डिसरथ्रिया

इनके द्वाराJuebin Huang, MD, PhD, Department of Neurology, University of Mississippi Medical Center
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग. २०२३

डिसरथ्रिया शब्दों को सामान्य रूप से उच्चारण करने की क्षमता का नुकसान है।

  • बोली में लड़खड़ाहट, असंबद्धता, अटकाव, अनियमितता, अस्पष्टता या एकसुरापन (उबाऊपन) हो सकता है, लेकिन लोग भाषा को समझकर इसका सही उपयोग कर सकते हैं।

  • डॉक्टरों द्वारा व्यक्ति से अपने मुंह और जीभ का उपयोग कर कुछ आसान कार्य करने तथा शब्दों एवं वाक्यों को दोहराने के लिए कहकर मांसपेशियों की ताकत और मूवमेंट का मूल्यांकन किया जाता है।

  • डिसरथ्रिया से पीड़ित कुछ लोगों के लिए स्पीच थेरेपी मददगार होती है।

हालांकि, डिसरथ्रिया एक भाषागत समस्या लगती है, लेकिन यह वास्तव में बोलने से जुड़ी मांसपेशियों को नियंत्रित करने में पाई जाने वाली समस्या (एक मोटर समस्या) है।

डिसरथ्रिया के कारण

डिसरथ्रिया निम्नलिखित के नुकसान के कारण हो सकता है:

  • मस्तिष्क के वे भाग जो मांसपेशियों के मूवमेंट को नियंत्रित करते हैं।

  • सेरिबैलम: सेरेब्रम और मस्तिष्क स्तंभ (ब्रेन स्टेम) के बीच स्थित सेरिबैलम, जो शरीर की गतिविधियों का समन्वय करता है।

  • बेसल गैन्ग्लिया: तंत्रिका कोशिकाओं के इन बड़े संग्रह से मूवमेंट को समन्वित और सुगम बनाने में मदद मिलती है (चित्र देखें बेसल गैन्ग्लिया की स्थिति)।

  • ब्रेन स्टेम: मस्तिष्क स्तंभ (ब्रेन स्टेम) उन मांसपेशियों को नियंत्रित करता है जिनका उपयोग सांस लेने तथा आवाज़ निकालने में होता है।

  • तंत्रिका तंतु जो मस्तिष्क (सेरेब्रल कोर्टेक्स) की बाहरी परत को मस्तिष्क के तने से जोड़ते हैं: ये तंत्रिका तंतु होंठ, जीभ, तालु और वोकल कॉर्ड की मांसपेशियों सहित बोलने में सक्षम बनाने वाली मांसपेशियों को नियंत्रित और समन्वय करने के लिए आवश्यक सूचनाओं को प्रसारित करते हैं।

  • न्यूरोमस्कुलर जंक्शन: तंत्रिकाएं न्यूरोमस्कुलर जंक्शन पर मांसपेशियों से जुड़ती हैं।

ये संरचनाएं अपक्षयी विकारों (जैसे कि एमयोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस, पार्किंसन रोग और हंटिंगटन रोग), मल्टीपल स्क्लेरोसिस, सिर की चोट, ब्रेन ट्यूमर, आघात या लाइम रोग जैसे संक्रमणों की वजह से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

डिसरथ्रिया के लक्षण

डिसरथ्रिया से ग्रस्त लोग ऐसी ध्वनियाँ उत्पन्न करते हैं जो उनके अर्थ के करीब और सही क्रम में होती हैं। हालांकि, नुकसान की जगह के आधार पर बोलने में लड़खड़ाहट, असंबद्धता, अटकाव, अनियमितता, अस्पष्टता या एकसुरापन (उबाऊपन) पाया जा सकता है।

चूंकि भाषा को समझने और उपयोग करने की क्षमता आमतौर पर प्रभावित नहीं होती है, अतः डिसरथ्रिया से ग्रस्त अधिकांश लोग सामान्य रूप से पढ़ और लिख सकते हैं।

डिसरथ्रिया वाले विकार के कारण चबाने और निगलने में भी परेशानी हो सकती है।

डिसरथ्रिया का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • मस्तिष्क के क्रियाकलापों के मानकीकृत परीक्षण

  • इमेजिंग टेस्ट

डिसरथ्रिया का निदान करने के लिए, डॉक्टर व्यक्ति से लक्षणों के बारे में पूछते और शारीरिक परीक्षण करते हैं। प्रायः इस मूल्यांकन में स्पीच थेरेपिस्ट की मदद ली जाती है। डॉक्टर निम्नलिखित उपाय भी अपना सकते हैं:

  • पीड़ित व्यक्ति से कुछ आसान कार्य करने के लिए कहना, जैसे कि मोमबत्ती को फूँकना, निचले होंठ को काटना और जीभ को बाहर निकालना: व्यक्ति द्वारा किए जा रहे इन कार्यों के आधार पर डॉक्टर को बोलने में भूमिका निभाने वाली मांसपेशियों की ताकत और मूवमेंट का मूल्यांकन करने में मदद मिलती है।

  • व्यक्ति से शब्दों और वाक्यों को दोहराने, गाना गाने और गिनती करने के लिए कहें: व्यक्ति द्वारा ध्वनि उत्पन्न करने के आधार पर डॉक्टर को बोलने से जुड़ी समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है, जैसे कि बोली में अटकाव और लड़खड़ाहट।

न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट या स्पीच थेरेपिस्ट द्वारा मस्तिष्क क्रियाकलापों के मानकीकृत परीक्षण (न्यूरोसाइकोलॉजिक परीक्षण) किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों से चिकित्सकों को उपचार की योजना बनाने और यह निर्धारित करने में भी मदद मिलती है कि स्वास्थ्य-लाभ होने की कितनी संभावना है।

कारण का पता लगाने के लिए इमेजिंग परीक्षण जैसे कि कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) या मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) किए जाते हैं। आमतौर पर बेरियम (बेरियम स्वॉलो) का उपयोग करके एक्स-रे अध्ययन तथा कभी-कभी एंडोस्कोपी करके निगलने की समस्या का भी मूल्यांकन किया जाता है।

संदिग्ध कारण के आधार पर अन्य परीक्षण भी किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हैं, रक्त और मूत्र का परीक्षण, स्पाइनल टैप (लम्बर पंचर), इलेक्ट्रोएन्सेफ़ेलोग्राफ़ी (EEG) और इलेक्ट्रोमायोग्राफ़ी तथा तंत्रिका चालन संबंधी अध्ययन

डिसरथ्रिया का उपचार

  • स्पीच थेरेपी

  • कभी-कभी एक संचार उपकरण का उपयोग

डिसरथ्रिया से पीड़ित कुछ लोगों के लिए स्पीच थेरेपी मददगार होती है। स्पीच थेरेपी में श्वास और मांसपेशियों के व्यायाम तथा शब्दों या वाक्यों को दोहराना शामिल हो सकता है।

यदि डिसरथ्रिया गंभीर प्रकार का है, तो थेरेपिस्ट अक्षरों या चित्रों वाले बोर्ड का अथवा कीबोर्ड और मैसेज डिस्प्ले वाली कंप्यूटर-आधारित डिवाइस का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।