न्यूमोथोरैक्स तब होता है, जब प्लूरा की दो परतों (पतली, पारदर्शी, दो-परत वाली झिल्ली, जो फेफड़ों को ढँके रहती है और छाती की सतह को अंदर से भी ढँके रहती है) के बीच हवा भर जाती है, जिसकी वजह से फेफड़े आंशिक या पूरी तरह से सिकुड़ जाते है।
सांस लेने में मुश्किल और छाती में तेज दर्द होना, इसके लक्षण होते हैं।
इसका पता चेस्ट या अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से लगाया जाता है।
इसका इलाज आमतौर पर ट्यूब के ज़रिए हवा को बहाकर, कभी-कभी छाती में एक पतली लचीली ट्यूब (कैथेटर) डालकर किया जाता है।
(प्लूरल और मीडियास्टीनल विकारों के विवरण भी देखें।)
आमतौर पर प्लूरा के अंदर का दाब, फेफड़ों के अंदर या छाती के बाहर के दाब की तुलना में कम होता है। यदि फेफड़े में कोई छेद हो जाए, जिससे प्लूरा और फेफड़ों के अंदर या छाती के बाहर के बीच कनेक्शन बन जाए, तो हवा प्लूरा में तब तक जाती रहती है, जब तक कि दोनों ओर का दाब बराबर नहीं हो जाता या कनेक्शन बंद नहीं हो जाता। जब प्लूरल स्पेस में हवा भर जाती है, तो फेफड़े थोड़े सिकुड़ जाते है। कभी-कभी फेफड़े का ज़्यादातर हिस्सा या पूरा फेफड़ा फूल जाता है, जिससे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है।
प्राइमरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स एक ऐसा न्यूमोथोरैक्स होता है, जो उन लोगों को बिना किसी स्पष्ट कारण के हो जाता है, जिनको फेफड़ों का कोई रोग नहीं होता है। प्राइमरी न्यूमोथोरैक्स आमतौर पर तब होता है, जब फेफड़ा किसी कमज़ोर जगह (बुला) पर फट जाता है। धूम्रपान करने वाले 40 साल से कम उम्र के अच्छी हाइट वाले पुरुषों में यह स्थिति सबसे आम होती है। ज्यादातर लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन अधिकतम 50% पीड़ितों में प्राइमरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स बार-बार हो जाता है।
फेफड़ों की किसी छिपी हुई बीमारी से पीड़ित लोगों को सेकंडरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स होता है। इस प्रकार का न्यूमोथोरैक्स अक्सर तब होता है, जब क्रोनिक अवरोधक फेफड़ा रोग (COPD) से पीड़ित किसी वृद्ध व्यक्ति का बुला फट जाता है, लेकिन यह फेफड़ों के अन्य रोगों, जैसे सिस्टिक फ़ाइब्रोसिस, दमा, पल्मोनरी लैंगरहैंस सेल हिस्टियोसाइटोसिस, सार्कोइडोसिस, फेफड़े का ऐब्सेस, ट्यूबरक्लोसिस और न्यूमोसिस्टिस निमोनिया से पीड़ित लोगों में भी होता है। फेफड़ों के छिपे हुए विकारों के कारण, आमतौर पर सेकंडरी न्यूमोथोरैक्स से पीड़ित लोगों में लक्षण और नतीज़े ज़्यादा खराब होते हैं। इसके बार-बार होने की दर भी प्राइमरी न्यूमोथोरैक्स के समान ही होती है।
केटामेनियाल न्यूमोथोरैक्स, सेकंडरी न्यूमोथोरैक्स का एक दुर्लभ रूप होता है। यह पूर्वरजोनिवृत्ति वाली महिलाओं में मासिक धर्म शुरु होने के 48 घंटों के भीतर और कभी-कभी एस्ट्रोजेन लेने वाली रजोनिवृत्ति उपरांत महिलाओं में होता है। यह छाती में एंडोमेट्रियोसिस के कारण होता है, जिसमें संभवतः गर्भाशय की ऊपरी परत (एंडोमेट्रियम) का ऊतक डायाफ़्राम की किसी खुली जगह से या शिराओं के ज़रिए फेफड़ों में पहुँच जाता है (एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा चिकित्सीय शब्द है, जो तब उपयोग किया जाता है, जब एंडोमेट्रियम का ऊतक गर्भाशय के अलावा कहीं और दिखाई देता है)।
