सिफ़िलिस ट्रेपोनिमा पैलिडमबैक्टीरिया के कारण होने वाला एक संक्रमण है। जन्म लेने से पहले संक्रमित शिशुओं में यह गंभीर समस्या पैदा करता है।
सिफ़िलिस बैक्टीरिया के कारण होता है।
गर्भावस्था के दौरान गंभीर जटिलताएं विकसित हो सकती हैं।
नवजात शिशुओं में कोई लक्षण नहीं भी हो सकते हैं या गंभीर लक्षण और जटिलताएं विकसित हो सकती हैं।
आमतौर पर निदान नवजात शिशु और मां के ब्लड परीक्षण पर आधारित होता है।
संक्रमण के इलाज के लिए पेनिसिलिन का इस्तेमाल किया जाता है
(नवजात शिशुओं में संक्रमण और वयस्कों में सिफ़िलिस का विवरण भी देखें।)
सिफ़िलिस यौन संपर्क से फैलता है। हालांकि, अगर कोई गर्भवती महिला संक्रमित है, तो हो सकता है उसका भ्रूण जन्म से पहले ही संक्रमित जो जाए, बशर्ते सिफ़िलिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया गर्भनाल (भ्रूण को पोषण प्रदान करने वाला अंग) को पार कर जाए। जब कोई बच्चा सिफ़िलिस के साथ पैदा होता है, तो यह संक्रमण जन्मजात सिफ़िलिस कहलाता है।
संयुक्त राज्य में हाल के वर्षों में जन्मजात सिफ़िलिस बहुत ज़्यादा आम हो गया है। 2010 से मामलों में 500% से ज़्यादा की वृद्धि हुई है। 2020 में 2,000 से ज़्यादा मामलों का पता चला, जिनमें मृत बच्चे पैदा होने और शिशु मृत्यु के कम से कम 149 मामले शामिल हैं। संयुक्त राज्य के और भी दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में जन्मजात सिफ़िलिस के मामले दिखाई दे रहे हैं। यह बीमारी कुछ नस्लीय और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के शिशुओं में, खास तौर पर अमेरिकी भारतीयों या अलास्का के मूल निवासी समूहों में ज़्यादा आम है। इससे इन समूहों के इतना ज़्यादा प्रभावित होने का कोई कारण तो साफ़ नहीं है, लेकिन सामान्य तौर पर कहा जाए तो इनमें अच्छी गुणवत्ता की हेल्थ केयर सुविधा कम है और शायद लैंगिक स्वास्थ्य के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों में कमी भी है, जिसमें संक्रमित लोगों का फॉलो-अप करने और यह देखने के लिए कि उनका इलाज हो रहा है या नहीं, कुछ सार्वजनिक स्वास्थ्य नर्स और फ़ील्ड स्टाफ़ शामिल हैं।
नवजात शिशु में सिफ़िलिस के लक्षण
मृत शिशु पैदा हो सकता है, समय से पहले जन्म या नवजात की मृत्यु हो सकती है।
ऐसा हो सकता है कि नवजात शिशुओं में सिफ़िलिस के कोई लक्षण ना हो और कुछ संक्रमित नवजात शिशुओं को जीवन भर कोई समस्या नहीं होती है। जिन नवजात शिशुओं में लक्षण होते हैं, उनमें जन्मजात सिफ़िलिस के लक्षणों को जल्द शुरू होने या देर से शुरू होने के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रारंभिक जन्मजात सिफ़िलिस जीवन के पहले 3 महीनों के दौरान शुरू होता है। हथेलियों और तलवों पर बड़े फफोले या एक सपाट ताँबे के रंग का छाला विकसित हो सकता है। नाक और मुंह के आसपास और डायपर के संपर्क में आने वाली जगह में गांठ बन सकती हैं। हो सकता है नवजात शिशु का ठीक से विकास ना हो। उनके मुंह के चारों ओर हो सकता है दरारें हो जाए या उनके नाक से म्युकस, मवाद या खून बह सकता है। आमतौर पर उनकी लसीका ग्रंथि, लिवर और स्प्लीन बढ़े हुए होते हैं। कभी-कभी आँखों या मस्तिष्क में सूजन, सीज़र्स, मेनिनजाइटिस या बौद्धिक विकलांगता होती है। जीवन के पहले 8 महीनों के भीतर, हड्डियों और कार्टिलेज, खास तौर पर लंबी हड्डियों और पसलियों में सूजन आ जाती है, जिससे शिशुओं के लिए चलना मुश्किल हो सकता है और हो सकता है हड्डियों का विकास ठीक से ना हो।
देर से होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस पैदा होने के 2 साल बाद शुरू होता है। नाक और मुंह में छाले पड़ सकते हैं और हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ सकती हैं। आँखों की समस्याओं के कारण अंधापन हो सकता है और कॉर्निया (आइरिस और प्यूपिल के सामने स्पष्ट परत) पर निशान पड़ सकते हैं। चेहरे में दांतों और हड्डियों के विकास में भी दिक्कत आने लगती है। बहरापन किसी भी उम्र में हो सकता है।
