मुंह और गले का कैंसर

(मुंह में कैंसर; ऑरोफेरंजियल कैंसर)

इनके द्वाराBradley A. Schiff, MD, Montefiore Medical Center, The University Hospital of Albert Einstein College of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२४

मुंह और गले के कैंसर होने पर होंठ, तालु, मुंह के अंदर दोनों तरफ़ या सतह, जीभ, टॉन्सिल या गले के पीछे की ओर कैंसर हो जाता है।

  • मुंह और गले के कैंसर खुले घावों, बढ़ी हुई त्वचा या मुंह में बदले हुए रंगों की तरह लगते हैं।

  • मुंह और गले के कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टर बायोप्सी करते हैं।

  • कैंसर के आकार और उसके फैलाव का पता लगाने के लिए इमेजिंग टेस्ट किये जाते हैं, जैसे कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी, मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग और पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफ़ी।

  • इलाज कैंसर की जगह, आकार और फैलाव की सीमा पर निर्भर करता है और इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है।

2024 में अमेरिका में, मुंह और गले के कैंसर के अनुमानित रूप से 55,000 नए मामले होंगे। हालांकि मुंह और गले के कैंसर की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन इसके ठीक होने की दरों में भी सुधार हो रहा है।

(मुंह, नाक और गले के कैंसर का विवरण भी देखें।)

मुंह और गले में होने वाले कैंसर के प्रकार

अब तक स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा सबसे आम तरह का मुंह का कैंसर है, जिसका मतलब है कि कैंसर स्क्वेमस सेल में होता है जो मुंह या गले के अंदर होते हैं। अन्य तरह के कैंसर बहुत कम आम हैं, जैसे वीरुकस (वार्टी) कार्सिनोमा, हानिकारक मेलेनोमा, और कापोसी सार्कोमा

मुंह और गले के कैंसर के जोखिम कारक

मुंह और गले के कैंसर के मुख्य जोखिम कारक ये हैं

  • तंबाकू का उपयोग

  • शराब का उपयोग

  • ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) संक्रमण

तंबाकू का इस्तेमाल करने से मुंह और गले के कैंसर होते हैं। तंबाकू का इस्तेमाल करने में सिगरेट, सिगार या पाइप पीना; तंबाकू चबाना या बीटल क्विड चबाना (तंबाकू और अन्य चीज़ों को मिलाकर बनी चीज़, जिसे पान भी कहते हैं); और बिना धुएं का तंबाकू पीना। अमेरिका में, सिगरेट पीना (खासतौर पर दिन में 2 पैकेट से ज़्यादा) मुंह और गले के कैंसर के लिए तंबाकू से जुड़ा मुख्य जोखिम कारक है। सिगार पीने से भी खतरा बढ़ता है। पाइप से धूम्रपान करने से होंठों के उन हिस्सों पर कैंसर होने का खतरा होता है जहां पाइप का छोर लगा होता है। चबाने वाले या सूंघने वाले तंबाकू से गाल, मसूड़े और होंठों के अंदर के हिस्से में कैंसर होने का जोख़िम बढ़ जाता है, जहां तंबाकू सबसे ज़्यादा संपर्क में आता है।

शराब का क्रोनिक या गंभीर रूप से इस्तेमाल करने से भी मुंह और गले का कैंसर होने का खतरा होता है। अल्कोहल के सेवन की मात्रा बढ़ने से खतरा भी बढ़ जाता है।

तंबाकू और अल्कोहल दोनों का एक साथ बहुत ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से सबसे ज़्यादा जोख़िम होता है, जो कि इन दोनों में से एक को इस्तेमाल करने से मुंह और गले का कैंसर होने के खतरे को कहीं अधिक बढा देता है। जो मुंह और गले के कैंसर के बावजूद तंबाकू और अल्कोहल का इस्तेमाल जारी रखते हैं उन्हें बाकी लोगों की तुलना में दूसरा कैंसर होने का खतरा दोगुना होता है।

ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) वह वायरस है जिसकी वजह से जननांग में मस्से हो जाते हैं, इससे ओरल सेक्स करने के दौरान मुंह में संक्रमण हो सकता है, जो मुंह और गले के कैंसर से संबंधित होता है। HPV से होने वाले मुंह और गले के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, मुख्य तौर पर उतरी अमेरिका और उतरी यूरोप के जवान लोगों में। कितने लोगों से सेक्स किया जाता है और कितनी बार ओरल सेक्स किया जाता है, यह एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। इस वायरस के कुछ उपभेद लोगों को गले के कैंसर और कुछ हद तक मुंह के कैंसर का शिकार बनाते हैं।

