मोस माइक्रोस्कोप-नियंत्रित सर्जरी

चूंकि त्वचा के कैंसर के सेल त्वचा पर दिखने वाले चकत्ते के किनारे के परे भी अक्सर फैल चुके होते हैं, इसलिए कभी-कभी डर्मेटोलॉजिस्ट एक विशेष सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, ताकि सुनिश्चित हो सके कि उन्होंने सभी कैंसर को निकाल दिया है। इस तकनीक में, मोस माइक्रोस्कोप-नियंत्रित सर्जरी या मोस माइक्रोग्राफिक सर्जरी कहा जाता है, जिसमें डर्मेटोलॉजिस्ट पहले तो दिखाई देने वाला ट्यूमर निकालते हैं और उसके बाद घाव के किनारे को थोड़ा-थोड़ा करके काटकर निकालना शुरू करते हैं। सर्जरी के दौरान, डर्मेटोलॉजिस्ट कैंसर सेल देखने के लिए ऊतक के टुकड़ों को जाँचते हैं। उस स्थान से ऊतक निकालना तब तक जारी रहता है, जब तक नमूनों में कैंसर कोशिकाओं का दिखना बंद नहीं हो जाता। इस कार्यविधि से डर्मेटोलॉजिस्ट निकाले गए ऊतक की मात्रा को सीमित कर पाते हैं और इस तरह यह कार्यविधि नाज़ुक स्थानों, जैसे कि आँख के पास के कैंसरों को निकालने के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

सारा कैंसर निकाल देने के बाद, डर्मेटोलॉजिस्ट यह तय करते हैं कि काट कर निकाली जा चुकी त्वचा के स्थान पर किस तरीके से नई त्वचा लगाना सबसे अच्छा रहेगा। वे बाकी बची त्वचा के किनारों को टांकों से पास खींचकर सी सकते हैं या वे स्किन ग्राफ़्ट या स्किन फ्लैप का इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर वे घाव के ऊपर ड्रेसिंग लगा सकते हैं और त्वचा को अपने-आप ठीक होने के लिए छोड़ सकते हैं।

मोस सर्जरी से त्वचा कैंसर दोबारा होने की दर घटती है। यह सर्जरी बेसल सेल और स्क्वेमस सेल कैंसरों के लिए उपयोगी है, लेकिन मेलेनोमा के लिए कम बार प्रयोग की जाती है।