सबएरेक्नॉइड हैमरेज (SAH)

इनके द्वाराAndrei V. Alexandrov, MD, The University of Tennessee Health Science Center;
Balaji Krishnaiah, MD, The University of Tennessee Health Science Center
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२३

सबएरेक्नॉइड हैमरेज दिमाग (मेनिंजेस) को कवर करने वाले ऊतकों के अंदर की परत (पिया मेटर) और बीच की परत (अरेक्नॉइड मेटर) के बीच की जगह (सबअरेक्नॉइड स्पेस) में ब्लीडिंग है।

  • इसकी सबसे आम वजह धमनी में बने उभार (एन्यूरिज्म) का टूटना है।

  • आमतौर पर, धमनी के फटने की वजह से अचानक, गंभीर सिरदर्द होता है, जिसके बाद अक्सर थोड़ी देर के लिए चेतना चली जाती है।

  • निदान की पुष्टि करने के लिए कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग, कभी-कभी एक स्पाइनल टैप और एंजियोग्राफ़ी की जाती है।

  • सिरदर्द में आराम पाने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए दवाएँ दी जाती हैं और ब्लीडिंग को रोकने के लिए सर्जरी की जाती है।

(यह भी देखें आघात का विवरण और हैमोरेजिक आघात का विवरण।)

सबएरेक्नॉइड हैमरेज एक जानलेवा बीमारी है जिससे बहुत जल्दी गंभीर, स्थायी विकलांगता हो सकती है। यह ऐसा आघात है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज़्यादा आम है।

फटना और टूटना: हैमोरेजिक आघात के कारण

जब दिमाग की ब्लड वेसल कमजोर, असामान्य या असामान्य प्रेशर में होती हैं, तो हैमोरेजिक आघात होता है। हैमोरेजिक आघातों में, दिमाग में ब्लीडिंग हो सकती है, जैसे इंट्रासेरेब्रल हैमरेज में होती है। दिमाग को ढकने वाले ऊतक के अंदर और बाहर की परत के बीच (सबएरेक्नॉइड स्पेस में) ब्लीडिंग हो सकती है, जैसे सबएरेक्नॉइड हैमरेज में होती है।

SAH के कारण

आमतौर पर सबएरेक्नॉइड हैमरेज सिर में चोट लगने की वजह से होता है। हालांकि, सिर में चोट लगने से होने वाले सबएरेक्नॉइड हैमरेज से अलग लक्षण होते हैं, इसका निदान और इलाज अलग तरह से होता है और इसे आघात नहीं माना जाता है।

सबएरेक्नॉइड हैमरेज आघात तब माना जाता है जब यह अचानक होता है—इसका मतलब, जब आघात किसी बाहरी कारण से न हो, जैसे कि दुर्घटना या गिरने की वजह से। आमतौर पर अचानक हैमरेज इन कारणों से होता है:

  • दिमाग की किसी धमनी में एन्यूरिज्म का अचानक फटना

एन्यूरिज्म धमनी की सतह के कमजोर हिस्से में बने उभार को कहते हैं। एन्यूरिज्म खासतौर पर वहां होते हैं जहां धमनियों की शाखाएं होती हैं। एन्यूरिज्म जन्म के समय पर हो सकते हैं (जन्मजात) या वे बाद में विकसित हो सकते हैं, जब कई सालों तक ब्लड प्रेशर के बढ़ने से धमनियों की सतह में कमजोरी हो जाती है। सबसे स्वाभाविक सबएरेक्नॉइड हैमरेज जन्मजात एन्यूरिज्म की वजह से होते हैं। दिमाग की धमनी में होने वाले एन्यूरिज्म आनुवंशिक हो सकते हैं। दिमाग के लगभग 6 से 20% एन्यूरिज्म धमनी की सतह में हुई आनुवंशिक क्षति की वजह से हो सकती है।

एन्यूरिज्म के फटने की वजह से हुए हैमरेज किसी भी उम्र में हो सकते हैं, लेकिन ये 40 से 65 साल की उम्र के लोगों में आम हैं।

