जुवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA)

इनके द्वाराJay Mehta, MD, Perelman School of Medicine at The University of Pennsylvania
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अप्रै. २०२२

जुवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस (बचपन में होने वाला जोड़ों का रोग), बच्चों में 16 साल की उम्र से शुरु होने वाली बीमारियों में से एक है जिसमें जोड़ों में लगातार या कभी-कभी सूजन रहती है।

  • बच्चों में होने वाले अर्थराइटिस के कुछ प्रकारों के कारण बुखार, खुजली और लसीका ग्रंथि में सूजन होती है जिसके कारण दिल पर प्रभाव पड़ सकता है।

  • इसका निदान, बच्चों के लक्षणों और शारीरिक जांचों के आधार पर होता है क्योंकि कोई एक ऐसी जांच नहीं है जिससे इस बीमारी की पहचान हो सके।

  • सूजन और दर्द कम करने के लिए बच्चों को दवाइयां दी जाती हैं।

  • शारीरिक थेरेपी में लचीलेपन के लिए व्यायाम करवाया जाता है जिससे जोड़ों के हिलने-डुलने की क्षमता बढ़ती है।

जुवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA) बहुत कम होने वाली बीमारियों के समूह में से एक है जिसके कारण जोड़ों में सूजन रहती है (अर्थराइटिस)। JIA से दूसरे अंगों या जोड़ों के ऊतकों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। JIA से प्रभावित अधिकतर बच्चों का रोग वयस्क रूमैटॉइड अर्थराइटिस से अलग होता है, जबकि JIA से प्रभावित बच्चों में से कुछ प्रतिशत बच्चों का रोग वयस्क रुमैटॉइड अर्थराइटिस के समान होता है।

JIA के कारण अज्ञात हैं। हालांकि JIA को आनुवंशिक विकार नहीं माना जाता है, लेकिन आनुवंशिक कारणों से बच्चों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ और अर्थराइटिस की तरह, JIA किसी संक्रमण के कारण नहीं होता है।

JIA का वर्गीकरण

JIA के कई रूप होते हैं। हालांकि हर रूप के अपने लक्षण होते हैं, उनकी विशेषताएं समान होती हैं। इनके रूप का निर्धारण डॉक्टर की जांच और लैब के परिणामों के आधार पर होता है। प्रकार निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • ओलिगोआर्टिकुलर JIA

  • पोलीआर्टिकुलर JIA (रूमैटॉइड फ़ैक्टर नेगेटिव या पॉज़िटिव)

  • एंथेसाइटिस संबंधित अर्थराइटिस

  • सोरिएटिक JIA

  • अविभेदित JIA

  • सिस्टेमिक JIA

हो सकता है कि डायग्नोसिस (जांच) के दौरान बच्चों में एक रूप मौजूद हो, लेकिन बीमारी के दौरान उसका एक भिन्न प्रकार विकसित हो सकता है।

ओलिगोआर्टिकुलर JIA सबसे आम रूप है और इससे आम तौर पर किशोरवय लड़कियों पर असर होता है। इस रूप में बीमारी के पहले 6 महीने में, चार या अधिक ("ओलिगो" का मतलब "कई") जोड़ प्रभावित होते हैं। सबसे ज़्यादा प्रभावित जोड़ घुटना होता है।

पोलीआर्टिकुलर JIA दूसरा सबसे आम रूप है और यह बचपन में थोड़ा बाद में शुरू होता है। इस रूप में, पाँच या उससे अधिक ("ओलिगो" का मतलब "कई") जोड़ प्रभावित होते हैं। यह रूप दो प्रकारों में बँटा हुआ रहता है: रूमैटॉइड फ़ैक्टर निगेटिव और रूमैटॉइड फ़ैक्टर पॉज़िटिव। रूमैटॉइड फ़ैक्टर खून में एक एंटीबॉडी होता है। उन लोगों में रूमैटॉइड फ़ैक्टर के उच्च स्तर हो सकते हैं जिन्हें रूमैटॉइड अर्थराइटिस होता है लेकिन यह उन लोगों में भी हो सकता है, जिन्हें अन्य ऑटोइम्यून विकार (जैसे, सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, पोलिम्योसाइटिस या सिस्टेमिक स्क्लेरोसिस) होते हैं।

