पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफ़ी-कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (PET-CT)
पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफ़ी-कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (PET-CT)

    PET-CT स्कैनर में PET और CT की क्षमताओं को एक मशीन में मिला दिया जाता है, ताकि असामान्य ऊतक की पहचान की जा सके और वह किस जगह पर है इसकी भी। हालांकि, पुराने ज़माने के स्टैंडर्ड स्कैनर अक्सर, सांसों की आवाजाही, धड़कते दिल, या रोगी के हिलने-डुलने से हलचल होने के कारण ऊतक के छोटे घावों को अनदेखा कर देते थे।

    नई तकनीक से PET-CT स्कैनर 2.0 मिमी तक के घावों का पता लगा पाता है और सीमाओं को बेहतर ढंग से चित्रित कर सकता है, इस तरह से, कैंसर वाले ऊतक पहले ढूंढ लिए जाते हैं और जिन ऊतकों को रेडिएशन के संपर्क में आने का जोखिम है उन्हें बचा लिया जाता है। इन स्कैनरों में रेस्पिरेटरी गेटिंग कैपेबिलिटी भी होती हैं, जो ऐसी जगहों को विस्तार और स्पष्टता प्रदान करती हैं जहां हलचल होती रहती है, जैसे कि हृदय और फेफड़े।

    इस प्रक्रिया के दौरान, रोगी को पहले एक रेडियोफ़ार्मास्युटिकल इंजेक्शन दिया जाएगा, जिसे पूरे शरीर में फैलने में लगभग 60 से 90 मिनट लगते हैं।

    इसके बाद रोगी को एक टेबल पर लिटा दिया जाता है, यह टेबल एक रिंग जैसे स्कैनर में से होकर धीरे-धीरे जाती है, और इस दौरान स्कैनर PET और CT इमेज को बनाने के लिए आवश्यक जानकारी ग्रहण करता है। स्कैन के दौरान रोगी को कुछ भी महसूस नहीं होना चाहिए, जिसके दौरान 15 से 60 मिनट लग सकते हैं।

    स्कैनर का प्लेटफॉर्म मोशन-फ्री होता है जिससे चिकित्सकों को हलचल होने से प्रभावित हुए शरीर के हिस्सों में कई छोटे घावों की सटीक पहचान करने में मदद मिलती है। स्कैन पूरा होने के बाद, चिकित्सक इन पूरी जानकारी वाली इमेज की समीक्षा कर सकते हैं। इसके अलावा, स्कैनर में एक सॉफ़्टवेयर मौजूद होता है जो इन घावों को याद रखता है और इन्हें ओवरले करता है ताकि एक अपॉइंटमेंट से लेकर अगले अपॉइंटमेंट तक इन घावों में हुए अंतरों का पता लगाया जा सके।