बहुत कम मामलों में, सबएरेक्नॉइड हैमरेज दिमाग के बीच या आसपास की धमनियों और शिराओं (आर्टियोवीनस मालफॉर्मेशन) के बीच के असामान्य कनेक्शन के फटने की वजह से होता है। जन्म के समय एक आर्टियोवीनस विकृति मौजूद हो सकती है, लेकिन आमतौर पर लक्षणों के विकसित होने पर ही इसकी पहचान की जाती है। ब्लीडिंग विकार की वजह से भी सबएरेक्नॉइड हैमरेज हो सकता है।

SAH के लक्षण

फटने से पहले, आमतौर पर एन्यूरिज्म के कोई लक्षण नहीं होते। हालांकि, इससे लक्षण पैदा हो सकते हैं, अगर इनसे:

  • किसी तंत्रिका पर दबाव पड़ता है (अक्सर आँखों की हरकत को नियंत्रित करने वाली, जिससे दोहरा दिखने लगता है)

  • थोड़ा ब्लड का रिसाव होता है, जिससे सिरदर्द होता है, खासतौर पर पिछले सिरदर्द से अलग

सबएरेक्नॉइड हैमरेज के चेतावनी संकेत ऊतकों के फटने से कुछ मिनट से लेकर कुछ हफ़्ते पहले तक पैदा हो सकते हैं। किसी भी असामान्य सिरदर्द की रिपोर्ट, तुरंत डॉक्टर को दी जानी चाहिए।

जब कोई बड़ा एन्यूरिज्म फटता है, तो इस तरह के लक्षण हो सकते हैं:

  • बहुत ही अचानक और गंभीर सिरदर्द (जिसे कभी-कभी थंडरक्लैप सिरदर्द कहते हैं)

  • चेहरे और आँख में दर्द

  • दोहरी दृष्टि

  • धुंधली दृष्टि

  • सख्त गर्दन (आमतौर पर तुरंत नहीं होता)

  • बेहोश होना

विस्फ़ोट की वजह से होने वाला अचानक, गंभीर सिरदर्द सेकंडों में ही बहुत बढ़ जाता है। इसके बारे में अक्सर लोग कहते हैं कि यह सबसे गंभीर सिरदर्द होता है। सिरदर्द के बाद अक्सर थोड़ी देर के लिए होश खो जाता है। कुछ लोगों की हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है। कुछ लोग कोमा में बेहोश रहते हैं और आखिर में उनकी मृत्यु हो जाती है। अन्य लोग भ्रमित और उनींदापन महसूस करते हैं। उन्हें बेचैनी भी महसूस हो सकती है। कुछ घंटो या मिनटों में, व्यक्ति को दोबारा उनींदापन और भ्रम महसूस हो सकता है। हो सकता है कि वे जवाब न दें और उन्हें नींद से जगाने में मुश्किल हो। लोगों को सीज़र्स पड़ सकते हैं।

24 घंटों में, दिमाग के चारों ओर ब्लड और सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड दिमाग (मेनिंजेस) को ढकने वाले ऊतक की परतों में गड़बड़ी पैदा करते हैं, जिससे गर्दन में अकड़न के साथ-साथ लगातार सिरदर्द, जिसके साथ अक्सर उल्टी, चक्कर आना और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।

दिल की धड़कन और सांस लेने की दर में बार-बार उतार-चढ़ाव होता है, जिसके साथ ही, सीज़र्स लग सकते हैं।

गंभीर विकलांगताएं पैदा हो सकती हैं और कुछ मिनटों या घंटों में स्थायी बन सकती हैं। शुरू के 5 से 10 दिन में बुखार, लगातार सिरदर्द और भ्रम आम है।

सबएरेक्नॉइड हैमरेज से अन्य गंभीर समस्याएं (जटिलताएं) हो सकती हैं, जैसे:

  • हाइड्रोसेफ़ेलस: 24 घंटे में सबएरेक्नॉइड हैमरेज की वजह से ब्लड क्लॉट बन सकता है। क्लॉट हुए ब्लड दिमाग के आस-पास पाए जाने वाले द्रव (सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड) को सूखने से रोक सकता है, जैसा कि आमतौर पर होना चाहिए। नतीजतन, दिमाग में ब्लड जमा हो सकता है, जिससे खोपड़ी के बीच दबाव बढ़ता है। हाइड्रोसेफ़ेलस से सिरदर्द, उनींदापन, भ्रम, मतली और उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं और कोमा और मृत्यु की संभावना बढ़ सकती है।