जिन बच्चों में रूमैटॉइड फ़ैक्टर पॉज़िटिव होता है, उनके खून में रूमैटॉइड फ़ैक्टर एंटीबॉडी होते हैं। JIA का रूमैटॉइड फ़ैक्टर-पॉज़िटिव प्रकार किशोरवय लड़कियों में होता है और यह वयस्क रूमैटॉइड अर्थराइटिस के जैसा ही होता है। दोनों प्रकारों में, अर्थराइटिस का प्रभाव शरीर के दोनों तरफ़ मौजूद एक जैसे जोड़ों पर पड़ता है (जैसे दोनों घुटने या दोनों हाथ) और इससे अक्सर हाथों और पैरों के छोटे जोड़ प्रभावित होते हैं।

एंथेसाइटिस संबंधी अर्थराइटिस में अर्थराइटिस और एंथेसाइटिस (टेंडन और लिगामेंट जहां हड्डी से जुड़ते हैं, उन क्षेत्रों में दर्द के साथ सूजन) शामिल होते हैं। अर्थराइटिस से अक्सर शरीर के निचले भाग के एक तरफ़ के जोड़ ही प्रभावित होते हैं (जैसे कूल्हा, घुटना, टखना और पैर)। यह बड़ी उम्र के लड़कों में ज़्यादा पाया जाता है और इससे उनकी निचली रीढ़ में भी अर्थराइटिस हो सकता है।

सोरियटिक JIA आम तौर पर, किशोरवयस्था वाली लड़कियों में होता है, लेकिन यह ज़्यादा उम्र के पुरुषों और महिलाओं में भी हो सकता है (इन पर भी समान प्रभाव पड़ता है)। प्रभावित लोगों में त्वचा का रोग सोरियसिस हो सकता है या माता-पिता या भाई-बहन में पूर्व में सोरियसिस होने की संभावना होती है।

अविभेदित JIA का निदान तब होता है जब बच्चों में किसी भी एक रूप के लक्षण दिखाई नहीं देते या एक से ज़्यादा रूपों के लक्षण दिखाई देते हैं।

सिस्टेमिक JIA (स्टिल रोग) में अर्थराइटिस के अलावा और भी लक्षण होते हैं, जैसे बुखार, खुजली, लसीका ग्रंथि की सूजन और दिल और फेफड़ों के आस-पास सूजन।

JIA के लक्षण

जुवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA) से जोड़ों में और कभी-कभी आँखों, त्वचा या दोनों में लक्षण दिखाई देते हैं।

जोड़ों के लक्षण किसी भी तरह के JIA में दिखाई दे सकते हैं। बच्चों के जागने पर जोड़ थोड़े कठोर महसूस हो सकते हैं। जोड़ों में अक्सर सूजन रहती है और वे गर्म रहते हैं। बाद में, जोड़ों में दर्द हो सकता है लेकिन सूजन की तुलना में दर्द हल्का रहता है। जब जोड़े हिलते-डुलते हैं, तो दर्द असहनीय हो सकता है। बच्चों को चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है या वे लंगड़ाकर चल सकते हैं। अगर इलाज न किया जाए, तो जोड़ों का दर्द कई सालों तक रह सकता है। हालांकि कुछ बच्चों को बिलकुल दर्द नहीं होता।

एंथेसाइटिस के कारण पेड़ू, कूल्हे की हड्डी, रीढ़, टखने, घुटने के नीचे की पिंडली, एचिलिस टेंडन और पैरों के तलुवे में नरमी आ सकती है।

