आवधिक अंग संचलन विकार (PLMD) तथा रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS)

इनके द्वाराRichard J. Schwab, MD, University of Pennsylvania, Division of Sleep Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२

आवधिक अंग संचलन से जुड़ी समस्याओं में बाजुओं, टांगों या दोनों का नींद के दौरान बार-बार हिलना-डुलना शामिल होता है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में हिलने-डुलने की प्रबल इच्छा होती है तथा आमतौर पर टांगो, बाजुओं या दोनो में संवेदना होती है, जब लोग स्थिर बैठते या लेटते हैं।

  • आवधिक अंग संचलन से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों में, टाँगें, बाजु या दोनो ही में संकुचन या ऐंठन होता है, नींद बाधक होती है, लेकिन लोगों को आमतौर पर इन संचलनों का पता नहीं होता।

  • रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को रिलैक्स करने और नींद करने में कठिनाई होती है, क्योंकि उनको अपनी टांगों या बाजुओं के हिलने-डुलने की प्रबल इच्छा होती है।

  • डॉक्टर रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का लक्षणों के आधार पर निदान कर सकते हैं, लेकिन अंगों के बार-बार हिलने-डुलने की समस्या के निदान के लिए स्लीप लेबोरेटरी में परीक्षण की ज़रूरत होती है।

  • कोई उपचार नहीं है, लेकिन पार्किंसन रोग का उपचार करने वाली दवाओं तथा अन्य दवाओं का प्रयोग लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

ये नींद से जुड़ी समस्याओं के मध्य और वृद्धावस्था में आम होते हैं।

अमेरिका में, 5 से 15% लोग रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन केवल 2 से 3% लोगों में ही महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित ज़्यादातर लोगों को आवधिक अंग संचलन विकार के लक्षण होते हैं, लेकिन अंगों के बार-बार हिलने-डुलने की समस्याओं से पीड़ित लोगों में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम नहीं होता।

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम और अंगों के बार-बार हिलने-डुलने से जुड़ी समस्याएं क्यों होती हैं, यह अज्ञात है। हालांकि, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित एक तिहाई या अधिक लोगों में परिवार के किसी सदस्य को यह सिंड्रोम होता है। जोखिम कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सुस्त जीवनशैली

  • धूम्रपान

  • मोटापा

अंगों के बार-बार हिलने-डुलने से जुड़ी समस्याएं मध्यम आयु और वृद्ध लोगों के बीच में अधिक आम होता है। आमतौर पर यह नार्कोलेप्सी या तीव्र आँखों के फड़कने की समस्याएं (REM) नींद से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित लोगों में होता है।

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम और अंगों के बार-बार हिलने-डुलने, दोनो के निम्नलिखित से पीड़ित लोगों में होने की संभावना अधिक होती है:

  • कुछ दवाओं का सेवन करना बंद कर देते हैं (जिनमें डाइआज़ेपैम जैसे बेंज़ोडाइज़ेपाइन शामिल हैं)

  • उत्प्रेरक (जैसे कैफ़ीन या उत्प्रेरक दवाएँ) या कुछ खास एंटीडिप्रेसेंट लेते हैं

  • जिनमें आयरन की कमी होती है

  • एनीमिया होता है

  • गर्भवती हैं

  • क्रोनिक किडनी या लिवर से जुड़ी समस्या होती है

  • मधुमेह से पीड़ित हैं

  • न्यूरोलॉजिक बीमारी जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस या पार्किंसन रोग है

PLMD तथा RLS के लक्षण

अंगों के बार-बार हिलने-डुलने से जुड़ी समस्याएं तथा रेस्टलेस लेग सिंड्रोम दोनो से ही नींद में बाधा आती है। इसकी वजह से, दिन में लोग थके हुए और नींद महसूस करते हैं।

अंगों के बार-बार हिलने से जुड़ी समस्याओं के लक्षण

टांगों और बाजुओं में खास तौर पर नींद के दौरान हर 20 से 40 सेकंड के दौरान संकुचन और झटके लगते हैं। आमतौर पर लोगों को इन संचलनों और उसके बाद होने वाले थोड़ी देर के लिए जागने की जानकारी नहीं होती है, लेकिन वे खराब नींद की शिकायत करते हैं, रात को कई बार जागने, या दिन के दौरान नींद महसूस करने की शिकायत करते हैं। लोगों को टांगों या बाजुओं में कोई असामान्य संवेदना नहीं होती। बिस्तर में साथ सोने वाले साझेदार लात मारे जाने की शिकायत करते हैं।

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण

खास तौर पर, ऐसे लोग जो रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं, उनमें अपनी टांगों को हिलाने की प्रबल इच्छा होती है जब वे बैठे रहते हैं या लेटते हैं। लोग अक्सर अपने पैरों में अस्पष्ट, लेकिन तीव्र अजीब संवेदना महसूस करते हैं और कभी-कभी ऐसा दर्द के साथ होता है। संवेदना को जलन, रेंगने या खींचने अथवा टांगों के अंदर कीड़ों के रेंगने के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है।

