स्प्लीन डिसऑर्डर और इम्यूनोडिफ़िशिएंसी

इनके द्वाराJames Fernandez, MD, PhD, Cleveland Clinic Lerner College of Medicine at Case Western Reserve University
द्वारा समीक्षा की गईBrian F. Mandell, MD, PhD, Cleveland Clinic Lerner College of Medicine at Case Western Reserve University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया संशोधित अक्टू॰ २०२४
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इम्यून सिस्टम के काम के लिए स्प्लीन महत्वपूर्ण है। स्प्लीन, रक्त को फ़िल्टर करती है, रक्तप्रवाह में बैक्टीरिया और दूसरे इन्फेक्शन करने वाले जीवों को निकालती और नष्ट करती है। यह एंटीबॉडीज़ (इम्युनोग्लोबुलिन) भी पैदा करती है। (इम्यूनोडिफ़िशिएंसी डिसऑर्डर का ब्यौरा भी देखें।)

जिन लोगों की स्प्लीन, जन्म के समय से ही मौजूद नहीं है या क्षतिग्रस्त हो गई है या किसी बीमारी के चलते निकाल दी गई है, उनके लिए गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

जिन लोगों में स्प्लीन नहीं होती है, उन्हें खास तौर पर न्यूमोकोकल टीके और मेनिंगोकोकल टीके की ज़रूरत होती है। इन टीकों की ज़रूरत उन्हें बचपन के सामान्य टीकों के शेड्यूल की तुलना में अलग-अलग समय पर हो सकती है।

जिन लोगों को स्प्लीन डिसऑर्डर है या जिनमें स्प्लीन मौजूद नहीं है, उन्हें इन्फेक्शन के शुरुआती संकेत पर एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। जिन बच्चों में स्प्लीन नहीं है, उन्हें रक्तप्रवाह में संक्रमण से बचने के लिए कम से कम 5 वर्ष की उम्र तक लगातार एंटीबायोटिक्स, आमतौर पर पेनिसिलिन या एम्पीसिलीन लेना चाहिए। अगर उन्हें इम्यूनोडिफ़िशिएंसी डिसऑर्डर भी है, तो वे इन एंटीबायोटिक्स दवाओं को हमेशा के लिए ले सकते हैं।

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