हैपेटाइटिस D

इनके द्वाराSonal Kumar, MD, MPH, Weill Cornell Medical College
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग. २०२२

हैपेटाइटिस D वायरस, लिवर का संक्रमण है जो केवल हैपेटाइटिस B से संक्रमित लोगों को ही होता है।

  • हैपेटाइटिस D रक्त और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैल सकता है।

  • हैपेटाइटिस D और हैपेटाइटिस B का संक्रमण एक साथ होने से आमतौर पर लक्षणों बहुत गंभीर हो जाते हैं।

  • डॉक्टरों को क्रोनिक हैपेटाइटिस D होने का पता रक्त परीक्षण से चलता है।

  • एक्यूट हैपेटाइटिस D का कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन क्रोनिक हैपेटाइटिस D का इलाज इंटरफ़ेरॉन अल्फ़ा से किया जा सकता है।

(हैपेटाइटिस का विवरण, एक्यूट वायरल हैपेटाइटिस का विवरण, क्रोनिक हैपेटाइटिस का विवरण, हैपेटाइटिस B, एक्यूट और क्रोनिक हैपेटाइटिस B भी देखें।)

संयुक्त राज्य अमेरिका में हैपेटाइटिस D के मामले अपेक्षाकृत कम पाए जाते हैं। यह एक तेज़ी से फैलने वाला संक्रमण हो सकता है, जो केवल थोड़े समय तक रहता है, या क्रोनिक संक्रमण हो सकता है, जो 6 महीने से अधिक समय तक रहता है।

हैपेटाइटिस D केवल एक्यूट हैपेटाइटिस B या क्रोनिक हैपेटाइटिस B के साथ होता है। हैपेटाइटिस D वायरस एक अधूरा वायरस है जिसे प्रजनन के लिए हैपेटाइटिस B वायरस की मदद की आवश्यकता होती है।

दुनिया भर में, लगभग 15 से 20 लाख लोग, क्रोनिक हैपेटाइटिस B और हैपेटाइटिस D दोनों से संक्रमित हैं।

हैपेटाइटिस D का संचरण

हैपेटाइटिस D रक्त और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैल सकता है। हैपेटाइटिस D सबसे ज़्यादा तब फैलता है जब लोग अवैध दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए सुई को स्टेरेलाइज़ किए बिना दोबारा इस्तेमाल करते हैं। यह यौन गतिविधि से भी फैल सकता है।

हैपेटाइटिस D के लक्षण

हैपेटाइटिस D और हैपेटाइटिस B का संक्रमण एक साथ होने पर संक्रमण और ज़्यादा गंभीर हो जाता है।

हैपेटाइटिस B और D के एक साथ होने वाले क्रोनिक संक्रमण का इलाज न किए जाने पर, लिवर में स्कार (सिरोसिस) हो सकते हैं।

हैपेटाइटिस B और D का संक्रमण एक साथ होने से फुलमिनेंट हैपेटाइटिस (एक प्रकार का गंभीर हैपेटाइटिस) हो सकता है। फुलमिनेंट हैपेटाइटिस बहुत तेज़ी से फैल सकता है। इसमें लिवर द्वारा सामान्य रूप से उत्सर्जित किए जाने वाले जहरीले पदार्थ, रक्त में जमा हो जाते हैं और मस्तिष्क तक पहुँच जाते हैं, जिससे हैपेटिक (पोर्टोसिस्टेमिक) एन्सेफैलोपैथी हो जाती है। मरीज़ कई दिन या कई हफ़्तों के लिए कोमा में जा सकता है। फुलमिनेंट हैपेटाइटिस जानलेवा हो सकता है, खासकर वयस्कों में।

हैपेटाइटिस D का निदान

  • रक्त की जाँच

डॉक्टरों को हैपेटाइटिस D होने का संदेह तब होता है जब

  • एक्यूट हैपेटाइटिस B असामान्य रूप से गंभीर (एक साथ संक्रमण होने से) हो जाता है।

  • क्रोनिक हैपेटाइटिस B से संक्रमित मरीज़ में इसके लक्षण अचानक गंभीर (सुपरइन्फ़ेक्शन) हो जाएं।

  • क्रोनिक हैपेटाइटिस B सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ने लगे।

हैपेटाइटिस D होने का संदेह होने पर यह निदान करने के लिए एक तरह का रक्त परीक्षण करवाया जाता है कि व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र ने हैपेटाइटिस D से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाई है या नहीं।

हैपेटाइटिस D की रोकथाम

ज़्यादा जोखिम वाले काम करने से बचना (जैसे कि दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए एक ही सुई का इस्तेमाल बार-बार करना और कई साथियों से यौन संबंध बनाना), इससे लोगों में हैपेटाइटिस B और आगे चलकर हैपेटाइटिस D होने से रोका जा सकता है।

हैपेटाइटिस D के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। लेकिन अगर लोगों को पहले से हैपेटाइटिस B नहीं है, तो उन्हें हैपेटाइटिस B का टीका, लगाया जा सकता है, जो हैपेटाइटिस D के साथ-साथ हैपेटाइटिस B का संक्रमण होने से भी रोक सकता है।

हैपेटाइटिस D का इलाज

  • सामान्य उपाय

  • इंटरफ़ेरॉन अल्फा (एक एंटीवायरल दवा)

हैपेटाइटिस D से संक्रमित लोगों को अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह लिवर को और ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। किसी खाद्य पदार्थ से परहेज या किसी गतिविधि को सीमित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

एक्यूट वायरल हैपेटाइटिस D के लिए कोई खास इलाज उपलब्ध नहीं है।

क्रोनिक हैपेटाइटिस D का इलाज इंटरफ़ेरॉन अल्फा से किया जा सकता है, आमतौर पर 1 वर्ष के लिए।

यदि फुलमिनेंट हैपेटाइटिस हो जाता है, तो इसका सबसे असरदार इलाज लिवर प्रत्यारोपण है, इससे व्यक्ति के जीवित रहने की सबसे ज़्यादा उम्मीद रहती है, विशेष रूप से वयस्कों के जीवित रहने की।