एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस

(एटॉपिक कंजंक्टिवाइटिस; एटॉपिक केरैटोकंजंक्टिवाइटिस; हे फीवर कंजंक्टिवाइटिस; पेरेनियल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस; सीज़नल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस; वर्नल केरैटोकंजंक्टिवाइटिस)

इनके द्वाराZeba A. Syed, MD, Wills Eye Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अप्रैल २०२३

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस एलर्जी प्रतिक्रिया के कारण होने वाला कंजंक्टाइवा का शोथ है।

  • जैसे, हवा में मौजूद एलर्जनों से उत्पन्न एलर्जी प्रतिक्रियाएं कंजंक्टाइवा में शोथ पैदा कर सकती हैं।

  • लालिमा, खुजली, सूजन, आँसू निकलना, और चिपचिपा स्राव आम हैं।

  • विभिन्न प्रकार की आई ड्रॉप्स लक्षणों और शोथ को कम करने में मदद कर सकती हैं।

कंजंक्टाइवा (पलक के अस्तर का काम करने वाली और आँख के श्वेत भाग को ढकने वाली झिल्ली) में प्रतिरक्षा प्रणाली की कई कोशिकाएं (जिन्हें मास्ट कोशिकाएं कहते हैं) होती हैं जो विविध प्रकार की उत्तेजनाओं (जैसे पराग कण, फफूंदी के बीजाणु, या धूल के कण) की प्रतिक्रिया में रसायनिक पदार्थ (जिन्हें मीडिएटर कहते हैं) मुक्त करती हैं। ये मीडिएटर आँखों में शोथ पैदा करते हैं, जो अल्पकालिक या दीर्घकालिक हो सकता है। लगभग 20% लोगों को थोड़ी मात्रा में एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस होती है। (कंजंक्टाइवा और स्क्लेरा के विकारों का अवलोकन भी देखें।)

आँख के अंदर का दृश्य

सीज़नल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (हे फीवर कंजंक्टिवाइटिस) और वर्ष भर रहने वाली या पेरेनियल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (एटॉपिक कंजंक्टिवाइटिस, एटॉपिक केरैटोकंजंक्टिवाइटिस) आँखों की एलर्जिक प्रतिक्रिया के सबसे आम प्रकार हैं। सीज़नल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस अक्सर वसंत ऋतु और गर्मियों के आरंभ में प्रकट होती है और फफूंदी के बीजाणुओं या पेड़ों, खरपतवार या घास के पराग कणों के कारण होती है। गर्मियों और पतझड़ की शुरुआत में एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों के लिए खऱपतवार के पराग कण जिम्मेदार हैं। पेरेनियल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस सारे साल होती है और अक्सर धूल के कणों या पशुओं की रूसी के कारण होती है।

वर्नल कंजंक्टिवाइटिस एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का अधिक गंभीर प्रकार है जिसमें उत्तेजक (एलर्जन) अज्ञात होता है। यह रोग खास तौर से 5 से 20 वर्ष के लड़कों में सबसे अधिक आम है जिन्हें एक्ज़िमा, दमा, या मौसमी एलर्जी भी होती है। वर्नल केरैटोकंजंक्टिवाइटिस आम तौर से हर वसंत ऋतु में फिर से प्रकट होती है और पतझड़ और गर्मियों में कम हो जाती है। कई बच्चों में वयस्क जीवन के आरंभ तक रोग समाप्त हो जाता है।

एलर्जिक प्रतिक्रिया के विपरीत, वायरस या जीवाणुओं से होने वाले कंजंक्टाइवा के शोथ को इन्फेक्शस कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण

सभी प्रकार की एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस वाले लोगों को दोनों आँखों में गंभीर खुजली और जलन होती है। हालांकि, लक्षण आम तौर से दोनों आँखों को समान रूप से प्रभावित करते हैं, कभी-कभार एक आँख दूसरी की तुलना में अधिक प्रभावित हो सकती है। कंजंक्टाइवा लाल हो जाती है और कभी-कभी सूज जाती है, जिससे नेत्रगोलक की सतह फूली-फूली सी दिखने लगती है। पलकों में बहुत अधिक खुजली महसूस हो सकती है। रगड़ने और खुजाने से पलकों की त्वचा में लालिमा, सूजन, और झुर्रियाँ दिखने लगती हैं।

