कैंसर से सुरक्षा

इनके द्वाराRobert Peter Gale, MD, PhD, DSC(hc), Imperial College London
द्वारा समीक्षा की गईJerry L. Spivak, MD; MACP, , Johns Hopkins University School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२४ | संशोधित अक्टू॰ २०२४
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कोशिका के कैंसर से प्रभावित होने के बाद, अक्सर इम्यून सिस्टम उस असामान्यता की पहचान कर लेता है और इससे पहले कि उसकी संख्या बढ़े या वो फैले उसे नष्ट कर देता है। कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को पूरी तरह से अलग किया जा सकता है, जिससे कैंसर फिर दोबारा कभी नहीं होता। कुछ कैंसर उन लोगों में बढ़ने की ज़्यादा संभावना होती है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली परिवर्तित या क्षतिग्रस्त होती है, जैसे कि एडवांस HIV संक्रमण (AIDS) वाले लोग, प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाएँ लेने वाले लोग, कुछ ऑटोइम्यून विकार वाले लोग और वयोवृद्ध वयस्क, जिनमें युवा लोगों की तुलना में प्रतिरक्षा प्रणाली कम अच्छी तरह काम करती है। कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में होने वाले आम कैंसरों में मेलेनोमा, किडनी कैंसर और लिम्फ़ोमा शामिल हैं। डॉक्टर यह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि क्यों फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट और कोलन जैसे कुछ अन्य कैंसर, कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में ज़्यादा आम नहीं हैं।

ट्यूमर एंटीजन

एंटीजन बाहर से हमारे शरीर में आने वाला पदार्थ होता है, हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इसकी पहचान करके इसे नष्ट कर देता है। एंटीजन सभी कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं, लेकिन सामान्य रूप से इम्यून सिस्टम किसी व्यक्ति की अपनी कोशिकाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करता है। जब कोई कोशिका, कैंसर से प्रभावित होती है, तब इम्यून सिस्टम के लिए अपरिचित—नए एंटीन—कोशिका की सतह पर दिखते हैं। इम्यून सिस्टम इन नए एंटीजन, जिन्हें ट्यूमर एंटीजन कहा जाता है, इनकी पहचान बाहर से आने वाले पदार्थ के तौर पर कर सकता है और कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को रखने या नष्ट करने का काम कर सकता है। यह वह प्रणाली है जिसके द्वारा शरीर असामान्य कोशिकाओं को नष्ट करता है और अक्सर कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को स्थापित होने से पहले ही नष्ट करने में सक्षम होता है। हालांकि, बेहतर ढंग से काम करने वाला इम्यून सिस्टम हमेशा कैंसर से प्रभावित सभी कोशिकाओं को खत्म नहीं कर सकता। और, एक बार कैंसर से प्रभावित कोशिकाएं फिर से पैदा हो जाएं और कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं (कैंसर से प्रभावित ट्यूमर) की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ जाए, तो शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह खराब हो सकता है।

कई प्रकार के कैंसर में ट्यूमर एंटीजन निर्धारित किए जा चुके हैं, जिनमें मेलेनोमा, स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, और लिवर का कैंसर शामिल हैं। ट्यूमर एंटीजन से बनी वैक्सीनें प्रोस्टेट कैंसर का उपचार करने में इस्तेमाल हो रही हैं और वे इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करके कैंसर के अन्य प्रकारों का इलाज कर सकती हैं। इस तरह की वैक्सीनें बड़े-बड़े अनुसंधान हित का क्षेत्र होतीं है।

कुछ ट्यूमर एंटीजनों का पता ब्लड टेस्ट के द्वारा लगाया जा सकता है। इन एंटीजन को कभी-कभी ट्यूमर बायोमार्कर भी कहा जाता है। इन ट्यूमर मार्करों में से कुछ का मापन उपचार के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करने में इस्तेमाल किया जा सकता है (कुछ कैंसर बायोमार्कर तालिका देखें)।

इम्यून चेकपॉइंट

इम्यून सिस्टम के सामान्य रूप से काम करते वक्त भी, कैंसर इम्यून सिस्टम की सुरक्षात्मक निगरानी की नज़र से बचा रह सकता है।

इम्यून सिस्टम सामान्य कोशिकाओं पर आमतौर पर हमला नहीं करता है, इसका एक कारण यह है कि सामान्य कोशिकाओं की सतह पर प्रोटीन होते हैं जो फैल रही इम्यून कोशिकाओं (T कोशिकाओं) को यह संकेत करती हैं कि वे एक सामान्य कोशिका में हैं और उन पर आक्रमण नहीं होना चाहिए। इन्हें चेकपॉइंट प्रोटीन कहा जाता है। कई बार कैंसर कोशिकाएं इनमें से एक या ज़्यादा चेकपॉइंट प्रोटीनों का उत्पादन करने की क्षमता विकसित कर लेती हैं और इस तरह से आक्रमण से बच जाती हैं। चेकपॉइंट इन्हिबिटर्स नामक एक प्रकार की कैंसर दवा सिग्नल को अवरुद्ध कर सकती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर पर हमला करने में सक्षम बना सकती है।

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