  • वैसोस्पाज्म: ब्लड वेसल में होने वाले सकुंचन (ऐंठन) को वैसोस्पाज्म कहते हैं। ऐसा लगभग 25% लोगों में होता है, आमतौर पर ऐसा हैमरेज के 3 से 10 दिन बाद में होता है। वैसोस्पाज्म से दिमाग में ब्लड फ़्लो सीमित हो जाता है। फिर, दिमाग के ऊतकों में पर्याप्त ऑक्सीजन न पहुंचे और वह खत्म हो जाएं, जैसा कि इस्केमिक आघातों में होता है। वैसोस्पाज्म से इस्केमिक आघात जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं, जैसे कि शरीर के एक तरफ़ कमजोरी या संवेदना खोना, भाषा समझने और बोलने में समस्या, चक्कर आना और संतुलन बिगड़ना।

  • दूसरा विस्फोट: कभी-कभी एन्यूरिज्म दूसरी बार फटता है, आमतौर पर एक हफ़्ते में और इसके नतीजे भंयकर होते हैं।

SAH का निदान

  • कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग

  • एंजियोग्राफ़ी

अगर व्यक्ति को अचानक, गंभीर सिरदर्द हो जो कुछ सेकंड में ही बढ़ जाए या जिससे होश खो जाए, भ्रम या आघात का अन्य कोई लक्षण हो, तो उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए। जितना हो सके, उतना जल्दी सबएरेक्नॉइड हैमरेज के लिए टेस्टिंग की जानी चाहिए। फिर, जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दिया जाना चाहिए।

ब्लीडिंग की जांच करने के लिए जल्द से जल्द कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) की जानी चाहिए। मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) से भी ब्लीडिंग का पता चल सकता है, लेकिन यह तुरंत उपलब्ध नहीं होती।

अगर CT के नतीजों से कुछ पता नहीं चलता या CT का नतीजा सामान्य हो और डॉक्टर को सबएरेक्नॉइड हैमरेज का संदेह हो, तो स्पाइनल टैप (लम्बर पंक्चर) किया जाता है। इससे दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के आसपास मौजूद द्रव (सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड) में ब्लड होने का पता लग जाता है। अगर डॉक्टरों को लगे कि खोपड़ी के अंदर दबाव काफी बढ़ गया है और स्पाइनल टैप से खतरा हो सकता है, तो वे स्पाइनल टैप नहीं करते।

एन्यूरिज्म का निदान करने के लिए मैग्नेटिक रीसोनेंस एंजियोग्राफ़ी या CT एंजियोग्राफ़ी की जा सकती है, लेकिन एन्यूरिज्म का पता लगाने के लिए सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी सबसे सटीक तरीका है। निदान की पुष्टि करने के लिए और ब्लीडिंग करने वाले एन्यूरिज्म या आर्टियोवीनस विकृति की जगह का पता लगाने के लिए तुरंत सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी की जाती है। सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी के लिए, एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) धमनी में डाली जाती है, आमतौर पर ग्रोइन में और उसे एओर्टा से गर्दन की एक धमनी में पिरोया जाता है। फिर, एक्स-रे में देखे जा सकने वाले एक पदार्थ (रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट) को धमनी में से देखने के लिए इंजेक्ट किया जाता है। मैग्नेटिक रीसोनेंस एंजियोग्राफ़ी या CT एंजियोग्राफ़ी की तुलना में सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी ज़्यादा खतरनाक होती है, लेकिन इससे ज़्यादा जानकारी मिल सकती है। हालांकि, CT एंजियोग्राफ़ी कम खतरनाक होती है, इसलिए खोपड़ी में एन्यूरिज्म के निदान के लिए सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी की जगह यह बहुत ज़्यादा प्रचलित हो गई है।

SAH का उपचार

  • सिरदर्द को ठीक करने के लिए दवाएँ

  • जटिलताओं को ठीक करने या बचने के उपाय

  • एन्यूरिज्म का इलाज करने की प्रक्रिया

जिन लोगों को सबएरेक्नॉइड हैमरेज हुआ हो उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता है। जब भी हो सके, उन्हें आघात का इलाज करने में माहिर सेंटर पर भेजा जा सकता है। बिना किसी मेहनत के बिस्तर पर आराम करना ज़रूरी होता है।

