पैरासाइटिक ब्रेन संक्रमण

इनके द्वाराJohn E. Greenlee, MD, University of Utah Health
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२२

    दुनिया के कुछ हिस्सों में, दिमाग के संक्रमण वॉर्म या अन्य परजीवियों की वजह से हो सकते हैं। ये संक्रमण विकसित तथा ग्रामीण हिस्सों में आम तौर पर पाए जाते हैं। ये अमेरिका में कम पाए जाते हैं।

    (दिमाग के संक्रमणों का विवरण भी देखें।)

    न्यूरोसिस्टिकसर्कोसिस

    न्यूरोसिस्टिकसर्कोसिस पोर्क टेपवॉर्म लार्वा के कारण होता है। दिमाग का संक्रमण करने वाले सभी वॉर्म्स में से, पोर्क टेपवॉर्म पश्चिमी गोलार्ध में सबसे ज़्यादा संक्रमण का कारण रहता है।

    लोगों द्वारा टेपवॉर्म अंडों से संदूषित खाद्य पदार्थों के सेवन करने के बाद, पेट के रिसावों के कारण अंडे लार्वा में बदल जाते हैं। लार्वा खून के बहाव के साथ शरीर के सभी भागों में फैल जाता है, जिनमें मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड भी शामिल है। लार्वा सिस्ट बन जाता है (सुरक्षा दीवार में बंद लारवा का समूह)। (सिस्ट के कारण होने वाले संक्रमण को सिस्टीसर्कोसिस कहा जाता है, या जब सिस्ट मस्तिष्क में बनती है, तो इसे न्यूरोसिस्टिकसर्कोसिस कहा जाता है।) जब तक इन सिस्ट का अपक्षय नहीं होता या लार्वा मर नहीं जाता है, तब तक इनके कारण कुछ ही लक्षण होते हैं, जिसकी वजह से जलन, सूजन, तथा सिरदर्द, सीज़र्स, व्यक्तित्व में बदलाव और मानसिक बीमारियों जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।

    कभी-कभी सिस्ट द्वारा दिमाग की जगहों (वेंट्रिकल्स) में सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड को अवरूद्ध कर दिया जाता है, जिसके कारण दिमाग पर दबाव पड़ता है। इस बीमारी को हाइड्रोसेफ़ेलस कहा जाता है। इस बड़े हुए दबाव के कारण सिरदर्द, मतली, उलटी करना और बहुत ज़्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है।

    सिस्ट फट सकती हैं और उनमें शामिल सामग्री सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड में फैल सकती है, जिसके कारण मेनिनजाइटिस हो सकता है।

    बिना उपचार के, न्यूरोसिस्टिकसर्कोसिस से पीड़ित लोगों की मौत हो सकती है।

    डॉक्टर ऐसे लोगों में न्यूरोसिस्टिकसर्कोसिस का संदेह करते हैं जो विकासशील देशों में रहते हैं या वहां से आते हैं तथा जिनको कुछ खास लक्षण होते हैं। मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) या कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) से अक्सर सिस्ट को देखा जा सकता है। हालांकि, खून की जांच और सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड के नमूने पाने के लिए स्पाइनल टैप (लम्बर पंक्चर) की भी निदान की पुष्टि करने के लिए आवश्यकता होती है। कभी-कभी, सिस्ट की बायोप्सी की ज़रूरत होती है।

    संक्रमण का उपचार एल्बेंडाज़ोल या प्राज़ीक्विन्टेल (वे दवाएँ जिनका इस्तेमाल परजीवी वार्म संक्रमणों के उपचार के लिए किया जाता है, जिन्हें एंटी-हेल्मिन्थिक दवाएँ कहा जाता है)। हालांकि, यदि किसी व्यक्ति को बहुत सी सिस्ट हैं, तो एंटी-हेल्मिन्थिक दवाओं से अनेक जीवों को खत्म किया जा सकता है, जिसके कारण दिमाग में बहुत अधिक सूजन आ सकती है। साथ ही, यदि किसी व्यक्ति में केवल एक ही सिस्ट है, तो इन दवाओं से शायद मदद नहीं मिल सकती है, डॉक्टर हर व्यक्ति के लिए सावधानी से उपचार तय करते हैं। कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल सूजन को कम करने के लिए किया जाता है, जो लार्वा के मरने के कारण होती है।

    सीज़र्स का उपचार एंटीसीज़र दवाओं से किया जाता है।

    कभी-कभी, बहुत अधिक सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड को हटाने तथा हाइड्रोसेफ़ेलस में राहत देने के लिए सर्जरी की जाती है, ताकि एक ड्रेन (शंट) को लगाया जा सके। यह शंट प्लास्टिक ट्यूब होता है, जिसे दिमाग के अंदर लगाया जाता है। टयूबिंग को त्वचा के नीचे चलाया जाता है, आमतौर पर पेट तक, जहाँ अतिरिक्त फ़्लूड निकल सकता है। सिस्ट को दिमाग से हटाने के लिए सर्जरी की ज़रूरत हो सकती है।

    अन्य संक्रमण

    एकिनोकोकोसिस (हाइडेटिड रोग) तथा कोएन्यूरोसिस अन्य प्रकार के टेपवॉर्म लार्वा के साथ होने वाले संक्रमण हैं। एकिनोकोकोसिस, दिमाग में बड़ी सिस्ट का कारण बन सकता है। कोएन्यूरोसिस, जैसे सिस्टीसर्कोसिस द्वारा ऐसी सिस्ट को विकसित किया जाता है, जो दिमाग के आसपास फ़्लूड के बहाव को रोक सकती है।

    सिस्टोसोमियासिस, ब्लड फ़्लूक्स द्वारा होने वाला संक्रमण है। सिस्टोसोमियासिस से पीड़ित कुछ लोगों में, सूजन के कारण होने वाले कोशिकाओं के गुच्छे (ग्रेनुलोमस) दिमाग में विकसित हो सकते हैं।

    एकिनोकोकोसिस, कोएन्यूरोसिस और सिस्टोसोमियासिस के कारण ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जो सिस्टीसर्कोसिस जैसे नज़र आते हैं, जिनमें सीज़र्स, सिरदर्द, व्यक्तित्व में बदलाव, और मानसिक विकार शामिल हैं। एकिनोकोकोसिस तथा कोएन्यूरोसिस के कारण होने वाले लक्षणों को विकसित होने में वर्षों लग सकते हैं।

    डॉक्टर आमतौर पर, MRI या CT के नतीजों के आधार पर इन संक्रमणों का निदान करते हैं, लेकिन कभी-कभी स्पाइनल टैप की ज़रूरत पड़ सकती है। स्पाइनल फ़्लूड में बड़ी संख्या में सफेद रक्त कोशिकाएँ हो सकती हैं, जिन्हें इओसिनोफिल कहा जाता है।

    इन तीन संक्रमणों का उपचार आमतौर पर एंटी-हेल्मिन्थिक दवाओं के साथ किया जाता है, जैसे एल्बेंडाज़ोल, मेबेन्डाजोल, प्राज़ीक्विन्टेल, तथा पिरंटेल पैमोएट द्वारा किया जाता है। हालांकि, एकिनोकोकोसिस तथा कोएन्यूरोसिस में, सिस्ट को आमतौर पर सर्जरी से हटाया जाता है।