क्रोनिक अवरोधक फेफड़ा रोग (COPD)

(क्रोनिक ब्रोंकाइटिस; एम्फ़सिमा)

इनके द्वाराThe Manual's Editorial Staff
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस. २०२३

COPD क्या है?

COPD फेफड़ों में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इसमें फेफड़ों से सांस बाहर निकालना मुश्किल होता है। सांस को बाहर धकेलने में होने वाली कठिनाई को क्रोनिक एयरफ़्लो ऑब्स्ट्रक्शन कहते हैं।

  • COPD, आमतौर पर सिगरेट पीने के कारण होता है

  • COPD में मरीज़ को खांसी होती है और सांस लेने में तकलीफ होती है

  • सिगरेट पीना बंद करने से आपके वायुमार्ग खुले रखने में मदद मिल सकती है

  • डॉक्टर आपको इसके लक्षणों से बचने या राहत देने के लिए दवाइयाँ दे सकता है

  • यदि आपको गंभीर COPD है, तो आपको अन्य दवाइयाँ लेने, ऑक्सीजन का उपयोग करने, या पल्मोनरी (फेफड़े) रीहैबिलिटेशन करवाने की ज़रूरत पड़ सकती है

COPD में फेफड़े के 2 विकार शामिल हैं—क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव ब्रोंकाइटिस और एम्फ़सिमा। बहुत से लोगों में दोनों विकार होते हैं।

  • क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव ब्रोंकाइटिस एक प्रकार की खांसी होती है जिसमें गाढ़ा फ़्लूड (आपके फेफड़ों से थूक—म्युकस) निकलता है, यह कम से कम 3 महीने, 2 साल या ज़्यादा साल बनी रहती है, इसके साथ, ऑक्सीजन का प्रवाह अवरोधित हो जाता है और सांस लेने में समस्याएं होती हैं

  • एम्फ़सिमा में आपके फेफड़ों में मौजूद हवा की थैली को नुकसान पहुंचता है

COPD किस कारण से होता है?

COPD, आमतौर पर सिगरेट पीने के कारण होता है। अस्थमा होने के अन्य सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • सिगार या पाइप से तंबाकू का सेवन करना

  • रासायनिक धुएं, धूल, प्रदूषण या ज़्यादा धुएं में सांस लेना

  • आनुवंशिक प्रवृत्ति (अर्थात, फ़ैमिली हिस्ट्री में COPD होना)

COPD के लक्षण क्या हैं?

COPD को बढ़ने और स्थिति बिगड़ने में कई वर्ष लगते हैं।

40 या 50 और उससे ऊपर की आयु में आपको:

  • हल्की खांसी हो सकती है, जिसमें आम तौर पर सुबह के समय साफ़ थूक (आपके फेफड़ों से म्युकस) निकलता है

  • व्यायाम करते समय या घूमते समय सांस लेने में तकलीफ़ होती है

आपके 60 साल या उससे ऊपर की आयु में आपको:

  • सांस लेने में और भी ज़्यादा परेशानी हो सकती है, खासकर यदि आप सिगरेट पीते हैं

  • निमोनिया और फेफड़ों में अन्य संक्रमण हो सकते है जिनमें अस्पताल में भर्ती होने ज़रूरत पड़ सकती है

  • वज़न का घटना

  • सुबह के समय सिरदर्द हो सकता है

  • कभी-कभी पाँव में सूजन आ सकती है

  • कभी-कभी खाँसी में खून आना

लंबे समय तक COPD बने रहने पर आपको ये लक्षण दिख सकते हैं:

  • आपकी छाती का आकार बढ़ जाता है क्योंकि हवा आपके फेफड़ों में फँसी रहती है

  • रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण त्वचा का रंग नीला हो जाता है

  • कुछ काम न करने पर भी सांस फूल जाती है

COPD फ्लेयर-अप के लक्षण

COPD के फ्लेयर-अप होने का मतलब है इसके लक्षणों का अचानक गंभीर हो जाना। फ्लेयर-अप किसी भी उम्र में हो सकते हैं। यह आमतौर पर प्रदूषण या पराग कणों के बीच सांस लेने की वजह से होते हैं। वे सर्दी, फ़्लू, या अन्य बीमारी के कारण भी होते हैं जो आपके श्वास को प्रभावित करते हैं। ये लक्षण दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें:

  • खांसी, जिसमें अधिक पीला या हरा थूक निकल रहा हो

  • आराम करते समय भी सांस फूल रही हो

  • कभी-कभी बुखार आना या शरीर में दर्द होना

गंभीर लक्षण होने पर आपके रक्त में ऑक्सीजन स्तर बहुत कम हो सकता है (इस स्थिति को एक्यूट रेस्पिरेटरी फेलियर कहते हैं)। यदि ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत एक आपातकालीन उपचार के लिए जाएं:

  • सांस की बहुत परेशानी होना (ऐसा महसूस होता है जैसे कि आप डूब रहे हैं)

  • चिंता या भ्रम होना

  • पसीना आना

  • आपके रक्त में कम ऑक्सीजन होने के कारण त्वचा का नीला पड़ना

डॉक्टर को कैसे पता चलता है कि मुझे COPD है?