आँखों में सूजन, JIA के किसी भी रूप में हो सकती है लेकिन सबसे आम है ओलिगोआर्टिकुलर JIA और यह रूमैटॉइड फ़ैक्टर-पॉज़िटिव पॉलीआर्टिकुलर JIA और सिस्टेमिक JIA में यह बहुत कम देखा गया है। सूजन आम तौर पर आँखों की पुतली (इरिडोसायक्लाइटिस) में होती है। JIA में इरिडोसायक्लाइटिस के लक्षण दिखाई नहीं देते (दर्द या आँखें लाल नहीं होती) लेकिन कभी-कभी इससे धुंधलापन या पुतली का छोटा-बड़ा हो जाना हो सकता है। हालांकि, अगर इरिडोसायक्लाइटिस का इलाज न किया जाए, तो इससे निशान पड़ना, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और स्थायी तौर पर आँख की रोशनी जाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एंथेसाइटिस से संबंधित अर्थराइटिस से ग्रस्त बच्चों में बहुत ही कम, लेकिन आँखें लाल होना और प्रकाश देखने पर दर्द होना या संवेदनशीलता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

त्वचा की असामान्यताएं अक्सर सोरियटिक JIA और सिस्टेमिक JIA में हो सकती हैं। सोरियटिक JIA से ग्रस्त बच्चों की त्वचा पर, खुरदुरे, सोरियसिस जैसे चकत्ते, सूजी हुई उंगलियां और पैर की उंगलियां और गुठलीदार नाखून जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सिस्टेमिक JIA से ग्रस्त बच्चों में कभी-कभी बहुत कम समय के लिए सपाट, गुलाबी रंग के या हल्के गुलाबी रंग के दाद होते हैं, जिनका बीच का भाग स्पष्ट दिखता है, ये अक्सर धड़ पर या पैरों और बाँहों के ऊपरी भाग में होते हैं। कभी-कभी यह दाद कुछ घंटों के लिए (अक्सर शाम को बुखार के साथ) हो सकता है और यह हमेशा एक ही जगह पर दिखाई नहीं देता।

सिस्टेमिक JIA के कारण बुखार और जोड़ों के अलावा दूसरी जगहों पर भी सूजन हो सकती है। सिस्टेमिक JIA से ग्रस्त बच्चों को आम तौर पर बहुत तेज़ बुखार आता है और जोड़ों के दर्द और सूजन से पहले दाद भी दिखाई देता है। लगभग 2 हफ़्तों तक बुखार आता-जाता रहता है। बुखार आम तौर पर दोपहर या शाम में बहुत तेज़ होता है (अक्सर 103° F [39° C] या उससे तेज़) और फिर सामान्य हो जाता है। बुखार आने पर बच्चे को थकान और चिड़चिड़ापन होता है। लिवर, स्प्लीन और लसीका ग्रंथि का आकार बड़ा हो सकता है। कभी-कभी दिल के आस-पास की मेम्ब्रेन (पेरिकार्डाइटिस) या फेफड़ों को ढकने वाली मेम्ब्रेन (प्लूराइटिस) या फेफड़ों के अंदर सूजन हो सकती है, जिसके कारण छाती में दर्द हो सकता है। इस सूजन के कारण दिल, फेफड़े या अन्य अंगों के आस-पास पानी भर जाता है।

JIA की समस्याएं

किसी भी तरह के JIA से शारीरिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है। अगर इलाज न किया जाए, तो जोड़ों का आकार बिगड़ सकता है। जब JIA से जबड़ों की वृद्धि प्रभावित होती है, तो इसके कारण ठोड़ी का आकार छोटा (माइक्रोग्नेथिया) हो सकता है। जोड़ों में लंबे समय तक सूजन रहने की वजह से, आखिर में उनका आकार बिगड़ सकता है या प्रभावित जोड़े को स्थायी रूप से नुकसान हो सकता है।

JIA का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • रक्त की जाँच

डॉक्टर JIA का निदान बच्चों के लक्षण और शारीरिक जांच के परिणाम देखकर कर सकते हैं।

JIA का कोई एक ही टेस्ट नहीं है, लेकिन खून की कुछ जांचों से एक रूप को दूसरे से अलग करने में मदद मिलती है। खून की जांच में फ़ुल ब्लड काउंट, रूमैटॉइड फ़ैक्टर, एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़, एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड पेप्टाइड एंटीबॉडीज़ और एक खास एंटीजन HLA-B27 की जांच की जा सकती है, जिनमें से कुछ रूमैटॉइड अर्थराइटिस और उससे संबंधित ऑटोइम्यून बीमारियों में मौजूद होते हैं।

