिसका उपचार ग्लूकोमा की आई ड्रॉप्स से किया जाता है। दुर्लभ रूप से, लेज़र सर्जरी में प्रयुक्त लेज़र कोर्निया को जला सकता है, लेकिन ये घाव आम तौर से शीघ्र ठीक हो जाते हैं।

ग्लूकोमा फिल्ट्रेशन सर्जरी एक और प्रकार की सर्जरी है जिसका उपयोग डॉक्टर ग्लूकोमा का उपचार करने के लिए करते हैं। पारंपरिक ग्लूकोमा फिल्ट्रेशन सर्जरी के साथ, डॉक्टर अवरुद्ध नलिकाओं को बायपास करके तरल के आँख से बाहर निकलने के लिए एक नई निकास प्रणाली (ट्रैबेकुलेक्टमी या ट्यूब शंट) बनाते हैं। आम तौर से पारंपरिक ग्लूकोमा फिल्ट्रेशन सर्जरी अस्पताल में की जाती है। आम तौर पर लोग उसी दिन घर वापस जा सकते हैं।

पार्शियल थिकनेस प्रक्रियाएं (विस्कोकैनालोस्टमी, डीप स्क्लेरेक्टमी और कैनालोप्लास्टी) वैकल्पिक फिल्ट्रेशन प्रक्रियाएं हैं जिनका उपयोग फ़्लूड के निकास को बढ़ाने के लिए निकास प्रणाली के केवल एक हिस्से को निकालने के लिए किया जाता है। ये प्रक्रियाएं अस्पताल में या आउटपेशंट सर्जरी सेंटर में की जा सकती हैं। आम तौर पर लोग उसी दिन घर वापस जा सकते हैं।

दुर्लभ रूप से, ट्रैबेकुलेक्टमी फिल्ट्रेशन प्रक्रिया के कारण आँख में गंभीर संक्रमण हो सकता है (एंडॉफ्थैल्माइटिस)। ग्लूकोमा फिल्ट्रेशन सर्जरी के कारण मोतियाबिंद की वृद्धि की दर बढ़ सकती है, आँख में दबाव बहुत कम हो सकता है, या आँख के पिछले हिस्से में सूजन हो सकती है।

द्वितीयक ग्लूकोमा

अन्य विकारों के कारण होने वाले ग्लूकोमा का उपचार कारण पर निर्भर होता है।

संक्रमण या शोथ के लिए, एंटीबायोटिक, एंटीवायरल, या कॉर्टिकोस्टेरॉयड आई ड्रॉप्स इलाज में मदद कर सकती हैं।

तरल के निकास को अवरुद्ध करने वाले ट्यूमर की तरह ही आँख के दबाव को बढ़ाने वाले मोतियाबिंद का भी उपचार करना चाहिए। ऐसे मोतियाबिंद को निकालने से द्वितीयक ग्लूकोमा की रोकथाम हो सकती है लेकिन कभी-कभी आँख का दबाव बढ़ जाता है। मोतियाबिंद सर्जरी से होने वाले आँख के उच्च दबाव का उपचार ग्लूकोमा की आई ड्रॉप्स से किया जा सकता है जो आँख के दबाव को कम करती हैं। यदि आई ड्रॉप्स काम नहीं करती हैं, तो ग्लूकोमा फिल्ट्रेशन सर्जरी की जा सकती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. ग्लूकोमा रिसर्च फाउंडेशन: ग्लूकोमा का इलाज खोजने के लिए नवाचारी शोध के बारे में जानकारी के साथ-साथ इस रोग से ग्रस्त लोगों की देखभाल और उपचार के बारे में मूलभूत जानकारी।

  2. अमेरिकन काउंसिल ऑफ द ब्लाइंड (ACB): दृष्टिहीन और क्षीण दृष्टि वाले लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रोग्राम और सेवाएं, जिनमें ब्रेल फोरम और प्रकाशन, ACB रेडियो प्रोग्राम, और अन्य प्रासंगिक मीडिया शामिल है।

  3. American Foundation for the Blind: दृष्टिहीनता या दृष्टि की क्षीणता वाले लोगों के लिए अवसरों का विस्तार करने के लिए अनुसंधान, शैक्षणिक, और रोज़गार के मौकों तक पहुँच।