दवा उन्मूलन

इनके द्वाराJennifer Le, PharmD, MAS, BCPS-ID, FIDSA, FCCP, FCSHP, Skaggs School of Pharmacy and Pharmaceutical Sciences, University of California San Diego
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२२

    दवा उन्मूलन शरीर से दवा को निकालना है।

    (दवाओं का प्रबंधन और गतिज का परिचय भी देखें।)

    सभी दवाइयाँ अंततः शरीर से निकल जाती हैं। उनका उन्मूलन रासायनिक रूप से परिवर्तन (मेटाबोलाइज़) करके किया जाता है, या उन्हें अखंड ही निकाल दिया जाता है। अधिकतर दवाएँ, विशेषकर पानी में घुलनशील दवाएँ और उनके मेटाबोलाइट मुख्य रूप से पेशाब में किडनी द्वारा निकाल दिए जाते हैं। इसलिए, दवा की खुराक मुख्य रूप से किडनी के प्रकार्य पर निर्भर रहती है। कुछ दवाओं का सफ़ाया पित्त (एक हरापन लिए पीला तरल जिसे लिवर स्रावित करता है और पित्ताशय में एकत्र होता है) में उत्सर्जन द्वारा हो जाता है।

    दवा का पेशाब द्वारा निकलना

    दवा के गुण-धर्मों सहित, कई कारक होते हैं जो दवाओं को उत्सर्जित करने की किडनी की क्षमता को प्रभावित करते हैं। पेशाब में उत्सर्जित होने के लिए, एक दवा या मेटाबोलाइट का पानी में घुलनशील होना आवश्यक होता है और उसे रक्तप्रवाह में प्रोटीन से बहुत कसा हुआ नहीं होना चाहिए। पेशाब की एसिडिटी, जो भोजन, दवाओं, और किडनी विकारों द्वारा प्रभावित होती है, वह किडनी द्वारा कुछ दवाओं को उत्सर्जित करने की दर पर असर कर सकती है। कुछ दवाओं के साथ विषाक्तता के इलाज में, एंटासिड (जैसे कि सोडियम बाइकार्बोनेट) या दवा के उत्सर्जन की गति बढ़ाने के लिए एसिडिक तत्व (जैसे कि अमोनियम क्लोराइड) देकर पेशाब की एसिडिटी को परिवर्तित किया जाता है।

    किडनी द्वारा दवा को उत्सर्जित करने की क्षमता इन पर भी निर्भर रहती है

    • पेशाब का प्रवाह

    • किडनी में रक्त का प्रवाह

    • किडनी की स्थिति

    किडनी के प्रकार्य कई विकारों द्वारा (विशेषकर उच्च ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और बार-बार होने वाले किडनी संक्रमण), विषैले रसायनों से ऊँचे स्तर पर संपर्क, और आयु-संबंधित बदलावों द्वारा बाधित हो सकते हैं। जब लोगों की आयु बढ़ती है, तो किडनी के प्रकार्य कमज़ोर हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, किसी 85-वर्षीय व्यक्ति की किडनी किसी 35-वर्षीय व्यक्ति की किडनी की अपेक्षा लगभग आधी कुशलता से ही दवाओं को उत्सर्जित करती है।

    जिन लोगों का किडनी प्रकार्य कमज़ोर हो उनमें, मुख्य रूप से किडनी के माध्यम से साफ़ की जाने वाली दवा की "सामान्य" खुराक बहुत अधिक हो सकती है और दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। इसलिए, व्यक्ति के किडनी प्रकार्य में गिरावट की मात्रा के आधार पर हेल्थ केयर पेशेवरों को कभी-कभी दवा की खुराक को समायोजित करना पड़ता है। किडनी के बाधित प्रकार्य वाले लोगों को सामान्य किडनी प्रकार्य वाले लोगों की अपेक्षा दवा की कम खुराक की आवश्यकता होती है।

    हेल्थ केयर पेशेवरों के पास किडनी प्रकार्य में गिरावट का आकलन करने के कई तरीके होते हैं। कभी-कभी वे केवल व्यक्ति की आयु के आधार पर ही आकलन करते हैं। हालांकि, वे ऐसे परीक्षणों के परणामों का उपयोग करके किडनी प्रकार्य का अधिक सटीक आकलन पा सकते हैं जो रक्त और कभी-कभी पेशाब में क्रिएटिनिन (एक अपशिष्ट उत्पाद) के स्तर को मापते हैं। वे इन परिणामों का उपयोग इसकी गणना करने के लिए करते हैं कि क्रिएटिनिन को शरीर से कितने प्रभावी तरीके से हटा दिया जाता है (क्रिएटिनिनि क्लीयरेंस कहलाता है—किडनी प्रकार्य परीक्षण देखें), जो दर्शाता है कि किडनी कितनी अच्छी तरह से काम कर रही है।

    पित्त में दवा का निकलना

    कुछ दवाएँ लिवर से बिना बदलाव के गुज़र जाती हैं और पित्त में उत्सर्जित की जाती हैं। अन्य दवाएँ पित्त में उत्सर्जित होने से पहले लिवर में मेटाबोलाइट में बदल जाती हैं। दोनों ही परिदृश्यों में, पित्त फिर पाचन तंत्र में प्रवेश करता है। वहाँ से, दवाओं का सफ़ाया या तो मल में हो जाता है या वे रक्तप्रवाह में फिर से सोख ली जाती हैं और इस प्रकार पुनर्चक्रित हो जाती हैं।

    यदि लिवर सामान्य रूप से काम नहीं कर रहा है, तो उस दवा की खुराक को समायोजित करने की ज़रूरत हो सकती है जिसका उन्मूलन मुख्य रूप से लिवर में मेटाबोलिज़्म द्वारा होता है। हालांकि, किडनी के काम के समान इसका आकलन करने का कोई सरल तरीका नहीं है कि लिवर कितनी अच्छी तरह से दवा को मेटाबोलाइज़ करेगा।

    दवा के निकलने के अन्य रूप

    कुछ दवाएँ लार, पसीने, स्तन के दूध, और प्रश्वास की हवा से भी उत्सर्जित हो जाती हैं। अधिकतर छोटी मात्रा में उत्सर्जित होती हैं। स्तन के दूध में दवाओं का उत्सर्जन केवल इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि दवा स्तनपान करने वाले शिशु पर असर डाल सकती है (वे दवाएँ जिन्हें स्तनपान कराने के दौरान नहीं लिया जाना चाहिए देखें)। प्रश्वास की हवा में उत्सर्जन वह मुख्य तरीका है जिससे श्वास में ली गई बेहोशी की दवा साफ़ की जाती है।