पेंफिगस वलगेरिस

इनके द्वाराDaniel M. Peraza, MD, Geisel School of Medicine at Dartmouth University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जन. २०२२

पेंफिगस वल्गैरिस एक बहुत कम होने वाला और गंभीर ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें त्वचा पर और मुंह के अस्तर पर तथा अन्य म्युकस मेंब्रेन पर अलग-अलग आकार के फफोले बन जाते हैं।

  • पेंफिगस वल्गैरिस तब होता है, जब प्रतिरक्षा तंत्र त्वचा की ऊपरी परतों में मौजूद प्रोटीन पर ग़लती से हमला कर देता है।

  • लोगों के मुंह में और शरीर के अन्य भागों पर बहुत अधिक फफोले बन जाते हैं, और कभी-कभी त्वचा की परतें उतरने लगती हैं।

  • डॉक्टर माइक्रोस्कोप के माध्यम से त्वचा के नमूनों की जांच करके, पेंफिगस वल्गैरिस का निदान कर सकते हैं।

  • उपचार में आम तौर पर, कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएँ या प्रतिरक्षा तंत्र को सुप्त करने वाली दवाएँ शामिल होती हैं।

पेंफिगस अधिकतर अधेड़ों या बुज़ुर्गों में होता है, और यह पुरुषों व महिलाओं में समान रूप से होता है। यह बच्चों में बहुत कम मामलों में ही होता है।

शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कुछ विशेष कोशिकाएँ बनाता है, जो बैक्टीरिया और वायरस जैसे हानिकारक बाहरी हमलावरों से शरीर की सुरक्षा करती हैं। इनमें से कुछ कोशिकाएँ एंटीबॉडीज नाम के प्रोटीन बनाकर हमलावरों पर प्रतिक्रिया देती हैं। एंटीबॉडीज हमलावरों को निशाना बनाकर उन पर चिपक जाती हैं और इन्हें नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र की अन्य कोशिकाओं को आकर्षित करती हैं। ऑटोइम्यून विकार में शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र ग़लती से शरीर के अपने ही ऊतकों—इस मामले में त्वचा—पर हमला कर देता है। प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा निर्मित एंटीबॉडीज ऐसे कुछ प्रोटीन पर हमला करती हैं जो एपिडर्मल कोशिकाओं (त्वचा की ऊपरी परत में मौजूद कोशिकाओं) को एक-दूसरे से जोड़कर रखते हैं। जब यह जुड़ाव टूट जाता है, तो कोशिकाएँ एक-दूसरे से और त्वचा की निचली परतों से अलग हो जाती हैं, और फफोले बन जाते हैं। बुलस पेंफिगोइड नाम के त्वचा विकार में भी ऐसे ही फफोले बनते हैं, लेकिन वे कम गंभीर होते हैं।

(फफोले पैदा करने वाले विकारों का विवरण भी देखें।)

पेंफिगस वल्गैरिस के लक्षण

पेंफिगस वल्गैरिस का मुख्य लक्षण अलग-अलग आकर के पारदर्शी, नर्म, और दर्द करने वाले (कभी-कभी छूने मात्र से दर्द करने वाले) फफोलों का बनना है। साथ ही, मामूली सा भींचने या रगड़ने मात्र से त्वचा की ऊपरी परत निचली परतों से अलग हो जाती है, जिससे उसकी परत उतर जाती हैं और खुली त्वचा के दर्द करने वाले स्थान पीछे छूट जाते हैं (क्षरण)।

पेंफिगस वल्गैरिस (क्षरण)
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इस फोटो में खुली त्वचा वाली जगहें (क्षरण) दिख रही हैं, जिनके चारों ओर लालिमा है।
चित्र डैनियल एम. पैरेज़ा, MD के सौजन्य से।
पेंफिगस वलगेरिस
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इस फोटो में पारदर्शी व नर्म फफोले दिख रहे हैं, जो आम तौर पर पेंफिगस वल्गैरिस में होते हैं। कुछ फफोले फट चुके हैं और फफोलों के इर्द-गिर्द की त्वचा (जिसमें ठीक हो रहे फफोले शामिल हैं) लाल होती है।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।
पेंफिगस वल्गैरिस (त्वचा उतरना और खुले घाव)
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इस फोटो में देखा जा सकता है कि त्वचा उतर चुकी है और अपने पीछे खुली त्वचा के दर्द करने वाले स्थान (क्षरण) छोड़ गई है।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।

फफोले अक्सर सबसे पहले मुंह में होते हैं, जो जल्द ही फट जाते हैं जिनसे दर्द करने वाले छाले (घाव) बन जाते हैं। इसके बाद और फफोले और घाव तब तक बनते रहते हैं, जब तक मुंह की पूरी अंदरूनी त्वचा प्रभावित नहीं हो जाती, जिससे निगलने, खाने, और पीने में कठिनाई होती है। गले में भी फफोले हो जाते हैं।

पेंफिगस वल्गैरिस (मुंह के छाले)
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इस फोटो में दिख रहा है कि फफोले फट चुके हैं और उनसे मुंह के छाले (घाव) बन गए हैं। फफोले अक्सर पहले मुंह में दिखते हैं और उसके बाद त्वचा पर।
छवि को थॉमस हबीफ, MD द्वारा उपलब्ध कराया गया।

फफोले त्वचा पर बन सकते हैं और फट सकते हैं, जिससे वे अपने पीछे कच्चे, दर्द करने वाले और खुरंटदार घाव छोड़ जाते हैं। व्यक्ति को सामान्य तौर पर अस्वस्थता महसूस होती है। फफोले बड़े स्थानों में फैले हो सकते हैं, और फट जाने पर उनमें संक्रमण हो सकता है। गंभीर होने पर, पेंफिगस वल्गैरिस गंभीर रूप से जलने जितना हानिकारक होता है। जलने के समान ही, खराब त्वचा से बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ रिसते हैं और उसमें कई प्रकार के बैक्टीरिया का संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है।