इन टेस्ट के रिज़ल्ट से डॉक्टर JIA के एक या दूसरे रूप का पता लगा सकते हैं। हालांकि, JIA से ग्रस्त अधिकतर बच्चों में रूमैटॉइड फ़ैक्टर नहीं होता और अधिकतर के खून में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ होती हैं। खून की अन्य जांचें, जैसे फ़ेरिटिन, सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP), और एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट (ESR) भी किया जा सकता है। CRP और ESR के बढ़े हुए स्तरों का मतलब होता है सूजन है।

JIA से ग्रस्त बच्चे, जिनके खून में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ होते हैं, उन्हें इरिडोसायक्लाइटिस होने का जोखिम ज़्यादा होता है। चाहे लक्षण मौजूद हों या नहीं, बच्चों की साल में कई बार इरिडोसायक्लाइटिस के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए, क्योंकि इरिडोसायक्लाइटिस के लक्षण दिखाई नहीं देते, फिर भी इससे आँखों में सूजन ज़रूर होती है। जिन बच्चों को ओलिगोआर्टिकुलर JIA या पोलिआर्टिकुलर JIA होता है और जिनके खून में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ होते हैं, उन्हें हर 3 महीनों में आँखों की जांच करवानी चाहिए। जिन बच्चों में ओलिगोआर्टिकुलर या पोलीआर्टिकुलर JIA होता है लेकिन उनके खून में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ नहीं होती, उन्हें हर 6 महीने में अपनी आँखों की जांच करवानी चाहिए। जिन बच्चों में सिस्टेमिक JIA होता है, उन्हें साल में एक बार आँखों की जांच करवानी चाहिए।

हड्डियों या जोड़ों में विशेष लक्षणों के लिए एक्स-रे लिया जा सकता है।

JIA के लिए पूर्वानुमान

इलाज करवाने पर, 50 से 70% बच्चों के लक्षण गायब हो जाते हैं (रेमिशन)। जिन बच्चों में रूमैटॉइड फ़ैक्टर पॉज़िटिव पोलिआर्टिकुलर JIA होता है, उनका प्रॉग्नॉसिस अनुकूल आने की संभावना कम होती है। जल्दी इलाज करवाने से अधिकतर बच्चे ठीक हो जाते हैं।

JIA का इलाज

  • डिसीज़ मॉडिफ़ाइंग एंटीरुमेटिक ड्रग्स (DMARD)

  • कभी-कभी कॉर्टिकोस्टेरॉइड

  • कभी-कभी राहत के लक्षण के लिए बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ़्लेमेटरी दवाइयां (NSAID) दी जाती हैं

वयस्कों में, जुवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस (JIA) के कई रूप हो सकते हैं, उनका इलाज कुछ खास अर्थराइटिस दवाओं से किया जाता है जिन्हें डिसीज़ मॉडिफ़ाइंग एंटीरुमेटिक ड्रग्स (DMARD) कहा जाता है।

DMARD से JIA बढ़ना रुक सकता है और इसके परिणाम सुधर सकते हैं। इन दवाओं में शामिल हैं मीथोट्रेक्सेट; इतानर्सेप्ट, एडैलिमुमेब और इन्फ़्लिक्सीमेब (जो कि ट्यूमर नेक्रोसिस फ़ैक्टर अल्फ़ा नाम के एक प्रोटीन को रोकती है जो कि सूजन का कारण होता है); अनाकिनरा और कैनाकिनुमैब (जो कि इंटरल्युकिन-1 को रोकता है जो कि एक प्रोटीन है जिससे सूजन होती है); टोसिलिज़ुमैब (जो कि इंटरल्यूकिन-6 को रोकती है); टोफ़ेसिटिनिब (जो कि जैनस किनेस इन्हिबिटर है) और ऐबैटैसेप्ट। सल्फ़ासेलाज़ीन भी एक DMARD है जो कि कभी-कभी दिया जाता है, खासकर उन बच्चों को जिन्हें निचली रीढ़ की हड्डी में अर्थराइटिस होता है।

