स्पाइन का कंप्रेशन फ्रैक्चर

(वर्टीब्रल फ्रैक्चर)

इनके द्वाराDanielle Campagne, MD, University of California, San Francisco
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस. २०२२

स्पाइन के कंप्रेशन फ्रैक्चर में, पीठ की एक या अधिक हड्डियों (वर्टीब्रा) का बेलनाकार भाग (बॉडी) अपने आप में बिखर जाता है और पिचक (कंप्रेस्ड) कर एक खूँटे के आकार में बदल जाता है।

  • अधिकतर कंप्रेशन फ्रैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित बूढ़े लोगों में हल्के या बिना बल के कारण ही हो जाते हैं।

  • अधिकतर लोगों में, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हुए कंप्रेशन फ्रैक्चर कोई लक्षण पैदा नहीं करते, लेकिन जब दर्द होता है, तो लंबे समय तक चलना, खड़े रहना, या बैठना दर्द को बढ़ा देता है।

  • डॉक्टर एक्स-रे या कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी का उपयोग करके स्पाइनल फ्रैक्चर की जांच करते हैं।

  • इलाज में ब्रेसेस, आराम देने के उपाय, और कभी-कभी फ्रैक्चर हड्डी में बोन सीमेंट के इंजेक्शन शामिल होते हैं।

स्पाइन का कंप्रेशन फ्रैक्चर

कंप्रेशन फ्रैक्चर में, रीढ़ की एक या अधिक हड्डियों (वर्टीब्रा) का बेलनाकार भाग (बॉडी) अपने आप में बिखर जाता है और पिचक (कंप्रेस्ड) कर एक खूँटे के आकार में बदल जाता है। यदि रीढ़ की हड्डियों के कई फ्रैक्चर हों, तो पीठ झुक कर गोलाई आकार की हो जाती है।

स्पाइन में 24 रीढ़ की हड्डियाँ और टेलबोन (सैक्रम) होती हैं। रीढ़ की हड्डियाँ शरीर के अधिकतर वज़न का वहन करती हैं और इस प्रकार उन पर बहुत दबाव होता है। रीढ़ की हड्डी में सामने की ओर एक बेलनाकार भाग (संरचना), स्पाइनल कॉर्ड के लिए एक छेद, और रीढ़ में हड्डी के कई उभार (जिन्हें प्रोसेस कहा जाता है) होते हैं। रीढ़ की प्रत्येक हड्डी के बीच स्थित कार्टिलेज की डिस्क हड्डियों को सहारा देने और सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।

कंप्रेशन फ्रैक्चर में, रीढ़ की हड्डी की रचना बिखर जाती है, आमतौर पर बहुत अधिक दबाव के कारण। ये फ्रैक्चर आमतौर पर रीढ़ के बीच में या निचले भाग में होते हैं। वे बूढ़े लोगों में ज़्यादा आम होते हैं, सामान्यतः जिनको ऑस्टियोपोरोसिस हो, जो हड्डी को कमज़ोर कर देता है। कभी-कभी ये फ्रैक्चर उन लोगों को होते हैं जिन्हें कैंसर हो जो स्पाइन तक फैल कर उसे कमज़ोर कर चुका हो (जिन्हें पैथेलॉजिक फ्रैक्चर कहते हैं)। जब हड्डियाँ कमज़ोर हो गई हों, तो कंप्रेशन फ्रैक्चर बहुत थोड़े बल के कारण भी हो सकते हैं, जैसे जब लोग कोई वस्तु उठाते हैं, आगे झुकते हैं, बिस्तर से उठते हैं, या लड़खड़ाते हैं। कभी-कभी लोगों को ऐसी कोई घटना याद नहीं रहती जिसके कारण फ्रैक्चर हुआ था।

कभी-कभी, कंप्रेशन या अन्य प्रकार के स्पाइनल फ्रैक्चर अत्यधिक बल के कारण होते हैं, जैसा कि कार क्रैश, ऊँचाई से गिरने, या किसी बंदूक की गोली के घाव में हो सकता है। ऐसे मामलों में, हो सकता है कि कोई स्पाइनल कॉर्ड की चोट भी हो, और स्पाइन एक से अधिक जगहों पर फ्रैक्चर हो गई हो। यदि कारण बहुत ऊँचाई से गिरना था और लोग एक या दोनों एड़ियों के बल पर ज़मीन पर उतरे थे, तो लोगों को एक एड़ी का फ्रैक्चर भी हो सकता है।

(फ्रैक्चर का विवरण भी देखें।)

स्पाइनल कंप्रेशन फ्रैक्चर के लक्षण

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हुए कंप्रेशन फ्रैक्चर वाले दो तिहाई लोगों को कोई लक्षण नहीं होते। फ्रैक्चर होने पर उन्हें कोई दर्द नहीं होता।

