कैंसर के चेतावनी चिह्न

इनके द्वाराRobert Peter Gale, MD, PhD, DSC(hc), Imperial College London
द्वारा समीक्षा की गईJerry L. Spivak, MD; MACP, , Johns Hopkins University School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया संशोधित सित॰ २०२४
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कैंसर से कई अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, कुछ हल्के होते हैं और कुछ बिल्कुल भी हल्के नहीं होते। (कैंसर का विवरण और कैंसर के लक्षण भी देखें।)

कुछ लक्षणों का विकास कैंसर होने के दौरान पहले ही हो जाता है, जैसे स्तन में कोई पीड़ारहित गांठ या सूजन, और इसलिए ये एक महत्वपूर्ण चेतावनी चिह्न होते हैं जिन्हें आंकलन के लिए किसी डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए। अन्य लक्षण जैसे वज़न कम होना या बुखार आना, कैंसर के बढ़ जाने के बाद ही बनते हैं। फिर भी अन्य लक्षण, जैसे अंतड़ियों की आदतों में बदलाव, शौच के दौरान खून आना, या निगलने में दिक्कत होना, ये शरीर के विशेष हिस्सों में कैंसर के लक्षण होते हैं।

अगर कैंसर ज़्यादा बढ़ा हुआ नहीं हो, तभी उसके ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती है, इसलिए जब उपचार की शुरूआत होती है, तब यह ज़रूरी होता है कि कैंसर का पता पहले ही चल जाए। कुछ लक्षणों से कैंसर की पहले ही चेतावनी मिल जाती है और इसलिए, उनके दिखते ही व्यक्ति को डॉक्टर के पास शुरूआती सलाह के लिए पहुंच जाना चाहिए। सौभाग्य से, इनमें से ज़्यादातर लक्षण अक्सर बेहद कम गंभीर परिस्थितियों में पैदा होते हैं। फिर भी, कैंसर के किसी भी चेतावनी वाली लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

कुछ चेतावनी चिह्न साधारण होते हैं। यानी, वे अस्पष्ट से बदलाव होते हैं जिनसे यह ठीक से पता नहीं लग पाता कि कौन सा खास कैंसर हुआ है। हालांकि, उनकी उपस्थिति सीधे डॉक्टरों की उन शारीरिक परीक्षणों और लेबोरेट्री टेस्ट करने में मदद कर सकती हैं जो किसी निदान को बाहर रखने या उसकी पुष्टि करने में ज़रूरी होते हैं। अन्य लक्षण अधिक स्पष्ट होते हैं और डॉक्टरों को किसी खास किस्म के कैंसर या जगह की ओर इशारा कर देते हैं।

संभव कैंसर के चेतावनी चिह्नों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अस्पष्ट कारणों से वज़न में कमी

  • थकान

  • रात में पसीने आना

  • भूख नहीं लगना

  • नया, लगातार होने वाला दर्द

  • देखने या सुनने में दिक्कतें होना

  • बार-बार मिचली या उल्टी होना

  • पेशाब में खून आना

  • शौच करते वक्त खून आना (यह नंगी आखों से भी दिख सकता है या फिर विशेष टेस्ट करके इसका पता लगाया जाता है)

  • शौच की आदतों में हालिया बदलाव (कब्ज या अतिसार)

  • योनी से असामान्य रूप से खून आना, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद

  • बार-बार बुखार आना

  • लंबे समय तक खांसी बने रहना

  • तिल/मस्से के आकार या रंग में परिवर्तन

  • त्वचा पर कोई उभार या निशान जो दिखने में बड़ा हो रहा हो या बदलता जा रहा हो

  • कोई त्वचा का घाव, जो ठीक नहीं हो रहा हो

  • बढ़े हुए लसीका ग्रंथियां

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