न्यूमोथोरैक्स ऐसी किसी चोट या सर्जरी के बाद भी हो सकता है, जिससे प्लूरल स्पेस में हवा भर गई हो (इसे ट्रॉमैटिक न्यूमोथोरैक्स कहा जाता है)। चिकित्सा प्रक्रियाएँ जैसे थोरासेंटेसिस, ब्रोंकोस्कोपी या थोरैकोस्कोपी ट्रॉमैटिक न्यूमोथोरैक्स का कारण बन सकती हैं। वेंटिलेटर फेफड़ों में दबाव क्षति पहुँचा सकते हैं, जिससे न्यूमोथोरैक्स हो सकता है—अक्सर COPD या गंभीर तीव्र रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के पीड़ितों में। फेफड़े के दबाव में परिवर्तन (जैसा कि गोताखोरों [बैरोट्रॉमा] और एयरलाइन पायलटों में होता है) न्यूमोथोरैक्स के जोखिम को बढ़ा सकता है।
न्यूमोथोरैक्स के लक्षण
लक्षण इस आधार पर काफ़ी अलग-अलग हो सकते हैं कि हवा प्लूरल स्पेस में कैसे पहुँची है, फेफड़ा कितना सिकुड़ता है और न्यूमोथोरैक्स होने से पहले व्यक्ति के फेफड़े की स्थिति कैसी थी। इनमें बिना किसी लक्षण से लेकर सांस की थोड़ी तकलीफ या छाती में दर्द से लेकर सांस लेने में परेशानी, सदमा और जानलेवा कार्डियक अरेस्ट तक शामिल होते हैं।
अक्सर छाती में तेज दर्द और सांस लेने में मुश्किल और कभी-कभी अचानक सूखी खाँसी शुरू हो जाती है। कंधे, गर्दन या पेट में दर्द भी महसूस हो सकता है। तेजी से उत्पन्न होने वाले न्यूमोथोरैक्स की तुलना में धीरे-धीरे होने वाले न्यूमोथोरैक्स के लक्षण कम गंभीर होते हैं।
अगर न्यूमोथोरैक्स बहुत बड़ा नहीं है या छाती की प्रमुख रक्त वाहिकाओं को दबाने वाला ज़्यादा दाब (टेंशन न्यूमोथोरैक्स) नहीं बना रहा है, तो जैसे-जैसे शरीर फेफड़ों पर लगने वाले दाब के अनुकूल बनता जाता है, वैसे-वैसे लक्षण आमतौर पर कम होते जाते हैं और फेफड़े धीरे-धीरे प्लूरल स्पेस से हवा को खींचकर फिर से फूलने लगते हैं।
न्यूमोथोरैक्स का पता लगाना
शारीरिक परीक्षण
छाती का एक्स-रे या अल्ट्रासोनोग्राफ़ी
अगर न्यूमोथोरैक्स बड़ा है, तो आमतौर पर शारीरिक जांच से उसके निदान की पुष्टि होती है। स्टेथोस्कोप का उपयोग करके, डॉक्टर यह पता लगा सकता है कि छाती का एक हिस्सा सांस की सामान्य आवाज़ उत्पन्न नहीं करता है और जब छाती को दबाया जाता है, तो उसमें से खोखले ड्रम जैसी आवाज़ आती है। कभी-कभी हवा, छाती की त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाती है और कागज के मुड़ने जैसी आवाज़ निकालती है, जिसे छाती को छूकर और उसकी आवाज़ सुनकर महसूस किया जा सकता है।
छाती के एक्स-रे में हवा भरी जगह और पतली आंतरिक प्लूरल परत से ढँका दबा हुआ फेफड़ा दिखाई देता है। छाती के एक्स-रे में यह भी दिखाई दे सकता है कि कहीं ट्रेकिया (गले में से होकर जाने वाली वायुनली) एक ओर दब तो नहीं रही है। अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से न्यूमोथोरैक्स का भी निदान हो सकता है।
न्यूमोथोरैक्स का उपचार
हवा को निकालना
प्राइमरी न्यूमोथोरैक्स के लिए आमतौर पर किसी उपचार की ज़रूरत नहीं पड़ती है। इससे आमतौर पर सांस लेने में गंभीर समस्या नहीं होती है और हवा कई दिनों में अवशोषित होती है। बड़े न्यूमोथोरैक्स में हवा के पूर्ण अवशोषण में 2 से 4 सप्ताह लग सकते हैं। हालांकि, न्यूमोथोरैक्स में कैथेटर या चेस्ट ट्यूब डालकर हवा को और तेजी से हटाया जा सकता है।