जब रीढ़ की कई हड्डियों में फ्रैक्चर हो, तो लोग कुछ कम लंबे हो सकते हैं और पीठ गोलाई में झुक सकती है (जिसे काइफ़ोसिस या कभी-कभी डाउजर्स हंप कहते हैं)। हो सकता है लोग सीधे खड़े होने में असमर्थ हों। उन्हें झुकने, पहुँच बनाने, उठाने, सीढ़ियाँ चढ़ने, और चलने में कठिनाई हो सकती है।

कभी-कभी किसी कंप्रेशन फ्रैक्चर के कारण अचानक, पीठ में तीखा दर्द होता है या धीरे-धीरे विकसित होना वाला दर्द हो जाता है। दर्द हल्का या बहुत ज़्यादा हो सकता है। वह सतत और धीमा हो सकता है और जब लोग लंबे समय के लिए खड़े होते, चलते, आगे झुकते, या बैठे रहते हैं तब बढ़ सकता है। दर्द पेट वाले भाग तक भी फैल सकता है। पीठ पर धीरे से थपकी देने से तकलीफ़ होती है, जैसा डॉक्टर परीक्षण के दौरान करते हैं।

दर्द सामान्यतः लगभग 4 सप्ताह के बाद कम होता है और लगभग 12 सप्ताह बाद समाप्त हो जाता है।

वे कंप्रेशन जो ऑस्टियोपोरोसिस के कारण नहीं होते वे अचानक दर्द पैदा करते हैं, और फ्रैक्चर वाली जगह पर छूने से दर्द होता है। इन लोगों को आमतौर पर मांसपेशियों की ऐंठन भी होती है।

क्या आप जानते हैं...

  • अक्सर, स्पाइन के कंप्रेशन फ्रैक्चर कोई लक्षण पैदा नहीं करते।

  • कई बूढ़े लोगों में, पीठ गोलाई में झुक जाती है (कभी-कभी डाउजर्स हंप कहलाता है) क्योंकि उन्हें कई वर्टीब्रल फ्रैक्चर हो जाते हैं।

अन्य चोटें

बहुत कम बार, स्पाइनल कॉर्ड या स्पाइन की तंत्रिकाओं की जड़ें (जो रीढ़ की हड्डियों के बीच से गुज़रती हैं) चोटग्रस्त हो जाती हैं। इस चोट की संभावना तब अधिक होती है जब कंप्रेशन फ्रैक्चर बहुत अधिक बल के कारण होते हैं, जैसा कि मोटर वाहन क्रैश या बहुत ऊँचाई से गिरने पर होता है।

स्पाइनल कॉर्ड की चोटों के कारण सुन्नपन और संवेदनशीलता की कमी, पैरों में कमज़ोरी, और लकवा हो सकता है (स्पाइनल कॉर्ड कहाँ पर क्षतिग्रस्त होती है? चित्र देखें)। हो सकता है लोग पेशाब या पेट की गतिविधियों को नियंत्रित करने में असमर्थ (अनियमित होना) हो जाएँ।

स्पाइनल तंत्रिका की जड़ की चोटें आमतौर पर कम गंभीर होती हैं। वे दर्द पैदा करती हैं जो पैर तक चला जाता है, और उनके कारण कभी-कभी एक टाँग या पैर में थोड़ी कमज़ोरी होती है।

स्पाइनल कंप्रेशन फ्रैक्चर का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • एक्स-रे

  • कभी-कभी कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी और मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग

डॉक्टर लक्षणों के आधार पर कंप्रेशन फ्रैक्चर का पता लगाते हैं। उसके बाद वे शारीरिक जांच करते हैं। वे पीठ के बीच में धीमे से थपथपा कर देखते हैं कि उसके कारण दर्द तो नहीं होता। निदान की पुष्टि के लिए एक्स-रे लिया जाता है। (फ्रैक्चर का निदान भी देखें।)

डॉक्टर हड्डी के घनत्व को मापने के लिए ड्युअल-एनर्जी-एक्स-रे अब्सॉर्पशियोमेट्री (DXA) का उपयोग करते हैं ताकि निर्धारित किया जा सके कि ऑस्टियोपोरोसिस मौजूद है कि नहीं, यदि ऐसा है, तो वह कितना गंभीर है। इस परीक्षण के आधार पर, डॉक्टर कंप्रेशन फ्रैक्चर रोकने में मदद करने के सुझाव दे सकते हैं।

यदि फ्रैक्चर बहुत अधिक बल के कारण हुआ है, तो कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) और कभी-कभी मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) की जाती है। डॉक्टर दूसरी चोटों के लिए भी जांच करते हैं, जैसे एड़ी के फ्रैक्चर और स्पाइन में अतिरिक्त फ्रैक्चर।