पैदल चलने या संचालन करने या टांगों को खींचने से संवेदनाओं में राहत मिल सकती है। लोग जल्दबाजी कर सकते हैं, बैठे हुए लगातार अपने पैर हिला सकते हैं, और बिस्तर में करवट बदल सकते हैं। इस प्रकार, लोगों को आराम करने और सो जाने में कठिनाई होती है। नींद के दौरान, टाँगे अचानक ही तथा अनियंत्रित रूप से हिलती हैं, और सोने वाला जाग जाता है।

लक्षणों के उस समय होने की संभावना अधिक होती है, जब लोगों को तनाव होता है। घटनाएं कभी-कभी हो सकती हैं, जिनकी वजह से कुछ समस्याएं हो सकती हैं, या फिर दैनिक समस्याएं हो सकती हैं, लोग नींद से वंचित रह सकते हैं तथा उनके लिए ध्यान केन्द्रित करना और काम करना मुश्किल हो सकता है।

PLMD तथा RLS का निदान

  • रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लिए डॉक्टर का निदान

  • अंगों के बार-बार हिलने-डुलने से जुड़ी समस्याओं के लिए पॉलीसोम्नोग्राफ़ी

  • दोनों में से किसी भी बीमारी के लिए, कारण की जांच करने के लिए परीक्षण

व्यक्ति या व्यक्ति के साथ सोने वाले साझेदार द्वारा सूचित किए गए लक्षणों के आधार पर, डॉक्टर अक्सर रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का निदान कर सकते हैं। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर, अंगों के हिलने-डुलने की समस्या का संदेह कर सकते हैं जैसे नींद न आना, दिन के समय बहुत ज़्यादा नींद आना और/या सोने जाने से ठीक पहले या नींद के दौरान अत्यधिक खिंचाव होना।

अंगों का बार-बार हिलने-डुलने की बीमारी विकार का निदान करने के लिए इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी (EMG) के साथ पॉलीसोम्नोग्राफ़ी, को हमेशा किया जाता है। इन परीक्षणों को स्लीप लेबोरेटरी में रातभर में किया जाता है तथा इसे घर पर नहीं किया जात। पॉलीसोम्नोग्राफ़ी में, लोगों के सोए रहने के दौरान दिमाग की गतिविधि, धड़कन की दर, सांस लेना, मांसपेशी की गतिविधि, तथा आँखों के संचलन की निगरानी की जाती है। अंगों के हिलने का प्रलेखन करने के लिए लोगों की पूरी रात सोए हुए वीडियोटेपिंग की जा सकती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के निदान के बाद, यह तय करने के लिए इन जांचों को किया जाता है कि क्या लोग अंगों के बार-बार हिलने-डुलने की समस्या से भी पीड़ित हैं।

यदि दोनों में से किसी भी बीमारी का निदान किया जाता है, तब खून और मूत्र परीक्षण उन बीमारियों को देखने के लिए किए जाते हैं जो योगदान कर सकते हैं, जैसे एनीमिया, आयरन की कमी, तथा किडनी और लिवर की समस्याएं।

PLMD तथा RLS का उपचार

  • आहार में बदलाव

  • पार्किंसन रोग का उपचार करने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएँ तथा अन्य दवाएँ

कैफ़ीन के सेवन से दूर रहने का सुझाव दिया जाता है, जिससे लक्षण बदतर हो सकते हैं। यदि लोगों में आयरन की कमी है, तो प्राथमिक उपचार आयरन सप्लीमेंट होता है।

आवधिक अंग संचलन विकार तथा रेस्टलेस लेग सिंड्रोम दोनो का उपचार करने के लिए एक ही दवा का इस्तेमाल किया जाता है। इन दवाओं में शामिल हैं

  • एंटीसीज़र दवाएँ: कुछ लोगों में एंटीसीज़र दवा जिसका प्रयोग दर्द का उपचार करने के लिए किया जाता है, वह कुछ लोगों में प्रभावी साबित होती है। इन दवाओं में गाबापेंटिन या प्रेगाबैलिन शामिल हैं।

  • पार्किंसन रोग का उपचार करने के लिए इस्तेमाल होने वाली खास दवाएँ: प्रामीपेक्सोल, रोपीनिरोल या रोटिगोटाइन (पैच के रूप में इस्तेमाल होने वाला) से शायद सहायता मिल सकती है। ये दवाएँ डोपामाइन—एक रसायन जो तंत्रिका कोशिकाओं से दूसरी कोशिकाओं को संदेश भेजते हैं (न्यूरोट्रांसमीटर) के जैसे काम करती हैं। ये मांसपेशियों के लिए तंत्रिका आवेगों को बढ़ाते हैं। कभी-कभी इन दवाओं के कारण लक्षण बदतर हो जाते हैं। इनके कारण मतली, जब कोई व्यक्ति खड़ा होता है, तो ब्लड प्रेशर में बहुत अधिक गिरावट (ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन) हो सकती है, बाध्यकारी व्यवहार और अनिद्रा हो सकती है।

  • ओपिओइड्स: ओपिओइड जैसे ऑक्सीकोडॉन का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर उनका प्रयोग सावधानी से करते हैं, क्योंकि उनके गंभीर बुरे असर हो सकते हैं, जिसमें आदत की संभावना शामिल है।

गाबापेंटिन एनाकार्बिल वह मुख्य उपचार है जिसका प्रयोग आवधिक अंग संचलन विकार तथा रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के लिए किया जाता है। ये दवा रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में राहत प्रदान करती है और इसकी वजह से लक्षण बदतर नहीं होते।