अगर प्राइमरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स इतना बड़ा है कि उससे सांस लेने में समस्या हो रही है, तो उसके अंदर भरी हवा को छाती में डाली गई पतली लचीली ट्यूब (कैथेटर) से जुड़ी एक बड़ी सिरिंज के ज़रिए निकाला (एस्पिरेट किया) जा सकता है। कैथेटर को निकाला जा सकता है या सीलबंद किया जा सकता है और कुछ समय के लिए एक स्थान पर छोड़ा जा सकता है, ताकि इकट्ठा होने वाली हवा को निकाला जा सके। प्राइमरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैसिस से पीड़ित लोगों को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए और इसमें उन्हें धूम्रपान छोड़ने की काउंसलिंग से मदद मिल सकती है।
अगर कैथेटर एस्पिरेशन असफल हो जाता है और जब किसी दूसरे प्रकार का न्यूमोथोरैक्स (जैसे कि सेकंडरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स या ट्रॉमैटिक न्यूमोथोरैक्स) हो गया हो, तब हवा को बाहर निकालने के लिए चेस्ट ट्यूब का उपयोग किया जाता है। चेस्ट ट्यूब को छाती की दीवार में एक चीरा लगाकर डाला जाता है और उसे एक पानी से सीलबंद ड्रेनेज सिस्टम तथा वन-वे वाल्व से जोड़ दिया जाता है, जिससे हवा बाहर तो निकल जाती है, लेकिन अंदर नहीं आ पाती। अगर वायुनली और प्लूरल स्पेस के बीच बने असामान्य कनेक्शन (फ़िस्टुला) से हवा का रिसना जारी रहता है, तो चेस्ट ट्यूब से सक्शन पंप भी जोड़ा जा सकता है।
कभी-कभी सर्जरी आवश्यक होती है। सर्जरी के लिए अक्सर छाती की दीवार से होकर प्लूरल स्पेस में एक थोरैकोस्कोप डाला जाता है।
न्यूमोथोरैक्स का बार-बार होना
बार-बार होने वाले न्यूमोथोरैक्स से काफ़ी अक्षमता हो सकती है। बार-बार होने वाले न्यूमोथोरैक्स से बचाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। आमतौर पर सर्जरी में फेफड़े के लीक वाले क्षेत्रों की मरम्मत करना, प्लयूरा की भीतरी परत को बाहरी परत से मजबूती से जोड़ना शामिल होता है। यह सर्जरी आमतौर पर वीडियो सक्षम थोरैकोस्कोप (एक ट्यूब, जो डॉक्टर को प्लूरल स्पेस देखने में सक्षम करता है) का उपयोग करके की जाती है। जिन लोगों को सर्जरी की ज़रूरत हो सकती है, उनमें शामिल हैं
अधिक जोखिम वाले लोग—जैसे कि गोताखोर और वायुयान चालक—पहली बार न्यूमोथोरैक्स होने के बाद
वह लोग, जिनको सेकंडरी स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स हो—पहली बार न्यूमोथोरैक्स होने के बाद, व्यक्ति का स्वास्थ्य इतना ठीक हो कि वह सर्जरी करवा सके
वह लोग, जिनमें न्यूमोथोरैक्स ठीक नहीं हो रहा हो या जिन्हें एक ही साइड में दो बार न्यूमोथोरैक्स हो चुका हो
अगर किसी व्यक्ति को न्यूमोथोरैक्स बार-बार होता है और वह खराब स्वास्थ्य के कारण सर्जरी सहन नहीं कर सकता, तो प्लूरल स्पेस से हवा निकालने के लिए छाती में ट्यूब डालकर और पाउडर मिश्रण या डॉक्सीसाइक्लिन दवा देकर उस स्पेस को सीलबंद किया जा सकता है। लेकिन, इस स्पेस को इस तरह सीलबंद करना, सर्जरी की तुलना में कम प्रभावी होता है। इस तरह से सीलबंद कर दिए जाने पर 15% लोगों में न्यूमोथोरैक्स बाद में फिर से उत्पन्न हो जाता है। इसके विपरीत, जब सर्जरी की जाती है, तब सिर्फ़ 5% लोगों में न्यूमोथोरैक्स की समस्या उत्पन्न होती है।