सीज़नल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस और पेरेनियल एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के साथ, बड़ी मात्रा में पतला, पानी जैसा स्राव होता है। कभी-कभी स्राव चिपचिपा होता है। दृष्टि मुश्किल से ही प्रभावित होती है। कई लोगों की नाक में खुजली हो सकती है और वह बह सकती है।

वर्नल केरैटोकंजंक्टिवाइटिस के साथ, आँख का स्राव गाढ़ा, चिपचिपा, और म्यूकस जैसा होता है। अन्य प्रकार की कंजंक्टिवाइटिस के विपरीत, वर्नल केरैटोकंजंक्टिवाइटिस अक्सर कोर्निया (परितारिका और पुतली के सामने स्थित पारदर्शी पर्त) को प्रभावित करती है, और कुछ लोगों में दर्दनाक, छोटे-छोटे, खुले छाले (कोर्नियल अल्सर) बन जाते हैं। ये अल्सर तेज रोशनी के संपर्क में आने पर आँख की गहराई में दर्द (फोटोफोबिया) पैदा करते हैं और कभी-कभी दृष्टि की स्थायी हानि उत्पन्न करते हैं।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का निदान

  • डॉक्टर द्वारा लक्षणों और आँख की दिखावट का मूल्यांकन

डॉक्टर एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस की पहचान उसकी विशिष्ट दिखावट और लक्षणों से करते हैं। परीक्षण न तो जरूरी और न ही उपयोगी होते हैं।

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का उपचार

  • आई ड्रॉप्स और आँसुओं के पूरक

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के उपचार में एंटी-एलर्जी आई ड्रॉप्स शामिल हैं। एकदम ठंडे आँसू पूरक और कोल्ड क्म्प्रेस तथा ज्ञात एलर्जनों से बचाव से लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

सौम्य मामलों के लिए एंटीहिस्टामीन, जैसे कि कीटोटिफेन वाली ड्रॉप्स काफी हो सकती हैं। यह दवाई प्रिस्क्रिप्शन के बिना खरीदी जा सकती है। यदि कीटोटिफेन अपर्याप्त है, तो नुस्खे पर मिलने वाली एंटीहिस्टामीन आई ड्रॉप्स (जैसे कि ओलोपैटाडीन या सेट्रिज़ीन) या मास्ट सेल स्टेबिलाइज़र (जैसे कि नेडोक्रोमिल) कारगर हो सकते हैं। क्रोनिक लक्षणों के लिए एक अन्य विकल्प टॉपिकल साइक्लोस्पोरिन भी है।

गैर-स्टेरॉयडल शोथ-रोधी आई ड्रॉप्स, जैसे कि केटोरोलैक, लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करती हैं। कॉर्टिकोस्टेरॉयड आई ड्रॉप्स में अधिक शक्तिशाली शोथ-रोधी प्रभाव होते हैं। हालांकि, इन आई ड्रॉप्स का उपयोग किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (एक मेडिकल डॉक्टर जो आँख के विकारों के मूल्यांकन और उपचार [सर्जिकल और गैर-सर्जिकल] का विशेषज्ञ होता है) की निगरानी के बिना कुछ सप्ताहों से अधिक नहीं करना चाहिए क्योंकि वे आँखों में दबाव में वृद्धि (ग्लूकोमा), मोतियाबिंद, और आँखे के संक्रमणों के जोखिम में वृद्धि पैदा कर सकती हैं।

मुंह से लिए जाने वाले एंटीहिस्टामीन, जैसे कि फेक्सोफेनाडीन, सेट्रिज़ीन, या हाइड्रॉक्सिज़ीन भी बहुत उपयोगी हो सकते हैं, खास तौर से यदि शरीर के अन्य भाग (जैसे, कान, नाक, गला) एलर्जी से प्रभावित हैं।

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