निर्धारित समय के बाद जन्म लेने वाले शिशु

इनके द्वाराArcangela Lattari Balest, MD, University of Pittsburgh, School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अक्टू. २०२२

गर्भावस्था के 42 सप्ताहों के बाद परिपक्वता उपरांत शिशु का प्रसव होता है।

  • नियत गर्भावस्था अवधि की समाप्ति पर, गर्भनाल का कार्य कम हो जाता है, और इससे भ्रूण को कम आहार-पौष्टिकता और कम ऑक्सीजन मिलने लगती है।

  • तय अवधि के उपरांत जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं में निम्न ब्लड शुगर (ग्लूकोज़) खास तौर पर समस्या रहती है।

  • तय अवधि के उपरांत जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं की त्वचा शुष्क, पपड़ीदार, ढ़ीली होती है और असामान्य रूप से पतली दिखाई देती है, क्योंकि गर्भावस्था की समाप्ति के उपरांत उन्हें पूरा आहार-पोषण नहीं मिलता है।

  • इसका निदान नवजात शिशु तथा प्रसव की अनुमानित तारीख के आधार पर किया जाता है।

  • खास तौर पर, उपचार के दौरान बेहतर आहार-पोषण और सामान्य देखभाल पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।

  • तय समय के उपरांत जन्म लेने वाले कुछ नवजात शिशु जन्म के समय सांस नहीं लेते हैं और उनको पुनर्जीवित (रिससिटेट) करने की ज़रूरत पड़ती है।

(नवजात शिशुओं में सामान्य चोटों का विवरण भी देखें।)

गर्भावस्था आयु का आशय भ्रूण की आयु से होता है। गर्भावस्था आयु का आशय मां की अंतिम मासिक धर्म अवधि के पहले दिन से लेकर प्रसव के दिन के बीच में सप्ताहों की संख्या से होता है। इस समयावधि को डॉक्टर द्वारा प्राप्त अन्य जानकारी के अनुसार समायोजित किया जाता है, जिसमें प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड स्कैन के परिणाम भी शामिल होते हैं, जिससे गर्भावस्था आयु के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिलती है। यह अनुमान लगाया जाता है कि शिशु 40 सप्ताह की गर्भावस्था (प्रसव की निर्धारित तारीख) के बाद जन्म लेगा।

गर्भावस्था आयु के अनुसार नवजात शिशुओं का वर्गीकरण निम्नानुसार किया जाता है

  • समय पूर्व: गर्भावस्था के 37 सप्ताहों से पहले प्रसव

  • पूर्णकालिक: गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से लेकर 41वें सप्ताह से पहले

  • विलंबित अवधि: गर्भावस्था के 41वें सप्ताह से लेकर 42वें सप्ताह से पहले

  • तय समय के उपरांत: गर्भावस्था के 42वें सप्ताह के बाद या अधिक अवधि के बाद जन्म

तय समय के उपरांत प्रसव, समय पूर्व (प्रीमेच्योर) प्रसव की तुलना में कम आम होती है। आमतौर पर, तय अवधि के उपरांत प्रसव के कारण अज्ञात रहते हैं। ऐसी महिलाएं जिनका एक प्रसव समयावधि के बाद होता है, उनमें दूसरी बार भी ऐसा होने का बढ़ा हुआ जोखिम होता है।

नियत गर्भावस्था की अवधि की समाप्ति के समीप, एमनियोटिक फ़्लूड के स्तर में गिरावट होती है, और गर्भनाल (वह अंग जो भ्रूण को पौष्टिता प्रदान करता है) छोटी हो जाती है और ऑक्सीजन और पौष्टिक तत्वों को प्रदान करने में कम प्रभावी हो जाता है। इसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए भ्रूण अपनी वसा और कार्बोहाइड्रेट्स (शर्करा) का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है, ताकि ऊर्जा प्रदान की जा सके। परिणामस्वरूप, विकास दर धीमी हो जाती है, और शायद भ्रूण का वज़न कम हो सकता है।

प्रसव के दौरान और उसके बाद जटिलताएँ

यदि गर्भनाल पर्याप्त सिकुड़ जाती है, तथा इससे भ्रूण को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल सकती है, खास तौर पर प्रसव के दौरान ऐसा हो सकता है (पेरिनटाल एस्फैक्सिया देखें)। पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी की वजह से, फ़ीटल डिस्ट्रेस (यह संकेत की भ्रूण ठीक नहीं है) तथा बदतर मामलों में मस्तिष्क और अन्य अंगों में चोट लग सकती है।