ज़्यादातर लोगों का HPV के लिए टीकाकरण किया जा रहा है, इसलिए आने वाले समय में HPV की वजह से गले के कैंसर कम आम हो जाएंगे। हालांकि, गले का कैंसर बहुत समय तक पैदा नहीं होता, इसलिए इसका ठीक होना भी बहुत धीमी गति से होता है।

सेक्स एक जोखिम कारक है। मुंह और गले के लगभग तीन चौथाई कैंसर पुरुषों में होते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ ही अधिकांश कैंसर में खतरा बढ़ता जाता है।

सूरज की तेज़ रोशनी में बहुत देर तक रहने से होंठों पर कैंसर हो सकता है।

मुंह और गले के कैंसर के लक्षण

मुंह और गले के कैंसर के लक्षण, कैंसर की जगह के हिसाब से कुछ अलग हो सकते हैं।

मुंह का कैंसर से आमतौर पर लंबे समय तक दर्द नहीं होता, लेकिन कैंसर के बढ़ने से आखिर में दर्द होने लगता है। जब दर्द शुरू होता है, तो आमतौर पर निगलने पर दर्द होता है, जैसा कि गले में दर्द होने पर होता है। लोगों को बोलने में दिक्कत हो सकती है। मुंह का स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा अक्सर खुले घाव (अल्सर) की तरह दिखते हैं और उसमें मौजूद ऊतकों में बढ़ते हैं। ये घाव सपाट या थोड़े उभरे हुए होते हैं, जो कि लाल (एरिथ्रोप्लेकिया) या सफेद (ल्यूकोप्लाकिया) होते हैं।

होंठ और मुंह के अन्य हिस्सों के कैंसर अक्सर पत्थर की तरह कठोर होते हैं और इनमें मौजूद ऊतकों से जुड़े होते हैं। इन हिस्सों में मौजूद ज़्यादातर कैंसर-रहित उभार आसानी से घूम सकते हैं। मसूड़ों, जीभ या मुंह के अंदर के हिस्से के बदरंग हिस्से भी कैंसर का संकेत होते हैं। मुंह के अंदर कोई हिस्सा अगर हाल ही में भूरा या गहरे रंग का हो गया है, तो वह मेलेनोमा हो सकता है। होंठों के बीच जिस जगह पर सिगरेट या पाइप आदतन रखी जाती है, कभी-कभी वह हिस्सा भूरा, सपाट और झाई जैसा (धूम्रपान करने वाले का पैच) हो जाता है।

गले के कैंसर से खासतौर पर निगलते समय गले में दर्द होता है, निगलने और बोलने में दिक्कत होती है और कान में दर्द होता है। कभी-कभी गर्दन में गांठ होना गले के कैंसर का शुरुआती संकेत होता है।

ज़्यादातर मुंह और गले के कैंसर में, जब लक्षणों की वजह से खाना मुश्किल हो जाता है, तो व्यक्ति का वज़न कम होना शुरू हो जाता है।

मुंह और गले के कैंसर का निदान

  • एंडोस्कोपी

  • बायोप्सी

  • स्टेजिंग के लिए इमेजिंग टेस्ट

मुंह और गले के कैंसर का निदान करने के लिए, डॉक्टर जांच के दौरान पता लगे असामान्य हिस्से की बायोप्सी (माइक्रोस्कोप में जांच करने के लिए ऊतक का सैंपल निकालना) करते हैं। सिर्फ़ बायोप्सी से पता चलता है कि क्या किसी हिस्से में कैंसर है। अगर डॉक्टर को लक्षण वाले व्यक्ति के मुंह में कोई असामान्य वृद्धि नहीं दिखती, तो वे एक खास शीशे और/या अंदर तक देखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लचीली ट्यूब (एंडोस्कोप) से गले की जांच करते हैं। वे इस जांच के दौरान पता चलने वाले असामान्य हिस्सों की बायोप्सी करते हैं।

अगर बायोप्सी में कैंसर का पता चले, तो डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट करके कैंसर की सीमा (स्टेज) का पता लगाते हैं, जैसे कि