एंटीकोग्युलेन्ट (जैसे हैपेरिन और वारफ़ेरिन) और एंटीप्लेटलेट दवाएँ (जैसे एस्पिरिन) नहीं दी जाती, क्योंकि इनसे बहुत ब्लीडिंग हो सकती है।

गंभीर सिरदर्द को नियंत्रित करने के लिए ओपिओइड्स जैसे दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) ज़रूरत के मुताबिक दिए जाते हैं। हालांकि, एस्पिरिन और दूसरे बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएँ इस्तेमाल नहीं की जाती क्योंकि इनसे बहुत ब्लीडिंग हो सकती है। मल त्याग करने के दौरान ज़ोर न लगे इसके लिए स्टूल सॉफ्टनर दिए जाते हैं। ऐसे ज़ोर लगाने से खोपड़ी में मौजूद ब्लड वेसल पर दबाव पड़ सकता है और कमजोर हो चुकी धमनी के फटने का खतरा बढ़ जाता है।

नीमोडिपिन, एक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर, आमतौर पर वैसोस्पाज्म और बाद में इस्केमिक आघात को रोकने के लिए मुंह से दिया जाता है। डॉक्टर उपाय करते हैं (जैसे कि दवाएँ देना और इंट्रावीनस दिये जाने वाले फ़्लूड की सही मात्रा दे सकें), ताकि ब्लड प्रेशर को इतना कम रख सकें कि कोई और हैमरेज न हो सके और इतना ज़्यादा रख सकें कि दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्सों में रक्त ठीक ढंग से प्रवाहित हो सके।

ब्लड प्रेशर बढ़ने का इलाज सिर्फ़ तब किया जाता है जब ब्लड प्रेशर बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है।

अगर हाइड्रोसेफ़ेलस विकसित हो जाता है, तो मस्तिष्क में एक प्लास्टिक ट्यूबिंग (शंट) का टुकड़ा डाला जा सकता है, ताकि दिमाग से सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड को निकाला जा सके। इस प्रक्रिया से दबाव कम हो जाता है और हाइड्रोसेफ़ेलस से बचा जा सकता है।

एन्यूरिज्म का इलाज करने की प्रक्रियाएं

जिन लोगों को एन्यूरिज्म है, तो उनकी कमजोर धमनी की दीवारों को अलग करने, ब्लॉक करने या उसकी सतह को सहायता करने के लिए सर्जरी प्रक्रियाएं की जाती हैं और इससे बाद में घातक ब्लीडिंग का खतरा कम हो जाता है। ये प्रक्रियाएं मुश्किल होती हैं और भले कोई भी प्रक्रिया की जाए, इससे मृत्यु का खतरा ज़्यादा ही रहता है, खासतौर पर जो लोग स्टूपर या कोमा में हैं।

यह विवाद का विषय है कि सर्जरी के लिए सबसे सही समय कौनसा है और यह व्यक्ति की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए। अगर व्यक्ति को जगाया जा सकता है, तो ज़्यादातर न्यूरोसर्जन लक्षण शुरू होने के 24 घंटों में ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं, हाइड्रोसेफ़ेलस और वैसोस्पाज्म विकसित होने से पहले। अगर तुरंत सर्जरी नहीं की जा सकती, तो सर्जरी के खतरे के कम होने के लिए इस प्रक्रिया को 10 दिन के लिए टाल दिया जाता है, लेकिन फिर ब्लीडिंग हो सकती है, क्योंकि इंतज़ार का समय बहुत ज़्यादा हो जाता है।

एन्यूरिज्म को ठीक करने के लिए इनमें से एक सर्जरी प्रक्रिया (जिसे एंडोवस्कुलर सर्जरी कहते हैं) का इस्तेमाल किया जाता है:

