टिल्ट टेबल टेस्टिंग

इनके द्वाराThomas Cascino, MD, MSc, Michigan Medicine, University of Michigan;
Michael J. Shea, MD, Michigan Medicine at the University of Michigan
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस॰ २०२३

टिल्ट टेबल परीक्षण एक ऐसा चिकित्सा परीक्षण होता है, जिसमें यह मापा जाता है कि अलग-अलग शारीरिक स्थितियां हृदय दर, हृदय की रिदम और ब्लड प्रेशर को कैसे प्रभावित करती हैं। जिन लोगों को बिना किसी कारण के चक्कर या बेहोशी आती है, वे अपने लक्षणों के कारण के निदान के लिए टिल्ट टेबल परीक्षण करवा सकते हैं।

    टिल्ट टेबल टेस्टिंग की अनुशंसा आमतौर से उन लोगों के लिए की जाती है जिन्हें किसी अज्ञात कारण से बेहोशी (सिंकोप या बेहोशी) का अनुभव होता है और जिन्हें कोई संरचनात्मक हृदय विकार (जैसे कि अयोर्टिक वाल्व का संकरापन) नहीं होता है। जिन लोगों को बिना किसी कारण के चक्कर आते हैं और जो बार-बार गिरते हैं, उनकी जाँच के लिए भी टिल्ट टेबल परीक्षण का इस्तेमाल किया जाता है। कभी-कभी टिल्ट टेबल परीक्षण का इस्तेमाल, कुछ प्रकार के सिनकोप या मिर्गी से होने वाले सिनकोप के बीच अंतर करने के लिए किया जाता है।

    टिल्ट टेबल टेस्टिंग कैसे करते हैं

    आमतौर से, लोगों को एक मोटर से चालित मेज से बाँधा जाता है और वे 15 मिनट के लिए सपाट लेटे रहते हैं। फिर उनके सिर को 45 मिनटों के लिए 60° से 80° के कोण पर उठा कर देखा जाता है कि क्या उन्हें मूर्च्छा आती है या उनका रक्तचाप और हृदय दर कम हो जाते हैं। यदि रक्तचाप कम नहीं होता है, तो व्यक्ति की शिरा में आइसोप्रोटेरीनॉल (हृदय को उत्तेजित करने वाली एक दवाई) एक ऐसी खुराक में दी जाती है जो हृदय दर में प्रति मिनट 20 बीट्स की वृद्धि करने के लिए पर्याप्त होती है, और फिर परीक्षण को दोहराया जाता है।

    quizzes_lightbulb_red
    अपना ज्ञान परखेंएक क्वज़ि लें!
    मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
    मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
    अभी डाउनलोड करने के लिए कोड को स्कैन करेंiOS ANDROID