मीथोट्रेक्सेट उन बच्चों को दिया जाता है जिन्हें ओलिगोआर्टिकुलर सोरायटिक या पोलीआर्टिकुलर JIA होता है। मीथोट्रेक्सेट के दुष्प्रभावों में शामिल हैं व्हाइट ब्लड सेल, रेड ब्लड सेल और प्लेटलेट (बोन मैरो डिप्रेशन) बनने में कमी और लिवर में ज़हर बनना, इसलिए जिन बच्चों को यह दवा दी जा रही हो, उनकी जांच करते रहना चाहिए।

टोसिलिज़ुमैब उन बच्चों को दी जाती है जिन्हें पोलीआर्टिकुलर या सिस्टेमिक JIA होता है। एबेटेसेप्ट और टोफ़ेसिटिनिब का भी इस्तेमाल सिस्टेमिक JIA और पोलीआर्टिकुलर JIA के इलाज के लिए होता है। अनाकिनरा और कैनाकिनुमैब सिस्टेमिक JIA के लिए असरदार होते हैं।

डॉक्टर प्रभावित जोड़े या जोड़ों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन लगा सकते हैं। डॉक्टर सिस्टेमिक कॉर्टिकोस्टेरॉइड (जैसे प्रेडनिसोन, मुंह से दी जानेवाली) देने से बचते हैं, लेकिन ये दवाइयां उन बच्चों के लिए ज़रूरी होती हैं जिनका सिस्टेमिक JIA गंभीर होता है। जब कॉर्टिकोस्टेरॉइड देना ज़रूरी होता है, तो लंबे समय तक होने वाले असर, जैसे धीमी वृद्धि, ऑस्टियोपोरोसिस (नाज़ुक हड्डियां), मोतियाबिंद और ऑस्टिओनेक्रोसिस (हड्डी के ऊतक की मृत्यु) होने की संभावना कम करने के लिए जितना संभव हो, कम डोज़ दिया जाता है।

इरिडोसायक्लाइटिस का इलाज कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप से किया जाता है जिससे सूजन कम होती है। अगर इलाज काफ़ी न हो, तो मीथोट्रेक्सेट का इस्तेमाल ज़्यादा किया जा सकता है और अगर ज़रूरी हो तो ट्यूमर नेक्रोसिस फ़ैक्टर के प्रभावों को कम करने वाली दवाई का इस्तेमाल भी किया जाता है। पुतलियों को बड़ा करने वाले आई ड्रॉप भी आँखों में स्थायी नुकसान से बचाते हैं। अगर आँखों को नुकसान हुआ हो, तो आँखों की सर्जरी भी की जा सकती है।

आम तौर पर लक्षणों को कम करने के लिए दिए जाने वाले बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएँ (NSAID), एंथेसाइटिस संबंधित अर्थराइटिस के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। हालांकि, भले ही NSAID से लक्षणों का असर कम होता हो, उनसे जोड़ों का रोग बढ़ना नहीं रुकता है।

बच्चों के लिए बिना दवाई का इलाज भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, जोड़ों की मज़बूती और संचलन को बनाए रखने में मदद के लिए शारीरिक थेरेपी, स्प्लिंट और फ्लेस्बिलिटी एक्सरसाइज़।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेज़ी-भाषा का संसाधन है जो उपयोगी हो सकता है। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. The Arthritis Foundation: Juvenile Arthritis: JIA सहित बच्चों में अर्थराइटिस के विभिन्न प्रकारों के बारे में और जुवेनाइल अर्थराइटिस के साथ जीने और बच्चों के इलाज से वयस्कों के इलाज में बदलने से संबंधित विस्तृत जानकारी