क्यूटेनियस T-सेल लिम्फ़ोमा

(माइकोसिस फ़नगॉइड; सेज़री सिंड्रोम)

इनके द्वाराPeter Martin, MD, Weill Cornell Medicine;
John P. Leonard, MD, Weill Cornell Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२२

क्यूटेनियस T-सेल लिम्फ़ोमा (CTCL) बहुत धीमी गति से लगातार बढ़ने वाला नॉन-हॉजकिन लिम्फ़ोमा है, जो बहुत कम लोगों में होता है, यह श्वेत रक्त कोशिका का कैंसर है जिन्हें लिम्फ़ोसाइट्स कहा जाता है।

लिम्फ़ोमा, (लिम्फ़ोमा का विवरण भी देखें) विशिष्ट प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं के कैंसर होते हैं, इन श्वेत रक्त कोशिकाओं को लिम्फ़ोसाइट्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। लिम्फ़ोमा, B या T लिम्फ़ोसाइट्स से विकसित हो सकते हैं, ये दो मुख्य प्रकार की लिम्फ़ोसाइट होती हैं। T लिम्फ़ोसाइट्स, प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित रखने और वायरल संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक होती हैं। B लिम्फ़ोसाइट्स, एंटीबॉडीज़ का निर्माण करते हैं, जो कुछ संक्रमणों से लड़ने के लिए आवश्यक होते हैं।

सबसे सामान्य प्रकार के CTCL ये हैं

  • माइकोसिस फ़नगॉइड

  • सेज़री सिंड्रोम

CTCL ज़्यादातर 50 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में होता है। यह परिपक्व T कोशिकाओ (T लिम्फ़ोसाइट्स) में पैदा होता है और सबसे पहले त्वचा को प्रभावित करता है।

माइकोसिस फ़ंगॉइड्स के लक्षण बहुत हल्के होत हैं और यह बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है इसी वजह से शुरुआत में इसका पता नहीं चलता। इसमें लंबे समय तक खुजली बनी रहती है और छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं—कभी-कभी त्वचा का एक छोटा हिस्सा मोटा और सख्त हो जाता है, त्वचा में खुजली होती है, जहाँ आगे चलकर गांठ बन जाती है और धीरे-धीरे फैलने लगती है। कुछ लोगों में, यह ल्यूकेमिया (सेज़री सिंड्रोम) बन जाता है। वहीं कुछ लोगों में यह लसीका ग्रंथियों और आंतरिक अंगों तक फैल जाता है। बायोप्सी के बाद भी, डॉक्टरों को शुरुआती चरण में इस बीमारी का पता लगाने में परेशानी होती है। हालांकि, बाद की स्टेज में बायोप्सी करने पर त्वचा में लिम्फ़ोमा कोशिकाएं दिखने लगती हैं।

सेज़री सिंड्रोम के लक्षण भी बहुत हल्के होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते हैं। इसमें पूरे शरीर की त्वचा लाल हो जाती है और हथेलियों और तलवे फटने लगते हैं। लसीका ग्रंथियां का आकार बहुत कम बढ़ता है। मरीज़ में त्वचा पर चकतों के साथ बुखार, रात को पसीना आना और वजन कम होने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। माइकोसिस फ़ंगॉइड्स में त्वचा की बायोप्सी करवाने पर भी डॉक्टरों को शुरुआती चरण में इस बीमारी का पता लगाने में परेशानी होती है। मरीज़ के ब्लड स्मियर (इसमें माइक्रोस्कोप की मदद से खून की एक बूँद की जांच की जाती है) में सेज़री कोशिकाएं दिखाई दे सकती है (लक्षणों के साथ हानिकारक T कोशिकाएं दिखना) और इसके साथ स्किन बायोप्सी करने पर बीमारी तय करने में मदद मिल सकती है।

CTCL के इलाज को नीचे दिए भागों में बाँटा जा सकता है

  • त्वचा पर की जाने वाली थेरेपी, जैसे लाइट थेरेपी (फ़ोटोथेरेपी) या टॉपिकल दवाएं

  • पूरे शरीर पर की जाने वाली थेरेपी, जैसे कीमोथेरेपी या टारगेटेड दवाएं, जो आमतौर पर इंट्रावीनस तरीके से दी जाती हैं

त्वचा पर की जाने वाली थेरेपी आमतौर पर पहले शुरू की जाती है जिसका असर अक्सर सालों तक रहता है। इस प्रकार के इलाज में मेडिकेटेड क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या रेटिनोइड्स को त्वचा पर लगाया जाता है या एक तरह की रेडिएशन थेरेपी दी जाती है जिसे इलेक्ट्रॉन बीम थेरेपी कहा जाता है या सूर्य के प्रकाश (फ़ोटोथेरेपी) का इस्तेमाल किया जाता है।

यदि त्वचा पर की जाने वाली थेरेपी का असर नहीं होता है या CTCL वाले मरीज़ों में बीमारी त्वचा से आगे फैल जाने पर कीमोथेरेपी की जाती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेज़ी-भाषा का संसाधन है जो उपयोगी हो सकता है। कृपया ध्यान दें इस संसाधन की सामग्री के लिए मैन्युअल उत्तरदायी नहीं है।

  1. Leukemia & Lymphoma Society: Non-Hodgkin Lymphoma subtypes: नॉन-हॉजकिन लिम्फ़ोमा की जांच, इलाज, और सहायता के साथ इसके उप-प्रकारों की विस्तृत जानकारी