डॉक्टर को आमतौर पर आपके शारीरिक लक्षण देखकर COPD होने का संदेह होता है। ऐसे में वे छाती का एक्स-रे और जांचें करवाते हैं ताकि यह पता लगा सकें कि आपके फेफड़े ठीक से काम काम कर रहे हैं या नहीं इसे (पल्मोनरी फ़ंक्शन टेस्ट) कहते हैं। डॉक्टर आपकी उंगली की ऊपरी हिस्से पर सेंसर लगाकर यह जांच कर सकते हैं कि कहीं आपके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम तो नहीं है।

यदि आप युवा हैं, आपने कभी धूम्रपान नहीं किया है और आपके परिवार में COPD का इतिहास रहा है, तो डॉक्टर दूसरे टेस्ट कर सकते हैं:

  • ब्लड टेस्ट करवाना, ताकि यह पता चल सके कि वंशानुगत तौर पर COPD हुआ है

  • ECG/EKG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ़ी) या ईकोकार्डियोग्राफ़ी, जिसमें यह देखा जाता है कि कहीं आपको हृदय संबंधी कोई समस्या तो नहीं है जिससे आपको सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है

डॉक्टर COPD का उपचार कैसे करते हैं?

डॉक्टर आपके फेफड़ों और वायुमार्ग में हुई क्षति को ठीक नहीं कर सकते।

यदि आप सिगरेट पीते हैं, तो आपको COPD को बिगड़ने से रोकने के लिए सिगरेट पीना बंद करना होगा। धूम्रपान बंद करने में मदद करने के लिए डॉक्टर आपको निकोटीन गम या पैच जैसी दवाइयाँ दे सकते हैं।

डॉक्टर आपको ऑक्सीन का प्रवाह बढ़ाने और सांस लेना आसान बनाने के लिए भी दवाइयाँ दे सकते हैं। लक्षणों को रोकने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग किया जाता है। लक्षणों को दूर करने के लिए अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है। आप इनहेलर के माध्यम से कुछ COPD दवाइयाँ ले सकते हैं। इससे दवाई सांस के साथ सीधे आपके फेफड़ों में पहुँचती है।

रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए आपको ऑक्सीजन थेरेपी भी करवाना पड़ सकती है। ऑक्सीजन आमतौर पर नाक में पहने जाने वाले प्रोंग के माध्यम से दी जाती है।

डॉक्टर आपको ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में जाने की सलाह दे सकते हैं।

COPD के गंभीर लक्षणों या इन लक्षणों को बढ़ाने वाले कारकों के इलाज के लिए, आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। यदि किसी संक्रमण के कारण यह लक्षण गंभीर हो गए हैं, तो आपको एंटीबायोटिक्स लेना पड़ सकती हैं।

अगर मुझे COPD है तो मुझे क्या करना चाहिए?

कुछ तौर-तरीकों में बदलाव करें

  • धूम्रपान करना बंद कर दें

  • हवा में मौजूद परेशानी देने वाले तत्वों से दूर रहें जैसे, सिगरेट के धुआँ, वायु प्रदूषण और पराग कण

  • फ़्लू और निमोनिया शॉट (टीकाकरण) लेने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें

  • रोज़ाना सेहतमंद खाना खाएं, खासकर तब, जब आपका वजन बिना किसी कारण के कम हो रहा हो

  • सोडा या कॉफ़ी के बजाय पानी पिएं—यह आपके फेफड़ों में थूक को गाढ़ा होने से रोकता है

आगे की योजना बनाएँ

यदि COPD बहुत गंभीर हो जाता है, तो आपको रोज़ाना के काम करने और मेडिकल केयर में मदद की आवश्यकता होगी। COPD के एडवांस स्टेज वाले लोगों के हृदय की समस्याओं, धमनियों के ब्लॉक होने, या फेफड़ों की समस्याओं जैसे निमोनिया या फेफड़ों के कैंसर से बीमार होने या मरने की संभावना अधिक होती है। जिंदा रहने के लिए आपको सांस लेने में मदद करने वाली मशीन की ज़रूरत पड़ सकती है।

स्वयं को तैयार रखने के लिए, अपने परिवार के सदस्यों से इस बारे में बात करें कि अगर आप भविष्य में खुद की देखभाल से जुड़े निर्णय लेने में सक्षम न हों तो उस स्थिति में आप किस प्रकार की मेडिकल केयर चाहेंगे। इस विषय में लिए गए निर्णयों को कानूनी दस्तावेजों में लिखा जाना चाहिए जिन्हें अग्रिम दिशानिर्देश कहा जाता है।