अंदर बढ़ा पाँव का नाखून

इनके द्वाराChris G. Adigun, MD, Dermatology & Laser Center of Chapel Hill
द्वारा समीक्षा की गईKaren McKoy, MD, MPH, Harvard Medical School
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया दिस॰ २०२१ | संशोधित सित॰ २०२२
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पैर का नाख़ून अंदर की ओर बढ़ना एक स्थिति है जिसमें नाख़ून के किनारे आस-पास की त्वचा में घुस जाते हैं।

(नाखूनों के विकारों का संक्षिप्त विवरण भी देखें।)

नाख़ून के अंदर बढ़ने की स्थिति तब हो सकती है जब पैरों का कोई विरूपित नाख़ून असामान्य ढंग से त्वचा में बढ़ने लगे या जब त्वचा के आस-पास की त्वचा असामान्य रूप से तेज़ी से बढ़कर नाख़ून के कुछ अंश को निगल जाए। संकरे और ठीक से फ़िट न होने वाले जूते पहनने से, और नाख़ून का किनारा सीधा काटने की बजाए छोटे-छोटे किनारों के साथ गोलाई में काटने से पैर का नाख़ून अंदर की ओर बढ़ने की स्थिति हो सकती है या और बढ़ सकती है। पैर के नाखूनों को आर-पार सीधा काटना चाहिए, न कि छोटे-छोटे किनारों से गोलाई में।

अंदर की ओर बढ़े नाखूनों से हो सकता है कि शुरुआत में कोई लक्षण न हो, पर आगे चलकर उनमें दर्द हो सकता है, विशेष रूप से तब जब अंदर की ओर बढ़े भाग पर दबाव पड़ता है। वह स्थान आम तौर पर लाल होता है और हल्का गर्म हो सकता है। उपचार नहीं करने पर उस स्थान में संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। संक्रमित हो जाने पर उस स्थान में दर्द और बढ़ जाता है और वह लाल हो जाता है व उसमें सूजन हो जाती है। नाख़ून के बगल में त्वचा के नीचे मवाद इकट्ठा हो सकता है (क्यूटिकल का संक्रमण जिसे पैरोनिकिया कहते हैं) और बाहर बह सकता है।

अंदर बढ़ा पाँव का नाखून
विवरण छुपाओ

इस फोटो में पैर की पहली और तीसरी अंगुली के नाख़ून अंदर की ओर बढ़ गए हैं जिनसे वहाँ लालिमा और सूजन हो गई है।

© Springer Science+Business Media

यदि पैर का नाख़ून थोड़ा-सा ही अंदर बढ़ा हो, तो डॉक्टर नाख़ून के किनारे को हल्के से उठाकर आस-पास की त्वचा से बाहर निकाल देते हैं और नाख़ून के नीचे तब तक स्टेराइल रुई रखते हैं जब तक सूजन खत्म न हो जाए। कभी-कभी नाख़ून और नेल फ़ोल्ड (नेल प्लेट की साइडों पर जहाँ नाख़ून और त्वचा मिलते हैं वहाँ मौजूद कठोर त्वचा की तह) बीच एक लचीली ट्यूब घुसा दी जाती है।

यदि अंदर की ओर बढ़ने किसी नाख़ून को और देखभाल की ज़रूरत हो, तो डॉक्टर आम तौर पर किसी लोकल एनेस्थेटिक यानि सुन्न करने वाली दवा (जैसे लाइडोकेन) से स्थान को सुन्न कर देते हैं, और फिर नाख़ून का अंदर बढ़ा अंश काटकर निकाल देते हैं। उसके बाद शोथ चला जाता है और यह स्थिति आम तौर पर दोबारा नहीं होती है।

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