पेंफिगस वल्गैरिस का निदान

  • स्किन बायोप्सी

डॉक्टर आम तौर पर, पेंफिगस वल्गैरिस के विशिष्ट फफोलों से इसकी पहचान कर लेते हैं, लेकिन निश्चितता के साथ इस विकार के निदान के लिए त्वचा के नमूने को माइक्रोस्कोप के माध्यम से जांचा जाता है (स्किन बायोप्सी)। कभी-कभी डॉक्टर विशेष रासायनिक स्टेन का उपयोग करते हैं, जिनसे एंटीबॉडी के जमावों को माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखना संभव हो जाता है (इसे इम्यूनोफ़्लोरेसेंस ऐसे कहते हैं)।

डॉक्टर त्वचा की प्रभावित परतों और एंटीबॉडी जमावों की विशेष दिखावट पर ध्यान देकर, पेंफिगस वल्गैरिस और बुलस पेंफिगोइड के मध्य अंतर कर लेते हैं।

पेंफिगस वल्गैरिस का पूर्वानुमान

उपचार के बिना, पेंफिगस वल्गैरिस अक्सर जानलेवा होता है और आम तौर पर, 5 वर्षों के भीतर रोगी की मृत्यु हो जाती है। उपचार से जीवित बचने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है, लेकिन मृत्यु की संभावना सामान्य जनसमूह की तुलना में तब भी लगभग दोगुनी होती है। यदि लोगों के शरीर के बड़े भाग पर पेंफिगस वल्गैरिस हो, उन्हें विकार पर नियंत्रण के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं की या प्रतिरक्षा तंत्र को दबाने वाली अन्य दवाओं की ज़्यादा खुराक की ज़रूरत पड़े या अन्य गंभीर विकार हों, तो मृत्यु और गंभीर जटिलताओं का जोखिम अधिक हुआ करता है।

क्या आप जानते हैं...

  • पेंफिगस वल्गैरिस उपचार के बिना अक्सर जानलेवा होता है, लेकिन यदि लोगों को उपचार मिल जाए, तो अधिकतर लोग जीवित बच जाते हैं।

पेंफिगस वल्गैरिस का उपचार

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएँ (मुंह या नसों से ली जाने वाली)

  • फट चुके फफोलों के लिए एंटीबायोटिक्स दवाएँ और रक्षात्मक ड्रेसिंग

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का उपयोग घटाने के लिए, अक्सर इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएँ या इम्यून ग्लोबुलिन

मध्यम से गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। अस्पताल में त्वचा की कच्ची सतहों को विशिष्ट देखभाल की ज़रूरत होती है, बिल्कुल वैसी देखभाल जैसी गंभीर रूप से जले लोगों को दी जाती है। फट चुके फफोलों में होने वाले संक्रमणों के उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स दवाओं की ज़रूरत पड़ सकती है। ड्रेसिंग कच्चे और रिस रहे स्थानों की रक्षा कर सकती हैं।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं की ज़्यादा खुराक उपचार का मुख्य आधार हैं। उन्हें मुंह से लिया जाता है या यदि व्यक्ति अस्पताल में भर्ती हो, तो उन्हें नसों के ज़रिए (इंट्रावीनस विधि से) दिया जा सकता है। यदि रोग नियंत्रित हो जाता है, तो कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं की खुराक थोड़ा-थोड़ा करके घटाई जाती है (टेपर की जाती है)। कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं के साथ रिटक्सीमैब भी दी जाती है, जो प्रतिरक्षा तंत्र को सुप्त बनाने वाली एक दवा (इम्युनोसप्रेसेंट) है।

यदि व्यक्ति को उपचार से लाभ नहीं होता है या डोज़ कम किए जाने पर रोग बढ़ जाता है, तो कोई इम्युनोसप्रेसेंट दवा, जैसे एज़ेथिओप्रीन, साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड, मीथोट्रेक्सेट, माइकोफ़ेनोलेट मोफ़ेटिल, साइक्लोस्पोरिन या रिटक्सीमैब (यदि पहले से ही न दी जा रही हो) भी दी जाती है। जिन लोगों को कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएँ लंबे समय तक लेनी पड़ी हैं या उनकी हाई डोज़ लेनी पड़ी है उनमें इनकी ज़रूरत घटाने के लिए भी इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएँ दी जा सकती हैं। नसों के ज़रिए दिया जाने वाला इम्यून ग्लोबुलिन एक और ऐसा उपचार है जिसे गंभीर पेंफिगस वल्गैरिस के लिए प्रयोग किया जा सकता है। कुछ लोगों को इतना लाभ हो जाता है कि उनकी ड्रग थेरेपी रोकी जा सकती है, वहीं अन्य लोगों को दवाओं की कम खुराक लंबे समय तक जारी रखनी पड़ती है।

गंभीर पेंफिगस वल्गैरिस से ग्रस्त लोग प्लाज़्मा एक्सचेंज भी करवा सकते हैं, इस प्रक्रिया में एंटीबॉडीज को खून से छानकर अलग किया जाता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेज़ी-भाषा का संसाधन है जो उपयोगी हो सकता है। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. National Organization for Rare Disorders: पेंफिगस के बारे में जानकारी, जिसमें संसाधनों और सहायक संगठनों के लिंक शामिल हैं