कुछ दशाएं और दवाएं जिनके कारण लिवर का फ़ाइब्रोसिस हो सकता है

प्रकार

उदाहरण

टिप्पणियाँ

कुछ खास आनुवंशिक मेटाबोलिक विकार

अल्फ़ा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी

आयरन ओवरलोड (हीमोक्रोमेटोसिस)

विल्सन रोग

इन विकारों के कारण शरीर में खाद्य पदार्थों का अवशोषण, टूटना, और/या प्रसंस्करण (मेटाबोलाइज्ड) प्रभावित होता है। यदि खाद्य पदार्थ उचित रूप से टूटते नहीं हैं, तो तत्व विभिन्न अंगों में एकत्र हो सकते हैं (जैसे लिवर) तथा क्षति पैदा कर सकते हैं।

संक्रमण

वायरल संक्रमण जैसे क्रोनिक हैपेटाइटिस B या C

कुछ संक्रमणों के कारण शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है, जिसमें लिवर शामिल है। कुछ, जैसे हैपेटाइटिस, मुख्य रूप से लिवर को प्रभावित करता है।

ऑटोइम्यून विकार

ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस

प्राइमरी बाइलरी कोलेंजाइटिस

प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस

शरीर अपने ही ऊतकों पर हमला करता है (ऑटोइम्यून रोग)।

प्राथमिक बिलियरी कोलेंजाइटिस और प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस में, बाइल डक्ट सूज जाते हैं, उनमें स्कार विकसित होते हैं, तथा वे अवरूद्ध हो जाते हैं।

ऐसे विकार जो लिवर से, में, तथा उससे बाहर निकलने वाले रक्त के प्रवाह को प्रभावित करते हैं

बड्ड-शियारी सिंड्रोम (लिवर के बाहर रक्त प्रवाह का अवरोध)

ह्रदय की विफलता (हार्ट फैल्योर)

पोर्टल शिरा थ्रॉम्बोसिस (रक्त के धक्कों के कारण लिवर की ओर जाने वाली मुख्य शिरा का अवरोध)

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम (लिवर का वेनो-ओक्लूसिव रोग; लिवर में छोटी शिराओं का अवरोध)

जब रक्त लिवर से बाहर नहीं जा पाता, तो लिवर बड़ा हो जाता है।

जब लिवर कोशिकाओं को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है, तो वे मर जाती हैं और उनके बदले में स्कार ऊतक पैदा हो जाते हैं।

साइनुसोइडल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम कभी-कभी पायरोलिज़िडाइन एल्कलॉइड के कारण होता है। ये तत्व कुछ खास जड़ी-बूटी उत्पादों जैसे बुश (रूइबोस) चाय में मौजूद रहते हैं, जिनका प्रयोग उनके तथाकथित स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है।

दवाएं/ नशीली दवाएं

शराब

एमीओडारोन

क्लोरप्रोमाज़िन

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स

आइसोनियाज़िड

मेथोट्रेक्सेट

मिथाइलडोपा

ऑक्सीफेनिसैटिन

टोलबुटामाइड

अधिकांश दवाओं को अवश्य लिवर में प्रोसेस किया जाना चाहिए। कुछ से लिवर को क्षति पहुंच सकती है तथा जिसके लिए समय-समय पर लिवर रक्त परीक्षणों की आवश्यकता होती है, जब किसी व्यक्ति द्वारा इस दवाओं का सेवन किया जाता है।

अन्य विकार

जन्मजात हैपेटिक फ़ाइब्रोसिस

नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर (स्टीटोहैपेटाइटिस)

जन्मजात हैपेटिक फ़ाइब्रोसिस मुख्य रूप से लिवर, पित्ताशय और गुर्दों को क्षति पहुंचाता है। इसके कारण लिवर में फ़ाइब्रोसिस तथा अन्य लक्षण पैदा होते हैं। यह विकार जन्म के समय मौजूद रहता है।

नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर में, लिवर में फैट संचित हो जाती है और फ़ाइब्रोसिस विकसित होता है। इस विकार के उन लोगों में होने की संभावना होती है, जिनको मेटाबोलिक सिंड्रोम होता है।