एक्यूट इन्टर्स्टिशल निमोनिया

(एक्सीलेरेटेड इन्टर्स्टिशल निमोनिया; हैमन-रिच सिंड्रोम)

इनके द्वाराJoyce Lee, MD, MAS, University of Colorado School of Medicine
द्वारा समीक्षा की गईRichard K. Albert, MD, Department of Medicine, University of Colorado Denver - Anschutz Medical
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२५ | संशोधित जुल॰ २०२५
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एक्यूट इंटरस्टीशियल निमोनिया एक आइडियोपैथिक इंटरस्टीशियल निमोनिया होता है जो अचानक विकसित होता है और गंभीर होता है।

(आइडियोपैथिक इन्टर्स्टिशल निमोनिया का विवरण भी देखें।)

एक्यूट इन्टर्स्टिशल निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के समान प्रकार के लक्षण पैदा करता है। इसकी प्रवृत्ति उन स्वस्थ पुरुषों और स्त्रियों को प्रभावित करने की होती है जो आमतौर पर 40 से ज़्यादा उम्र के होते हैं।

बुखार, खाँसी, और सांस लेने में कठिनाई 1 से 2 सप्ताह में विकसित हो जाते हैं, सामान्यतः बढ़ कर एक्यूट श्वसन तंत्र की खराबी तक जाते हैं।

निदान की पुष्टि तब होती है, जब फेफड़ों की तीव्र चोट के अन्य कारणों को ख़ारिज कर दिया जाता है और कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) और फेफड़े की बायोप्सी में संगत जानकारी मिलती है।

इलाज का लक्ष्य विकार के ठीक होने तक व्यक्ति को जीवित रखने का होता है। यदि श्वसन तंत्र की खराबी हो तो मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। आमतौर पर स्टेरॉइड्स (कभी-कभी इन्हें ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स कहा जाता है) का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे प्रभावी हैं या नहीं।

प्रभावित होने वाले 50% से अधिक लोगों की 6 महीनों के भीतर मृत्यु हो जाती है, आमतौर पर श्वसन तंत्र की खराबी के परिणामस्वरूप। जो लोग जीवित बच जाते हैं, उनमें फेफड़े के प्रकार्य आमतौर पर समय के साथ बेहतर हो जाते हैं। हालाँकि, रोग फिर से हो सकता है।

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