नवजात शिशुओं में सिफ़िलिस का निदान
जल्द शुरू होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस: त्वचा, गर्भनाल और/या गर्भनाल के पदार्थ की जांच; मां और नवजात शिशु का ब्लड परीक्षण; और इसके अलावा संभवतः स्पाइनल टैप, दूसरे किस्म के ब्लड परीक्षण और हड्डी का एक्स-रे
देर से होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस: मां और बच्चे का ब्लड परीक्षण
जल्द शुरू होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस
जल्द शुरू होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस का निदान आमतौर पर गर्भवती महिला के ब्लड टेस्ट के नतीजे पर आधारित होता है, जो गर्भधारण की शुरुआत से नियमित रूप से होता है और अक्सर तीसरी तिमाही और प्रसव के समय दोबारा किया जाता है। अगर किसी गर्भवती महिला को सिफ़िलिस है, तो उसके नवजात शिशु को भी यह होने का डॉक्टरों को संदेह होता है। संक्रमित महिला से जन्मे नवजात शिशु में सिफ़िलिस है या नहीं, यह पता लगाने के लिए डॉक्टर अच्छी तरह से शारीरिक जांच करते हैं और घावों या छाले की तलाश करते हैं। अगर घाव या छाले होते हैं, तो बैक्टीरिया का पता करने के लिए डॉक्टर उनसे नमूने लेते हैं और माइक्रोस्कोप से उनकी जांच करते हैं। सिफ़िलिस के लिए वे नाल, गर्भनाल और नवजात शिशु का ब्लड टेस्ट करते हैं।
जिन शिशुओं और छोटे बच्चों में सिफ़िलिस के लक्षण होते हैं या जिनका ब्लड टेस्ट पॉजिटिव पाया गया हो, उनमें मस्तिष्क में संक्रमण का पता लगाने के लिए स्पाइनल टैप (लंबर पंचर) भी करना चाहिए। डॉक्टर, जन्मजात सिफ़िलिस के लक्षणों की जांच करने के लिए हड्डियों का एक्स-रे भी करते है।
देर से होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस
शारीरिक जांच और मां और बच्चे के ब्लड टेस्ट के नतीजे के आधार पर डॉक्टरों को देर से होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस का संदेह होता है।
डॉक्टर बच्चों की जांच करते हैं और संक्रमण के कारण होने वाली विशिष्ट समस्याओं का पता लगाते हैं। इसमें खास समस्याएं आँखों की सूजन, दांतों की विकृति और बहरेपन की होती है। इन विशेष समस्याओं से पीड़ित बच्चों में देर से होने वाले जन्मजात सिफ़िलिस के निदान की पुष्टि होती है।
नवजात शिशुओं में सिफ़िलिस से बचाव
गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही के दौरान सिफ़िलिस के लिए नियमित रूप से परीक्षण किया जाना चाहिए और तीसरी तिमाही तथा प्रसव के समय फिर से परीक्षण किया जाना चाहिए; बशर्ते वे किसी ऐसे समुदाय में रहते हैं जहां सिफ़िलिस के मामले बहुत ज़्यादा हुआ करते है या सिफ़िलिस (उदाहरण के लिए, HIV संक्रमण या असुरक्षित यौन व्यवहार) के लिए कोई जोखिम कारक हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के ज़्यादातर राज्यों में पहली तिमाही में स्क्रीनिंग ज़रूरी है और कई राज्यों में बाद में भी टेस्ट करना ज़रूरी होता है।
99% मामलों में, गर्भावस्था के दौरान पेनिसिलिन से इलाज किए जाने पर मां और भ्रूण दोनों ठीक हो जाते हैं। हालांकि, प्रसव में रह गए 4 सप्ताह से कम समय से पहले मां का इलाज भ्रूण में संक्रमण को समाप्त नहीं कर सकता है।
नवजात शिशुओं में सिफ़िलिस का इलाज
पेनिसिलिन
ऐसे लोग जो सिफ़िलिस से पीड़ित है उन सभी लोगों का इलाज एंटीबायोटिक पेनिसिलिन से किया जाता है। गर्भवती होने के दौरान, संक्रमित महिलाओं को दवा का एक इंजेक्शन (या कई इंजेक्शन) मांसपेशियों में (इंट्रामस्क्युलर) या कभी-कभी शिरा द्वारा (इंट्रावीनस) दी जाती है। नवजात शिशुओं, शिशुओं और संक्रमित बच्चों को पेनिसिलिन शिरा द्वारा या मांसपेशियों द्वारा दिया जाता है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड और एट्रोपिन के ड्रॉप आँखों की सूजन के लिए दिए जा सकते हैं। सुनने में समस्या से पीड़ित बच्चों को पेनिसिलिन और कॉर्टिकोस्टेरॉइड से फ़ायदा हो सकता है।