स्पाइनल कंप्रेशन फ्रैक्चर का इलाज

  • दर्द निवारक

  • जितना जल्दी हो सके, सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करना (विशेषकर चलना)

  • शारीरिक चिकित्सा

  • कभी-कभी वर्टीब्रोप्लास्टी या सर्जरी जैसी कोई प्रक्रिया

इलाज का फ़ोकस इन पर होता है

  • दर्द में आराम पहुँचाना

  • जितना हो सके उतना जल्दी चलना-फिरना शुरू करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना

  • लोगों को कार्य करने के लिए सक्षम बनाना

  • दूसरे फ्रैक्चर को रोकना

अधिकतर कंप्रेशन फ्रैक्चर अपने आप ठीक हो जाते हैं, हालांकि धीमी गति से।

एसीटामिनोफ़ेन (एनाल्जेसिक्स), जैसे दर्द निवारक दर्द में आराम पहुँचा सकते हैं। कभी-कभी, जब दर्द गंभीर हो, तो डॉक्टर ओपिओइड दर्द निवारक प्रिस्क्राइब करते हैं।

यदि फ्रैक्चर स्पाइन के निचले भाग में होते हैं, तो दर्द में आराम और चलने में दर्द कम करने के लिए कभी-कभी एक ब्रेस पहनने का सुझाव दिया जाता है। ब्रेसिंग कितनी प्रभावी होती है यह स्पष्ट नहीं है।

कभी-कभी कुछ दिनों के लिए पूर्ण आराम की आवश्यकता होती है। हालांकि, लोगों को थोड़ी देर के लिए बैठने और चलने और जितना जल्दी हो सके सामान्य गतिविधियाँ फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसा करने से मांसपेशियों की तन्यता की कमी और हड्डी के घनत्व में अतिरिक्त कमी को रोकने में मदद मिलती है।

ऑस्टियोपोरोसिस वाले लोगों का इलाज बिसफ़ॉस्फ़ोनेट और कभी-कभी कैल्सिटोनिन से किया जाता है। दोनों दवाएँ हड्डियों को ख़राब होने से रोकने में मदद करती हैं और हड्डी के घनत्व को बढ़ाती हैं।

फ़िज़िकल थेरेपिस्ट लोगों को ठीक से वज़न उठाने का तरीका सिखाकर और उन्हें स्पाइन के आस-पास की मांसपेशियों को सशक्त बनाने के व्यायाम सिखाकर मदद कर सकते हैं, लेकिन दर्द को नियंत्रित कर लेने तक थेरेपी में देरी करने की आवश्यकता हो सकती है।

प्रक्रियाएँ

कभी-कभी दर्द निवारण में मदद देने और संभवतः ऊँचाई को पूर्ववत करने और आकार को सुधारने में दो सबसे कम चीरफाड़ वाली प्रक्रियाएँ की जा सकती हैं:

  • वर्टीब्रोप्लास्टी: फ्रैक्चर हुई रीढ़ की हड्डी के पास एक लोकल एनेस्थेटिक इंजेक्ट करने के बाद, डॉक्टर बिखरी हुई रीढ़ की हड्डी में एक एक्रिलिक बोन सीमेंट इंजेक्ट करते हैं। सीमेंट लगभग 2 घंटे में कड़ी हो जाती है और रीड़ की हड्डी को स्थिर कर देती है। यह प्रक्रिया रीढ़ की हर हड्डी के लिए लगभग एक घंटा लेती है। लोग उसी दिन घर वापस जा सकते हैं।

  • काइफ़ोप्लास्टी: इस मिलती-जुलती प्रक्रिया में, रीढ़ की हड्डी में एक गुब्बारा डाला जाता है और हड्डी के सामान्य आकार को पूर्ववत करने के लिए उसे फैलाया जाता है। फिर बोन सीमेंट इंजेक्ट की जाती है।

ये दोनों प्रक्रियाएँ स्पाइन या पसलियों में पास की हड्डियों में फ्रैक्चर रोकने में मदद नहीं करती। यहाँ तक कि दूसरे फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ भी सकता है। दूसरी संभावित समस्याओं में सीमेंट का रिसाव और संभवतः हृदय की ओर जाती (दिल का दौरा) या फेफड़े की ओर जाती किसी धमनी का अवरुद्ध होना (पल्मोनरी एंबोलिज़्म) शामिल हो सकता है, यदि सीमेंट रिस कर खून की वाहिकाओं में चली जाती है और इन धमनियों तक पहुँच जाती है।

यदि कोई फ्रैक्चर स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव डाल रहा है, तो यदि संभव हो तो दबाव कम करने के लिए सर्जरी कुछ ही घंटों में की जाती है। स्पाइनल कॉर्ड में स्थायी चोट को रोकने के लिए शीघ्र इलाज की आवश्यकता होती है।