डॉक्टर ये इमेजिंग टेस्ट कैंसर के आकार और जगह और यह पता लगाने के लिए करते हैं कि क्या कैंसर आसपास की जगहों तक फैल गया है और क्या यह गर्दन में लसीका ग्रंथि तक फैल गया है। डॉक्टर मुंह और गले के अंदर तक देखने के लिए एंडोस्कोप का इस्तेमाल भी करते हैं, ताकि आसपास की जगहों पर कैंसर होने का पता लगा सकें। डॉक्टर लैरींगोस्कोपी (लैरींक्स के अंदर देखने के लिए), ब्रोंकोस्कोपी (वायुमार्गों के अंदर देखने के लिए) और इसोफ़ेगोस्कोपी (इसोफ़ेगस के अंदर देखने के लिए) करते हैं।

स्क्रीनिंग (जांच)

जल्दी पता लग जाने से ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए डॉक्टर और डेंटिस्ट को नियमित मेडिकल और डेंटल जांच के दौरान मुंह और गले की अच्छे से जांच करनी चाहिए। इस जांच में जीभ का हिस्सा शामिल होना चाहिए, जहां लोगों को आमतौर पर असामान्य वृद्धि नज़र नहीं आती या उसका पता नहीं चलता, जब तक वह वृद्धि बहुत बढ़ न जाए।

मुंह और गले के कैंसर का पूर्वानुमान

मुंह और गले के कैंसर वाले लोगों के बचने की दर अलग-अलग होती है, जो कि इन चीज़ों पर निर्भर करता है

  • ट्यूमर की मूल जगह

  • क्या वह बढ़ा है और कितना बढ़ा है (स्टेज)

  • इसकी वजह

मुंह के स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा की इलाज की दर ज़्यादा होती है, अगर पूरे कैंसर और आसपास के सामान्य ऊतक को कैंसर के लसीका ग्रंथि में फैलने से पहले हटा दिया जाता है। औसतन, जिन लोगों को जीभ का कार्सिनोमा लसीका ग्रंथि तक नहीं बढ़ा है उनमें से 80% से ज़्यादा लोग, निदान के 5 साल तक जीवित रह जाते हैं। जिन लोगों को मुंह की सतह का कार्सिनोमा लसीका ग्रंथि तक नहीं बढ़ा है उनमें से लगभग 75% से ज़्यादा लोग, निदान के 5 साल तक जीवित रह जाते हैं। हालांकि, अगर कैंसर लसीका ग्रंथि तक फैल जाए, तो 5 साल तक जीवित रहने की दर कम हो जाती है। जिन लोगों का निचले होंठ का कार्सिनोमा है उनमें से लगभग 90% लोग 5 साल तक जीवित रहते हैं और कार्सिनोमा बहुत कम फैलता है। ऊपरी होंठ का कार्सिनोमा ज़्यादा खतरनाक होता है और फैलता है।

औसतन, गले के कैंसर वाले 52% लोग निदान से कम से कम 5 साल तक जीवित रहते हैं। अगर इसकी वजह हयूमन पैपिलोमावायरस (HPV) है, तो उसकी दर 75% से ज़्यादा होती है और कोई अन्य वजह होने पर 50% से कम होती है।

मुंह और गले के कैंसर से बचाव

अल्कोहल और तंबाकू के अत्यधिक सेवन से बचने मुंह और गले के कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है। सूरज की रोशनी से बचने और सनस्क्रीन लगाने से होंठ के कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।

HPV के खिलाफ वैक्सीन, HPV के कुछ प्रकारों को लक्षित करते हैं, जिनसे मुंह और गले के कैंसर हो सकते हैं, इसलिए टीकाकरण से इनमें से कुछ तरह के कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता है।

मुंह और गले के कैंसर का इलाज

  • सर्जरी

  • रेडिएशन थेरेपी, कभी-कभी कीमोथेरेपी भी साथ में की जाती है (कीमोरेडिएशन)

मुंह और गले के कैंसर के इलाज का मुख्य आधार सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी है। डॉक्टर कैंसर के आकार और उसके स्थान के आधार पर इलाज चुनते हैं।

मुंह के कैंसर के लिए, सर्जरी आमतौर पर सबसे पहला इलाज होती है। डॉक्टर कैंसर को निकालते हैं और कभी-कभी जबड़े के पीछे और गर्दन के पास की लसीका ग्रंथि को भी हटाते हैं। नतीजन, मुंह के कैंसर की सर्जरी से विकृति और मनोवैज्ञानिक रूप से दर्दनाक होती है। शुरुआती सर्जरी के दौरान की गई पुनर्निर्माण सर्जरी तकनीकें, काम में सुधार कर सकती हैं और सामान्य दिखावट को पहले जैसा करने में मदद कर सकती हैं। निकाले गए दांत और जबड़े को प्रोस्टेथिक डिवाइस की मदद से बदला जा सकता है। महत्वपूर्ण सर्जरी के बाद, बोलने और निगलने की थेरेपी की ज़रूरत हो सकती है। अगर कैंसर बढ़ जाए, तो सर्जरी के बाद रेडिएशन या कीमोरेडिएशन करना पड़ता है।