  • एंडोवस्कुलर कॉइलिंग

  • एंडोवस्कुलर स्टेंटिंग

आमतौर पर एंडोवस्कुलर कॉइलिंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कॉइल की गई तारें एन्यूरिज्म में डाली जाती हैं। इस प्रक्रिया के लिए, एक धमनी में कैथेटर डाली जाती है, आमतौर पर ग्रोइन में, और फिर उसे दिमाग के प्रभावित हिस्से में पिरोया जाता है। एन्यूरिज्म को एक्स-रे पर दिखाई देने के लिए डॉक्टर को सक्षम करने के लिए एक कंट्रास्ट एजेंट इंजेक्ट किया जाता है। कॉइल को एन्यूरिज्म में डालने के लिए कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से, इस प्रक्रिया के लिए खोपड़ी का खुला होना ज़रूरी नहीं होता। एन्यूरिज्म में ब्लड फ़्लो को कम करके, ये कॉइल क्लॉट बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं, जिनसे एन्यूरिज्म सील हो जाता है और फटता नहीं है। एन्यूरिज्म का निदान करने के लिए सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी करते वक्त भी एंडोवस्कुलर कॉइल को डाला जा सकता है। यह कॉइल अपनी जगह पर हमेशा के लिए बना रहता है।

एंडोवस्कुलर स्टेंटिंग में, एन्यूरिज्म के मुंह में एक तार की ट्यूब (स्टेंट) को डालने के लिए कैथेटर का इस्तेमाल किया जाता है। स्टेंट से एन्यूरिज्म के आसपास ब्लड फ़्लो को सामान्य रूप से फिर से चालू करता है, एन्यूरिज्म में ब्लड के घुसने से रोकता है और विस्फ़ोट के खतरे को कम करता है। यह स्टेंट उस जगह पर हमेशा रहता है।

कभी-कभी, एन्यूरिज्म के आसपास मैटल क्लिप लगाई जाती है। इस प्रक्रिया के लिए, सर्जन सिर की त्वचा में चीरा लगाते हैं और खोपड़ी का एक टुकड़ा निकालते हैं, ताकि एन्यूरिज्म को देख सकें। फिर एन्यूरिज्म के छेद पर क्लिप लगाई जाती है। इस प्रक्रिया से एन्यूरिज्म में ब्लड घुसने को रोकते हैं और विस्फ़ोट होने का खतरा टल जाता है। यह क्लिप इस जगह पर स्थायी रूप से रहती है। सर्जरी से क्लिप लगाने पर कई रातें हॉस्पिटल में रहना पड़ता है।

15 से 20 साल पहले लगाई गई ज़्यादातर क्लिप पर मैग्नेटिक फ़ोर्स का असर पड़ सकता है और ये मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) करते समय अपनी जगह से हट सकती हैं। जिन लोगों को ये क्लिप लगी हुई हैं उन्हें MRI कराने से पहले डॉक्टर को बता देना चाहिए। नई क्लिप पर मैग्नेटिक फ़ोर्स का कोई असर नहीं पड़ता।

SAH का पूर्वानुमान

एन्यूरिज्म के फटने की वजह से सबएरेक्नॉइड हैमरेज से पीड़ित 35% लोगों की हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है। अन्य 15% लोगों की मृत्यु आने वाले कुछ हफ़्तों में हो जाती है, क्योंकि एन्यूरिज्म में फिर से ब्लीडिंग होने लगती है। एन्यूरिज्म का इलाज करने (कैथेटर का इस्तेमाल करके डिवाइस लगाना या खोपड़ी को खोलने के लिए सर्जरी करना) के लिए की जाने वाली प्रक्रियाओं से एन्यूरिज्म में फिर से ब्लीडिंग होने का खतरा कम हो जाता है। जो लोग बच जाते हैं, इलाज के बिना उनके आने वाले 6 महीनों में विस्फ़ोट होने की संभावना 3% होती है।

अगर इसकी वजह आर्टियोवीनस विकृति हो, तो व्यक्ति की संभावना बेहतर होती है।

कभी-कभी, हैमरेज किसी छोटे से विकार की वजह से होता है जिसका सेरेब्रल एंजियोग्राफ़ी में पता नहीं लग पाता, क्योंकि डिफेक्ट पहले ही बंद हो चुका होता है। ऐसे मामलों में, संभावना बहुत अच्छी होती है।

सबएरेक्नॉइड हैमरेज के बाद, कुछ लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर लगभग या पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। हालांकि, समय पर इलाज के बावजूद कई लोगों को कमजोरी, लकवा, शरीर में एक तरफ़ संवेदना खोना या भाषा इस्तेमाल करने और समझने में समस्या महसूस होती है।