फ़ीटल डिस्ट्रेस से कारण भ्रूण मेकोनियम (भ्रूण का मल) एम्नियोटिक फ़्लूड में पास कर सकता है। रिफ़लेक्स के साथ भ्रूण गहरी, हांफता हुआ सांस ले सकता है जिसकी उत्पत्ति डिस्ट्रेस से होती है और इस प्रकार जन्म से पहले मेकोनियम-युक्त एम्नियोटिक फ़्लूड को सांस के साथ फेफड़ों में अंदर ले सकता है। परिणामस्वरूप, प्रसव के बाद नवजात शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है (मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम)।

यदि गर्भावस्था तय समय के बाद काफी देर तक बनी रहती है, तो भ्रूण की मृत्यु भी हो सकती है।

प्रसव के बाद, तय अवधि के बाद पैदा होने वाले नवजात शिशुओं में निम्न ब्लड शुगर (ग्लूकोज़) स्तरों (हाइपोग्लाइसीमिया) विकसित होने की संभावना रहती है और ऐसा इसलिए होता, क्योंकि वे अपने स्टोर वसा तथा कार्बोहाईड्रेट्स की आपूर्तियों का सेवन कर चुके होते हैं।

तय समय सीमा के बाद जन्में नवजात शिशुओं के लक्षण

तय अवधि के उपरांत जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं की त्वचा अक्सर शुष्क, पपड़ीदार, ढ़ीली होती है और असामान्य रूप से पतली (एमासिएटेड) दिखाई देती है, क्योंकि गर्भनाल का कार्य गंभीर रूप से कम हो जाता है। हाथ और पैरों की उंगलियों के नाखून बड़े होते हैं। यदि एम्नियोटिक फ़्लूड में मेकोनियम मौजूद हो, तो गर्भनाल और नाखुन हरे धब्बेदार दिखाई दे सकते हैं।

तय समय के बाद जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का निदान

  • नवजात शिशु का रूपरंग

  • प्रसव की अनुमानित तारीख

तय समय के बाद जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का निदान जन्म के बाद, नवजात का रूपरंग तथा गर्भकालीन आयु की गणना के आधार पर किया जाता है।

तय समय के बाद जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं का उपचार

  • जटिलताओं का इलाज

यदि गर्भावस्था तय समय के बाद काफी देर तक बनी रहती है, तो मां में प्रसव को प्रेरित करके नवजात शिशु की मौत के जोखिम को कम किया जा सकता है, सिजेरियन प्रसव की ज़रूरत को कम कर सकते हैं, तथा इस बात की संभावना को कम किया जा सकता है कि शिशु को मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम होगा। समय-उपरांत जन्म लेने वाले ऐसे नवजात शिशु जिनमें ऑक्सीजन के स्तर निम्न हैं तथा फ़ीटल डिस्ट्रेस है, उनका तत्काल सिजेरियन प्रसव से प्रसव किया जाना चाहिए तथा उनको जन्म के समय पुनर्जीवित (रिससिटेट) करने की ज़रूरत हो सकती है।

यदि शिशु ने फेफड़ों में सांस के साथ मेकोनियम ले लिया है या किसी अन्य समस्या के कारण उसे सांस लेने में कठिनाई होती है, तो डॉक्टर सर्फ़ेक्टेंट (एक सामग्री जो एयर सैक के अंदर कोटिंग कर देती है और सांस लेना आसान बना देती है) का इंजेक्शन दे सकते हैं। मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे फेफड़ों में सांस को अंदर और बाहर किया जाता है (वेंटिलेटर) तथा ऑक्सीजन की ज़रूरत सांस लेने के लिए हो सकती है।

हाइपोग्लाइसीमिया की रोकथाम करने के लिए शुगर (ग्लूकोज़) घोलों को शिरा (नसों के ज़रिए) के माध्यम और बार-बार स्तन का दूध/फ़ॉर्मूला फ़ीडिंग से दिया जाता है।

यदि जटिलताएं नहीं होती हैं, तो सबसे बड़ा लक्ष्य बेहतर आहार-पोषण प्रदान करना होता है, ताकि तय समय के उपरांत जन्म लेने वाले नवजात शिशु उस वज़न को प्राप्त कर लेते हैं जो उनके लिए उचित है।