जो लोग सर्जरी नहीं करा सकते, उनके लिए रेडिएशन थेरेपी एक शुरुआती वैकल्पिक उपाय है। कीमोथेरेपी आमतौर पर शुरुआती इलाज नहीं होती, लेकिन उन लोगों को रेडिएशन थेरेपी के साथ इसकी सलाह दी जाती है जिन्हें कैंसर लसीका ग्रंथि तक फैल गया है।

गले के कैंसर के लिए, डॉक्टर ज़्यादातर शुरुआती इलाज के तौर पर सर्जरी करते हैं। नई तकनीकों से डॉक्टर गर्दन में चीरा लगाने के बजाय मुंह से ऑपरेशन कर पाते हैं। कुछ तकनीकों में लेज़र सर्जरी करने के लिए एंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। एक अन्य तकनीक में सर्जरी वाले रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है। सर्जन एक कंसोल से रोबोट के हाथों को नियंत्रित करता है और व्यक्ति के मुंह में डाले गए एंडोस्कोप से जुड़े कैमरे के माध्यम से ऑपरेशन को देखता है।

रेडिएशन थेरेपी या कभी-कभी कीमोरेडिएशन सर्जरी के बाद या पहले इलाज के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। हमेशा से डॉक्टर शुरुआती स्टेज के कैंसर के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल करते थे और कैंसर के बढ़ जाने पर कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता था। एक खास तरह की रेडिएशन थेरेपी से डॉक्टर उस खास जगह पर रेडिएशन डिलीवर कर पाते हैं, जिससे दुष्प्रभाव कम होते हैं, इस थेरेपी को इंटेंसिटी-मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरेपी (IMRT) कहते हैं।

उपचार के दुष्प्रभाव

मुंह और गले की रेडिएशन थेरेपी के कई दुष्प्रभाव होते हैं जिनमें ये शामिल हैं

  • लार ग्रंथियों का नष्ट होना जिससे व्यक्ति काम मुंह सूखने लगता है और उसकी वजह से कैविटी और दांतों की अन्य समस्याएं हो सकती हैं

  • दांतों की समस्याओं या चोट को ठीक करने की जबड़ों की क्षमता बिगड़ना

  • ऑस्टिओरेडियोनेक्रोसिस होना, जिसमें रेडिएशन वाली जगह पर हड्डियों और आसपास के कोमल ऊतकों में क्षति होती है

  • त्वचा में बदलाव, अगर गर्दन में ऊतक पर रेडिएशन की जाए

  • आवाज़ में बदलाव और निगलने में समस्या, अगर रेडिएशन गले या लैरींक्स में दिया जाए

इन दुष्प्रभावों की वजह से, रेडिएशन देने से पहले, दांतों की सभी मौजूदा समस्याओं का पूरी तरह इलाज करना चाहिए। अगर किसी दांत में समस्या होने की संभावना हो, तो उसे निकाल दिया जाता है और रेडिएशन देने से पहले दांतों के ठीक होने तक इंतज़ार किया जाता है।

उसी तरह, रेडिएशन थेरेपी के बाद, दांतों में सफ़ाई बनाए रखना ज़रूरी होता है, क्योंकि रेडिएशन के बाद, अगर दांत निकालने जैसी सर्जरी कराई जाए, तो मुंह फटाफट ठीक नहीं होता। इस सफाई में नियमित जांच और घर पर अच्छे से देखभाल करना शामिल है, जिसमें घर पर हर दिन फ़्लोराइड लगाना शामिल है। अगर व्यक्ति का दांत निकाला जाता है, तो हाइपरबैरिक ऑक्सीजन थेरेपी से जबड़े में ऑस्टिओरेडियोनेक्रोसिस नहीं होता और वह ठीक हो जाता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की सामग्री के लिए मैन्युअल उत्तरदायी नहीं है।

  1. American Cancer Society: ओरल कैविटी और ऑरोफ़ैरिन्जियल कैंसर: ओरल कैविटी और गले के कैंसर का विवरण, निदान और उपचार के बारे में जानकारी सहित

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